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| | <quiz display=simple> |
| | {किस राजपूत रानी ने [[हुमायूँ]] के पास [[राखी]] भेजकर [[बहादुर शाह]] के विरुद्ध सहायता माँगी थी? |
| | |type="()"} |
| | +[[रानी कर्णावती]] |
| | -[[संयोगिता]] |
| | -हाड़ारानी |
| | -रानी अनारा |
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| ==प्यारे लाल शर्मा== उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनेता पंडित प्यारे लाल शर्मा का जन्म 1873 ई. में मथुरा जिले में एक जमींदार परिवार में हुआ था।
| | {जो सम्बंध स्त्रियों के झुमकों का [[कान|कानों]] से है, वही पुरुषों में- |
| | | |type="()"} |
| == शिक्षा==
| | -बाली का [[कान|कानों]] से है। |
| उन्होंने उर्दू, फारसी और संस्कृत भाषाओं के ज्ञान के साथ अंग्रेजी में एम.ए. की परीक्षा पास की और कानून की डिग्री भी ली।
| | -बोर का कानों से है। |
| ==राजनैतिक जीवन==
| | -पुन्छा का कानों से है। |
| आरंभ में उनका झुकाव क्रांतिकारी गतिविधियों की ओर था,किंतु [[गांधी जी]] के [[दक्षिण अफ्रीका]] से भारत आने के बाद वे सदा के लिए [[कांग्रेस]] में सम्मिलित हो गए। [[असहयोग आंदोलन]] के समय उन्होंने अपनी खूब चलती वकालत छोड़ दी और 1922 में [[सत्याग्रह]] करके जेल चले गए।
| | +मुरकियों का कानों से है। |
| प्यारे लाल शर्मा का राजनैतिक कार्य क्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली था। लाला शंकर लाल,हकीम अजमल खां,डॉ. अंसारी आदि उनके सहयोगी थे। 1924 से 1928 तक वे 'स्वराज्य पार्टी' की ओर से निर्वाचित केंद्रीय असेम्बली के सदस्य रहे। 1932 की दिल्ली कांग्रेस की स्वागत समिति के वही अध्यक्ष थे। 1937 में गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में जो पहली कांग्रेस सरकार बनी उसमें उन्हें शिक्षा मंत्री का पद दिया गया था। परंतु कुछ प्रशासनिक और व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने इस्तीफा दे दिया और उनके स्थान पर डॉ. संपूर्णानंद शिक्षा मंत्री बनाए गए थे। 1940 के व्यक्तिगत [[सत्याग्रह]] में वे [[मेरठ]] में गिरफ्तार हुए। पर जेल के अंदर ही गंम्भीर रूप से बीमार पड़ जाने के कारण उन्हें रिहा कर दिया और 12 जनवरी,1941 को दिल्ली के एक अस्पताल में उनका देहांत हो गया।
| | </quiz> |
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| ==राजनैतिक जीवन==
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| प्यारे लाल शर्मा का राजनैतिक कार्य क्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली था। लाला शंकर लाल,हकीम अजमल खां,डॉ. अंसारी आदि उनके सहयोगी थे। 1924 से 1928 तक वे 'स्वराज्य पार्टी' की ओर से निर्वाचित केंद्रीय असेम्बली के सदस्य रहे। 1932 की दिल्ली कांग्रेस की स्वागत समिति के वही अध्यक्ष थे। 1937 में [[गोविंद वल्लभ पंत]] के नेतृत्व में जो पहली कांग्रेस सरकार बनी उसमें उन्हें शिक्षा मंत्री का पद दिया गया था। परंतु कुछ प्रशासनिक और व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने इस्तीफा दे दिया और उनके स्थान पर डॉ. संपूर्णानंद शिक्षा मंत्री बनाए गए थे। 1940 के व्यक्तिगत [[सत्याग्रह]] में वे मेरठ में गिरफ्तार हुए। पर जेल के अंदर ही गंम्भीर रूप से बीमार पड़ जाने के कारण उन्हें रिहा कर दिया और 12 जनवरी,1941 को [[दिल्ली]] के एक अस्पताल में उनका देहांत हो गया।
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