|
|
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 127 अवतरण नहीं दर्शाए गए) |
पंक्ति 1: |
पंक्ति 1: |
| '''प्रतुलचंद्र गांगुली''' (जन्म [[1894]] चंदपुर, [[बंगाल]]; मृत्यु-[[1957]]) [[भारत]] के क्रांतिकारियों में से एक थे। सत्याग्रह के कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था। ये बंग-भग विरोधी आंदोलन के सदस्य थे। इनका कार्य क्षेत्र ढ़ाका था। प्रतुलचंद्र गांगुली सुभाष बाबू के विश्वस्त सहयोगी थे। इन पर [[स्वामी विवेकानंद]] और [[बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय|बंकिम चंद्र]] के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा। अपने विचारों के प्रचार के लिए वे बंगाल के पत्रों बहुधा लिखा करते थे। [[कांग्रेस]] संगठन से भी वे जुड़े थे और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे।
| | {| class="bharattable-green" width="100%" |
| ==परिचय==
| | |- |
| प्रतुलचंद्र गांगुली का जन्म [[बंगाल]] के चंदपुर में हुआ था। वे आरंभिक शिक्षा पूरी कर ही पाए थे, कि बंग-भंग विरोधी आंदोलन में सम्मिलित हो गए।
| | | valign="top"| |
| ==क्रांतिकारी संगठन== | | {| width="100%" |
| प्रतुलचंद्र गांगुली आरंभिक शिक्षा पूरी कर के ही आंदोलन में सम्मिलित हो गए और उनका संपर्क क्रांतिकारियों से हुआ, और ये क्रांतिकारी कार्यों के गुप्त संगठन अनुशील समिति के सदस्य बन गए। प्रतुलचंद्र ने अनेक क्रांतिकारी कार्यों में सक्रिय भाग लिया। पहले उनका कार्य क्षेत्र ढ़ाका था। [[1913 ]] में [[कोलकाता]] आते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया और बारीसाल षड्यंत्र केस में मुकदमा चला। उन्हें दस वर्ष की सजा हो गई। [[1922]] में जेल से बाहर आए और फिर क्रांतिकारियों को संगठित करने में जुट गये। [[1923]] में [[दिल्ली]] में हुए [[कांग्रेस]] के विशेष अधिवेशन में प्रतुल ने भाग लिया। वही उनकी भेंट सुभाष बाबू से हुई, दोनों में इतनी निकटता बढ़ी कि ये इनके के विश्वस्त सहयोगी बन गए। लेकिन सरकार ने उन्हें बाहर नही रहने दिया। और [[1924]] में ये फिर से गिरफ्तार कर लिए गए। गिरफ्तारियों का सिलसिला ऐसा चला कि [[1946]] तक इनका अधिंकाश समय जेलों के अंदर ही बीता। अपनी लोकप्रियता के कारण [[1929]] में ये [[बंगाल]] कौंसिल के और [[1939]] में [[बंगाल]] असेम्बली के सदस्य चुने गए। कांग्रेस संगठन से भी ये जुड़े थे और अखिल भारतीय [[कांग्रेस]] कमेटी के सदस्य रहे।
| | | |
| ==मृत्यु== | | <quiz display=simple> |
| प्रतुलचंद्र का प्रसिद्ध क्रांतिकारी [[रास बिहारी बोस]] से भी निकट का संबंध था। [[स्वामी विवेकानंद]] और [[बंकिम चंद्र]] का उनके विचारों पर बड़ा प्रभाव रहा। अपने विचारों के प्रचार के लिए वे [[बंगाल]] के पत्रों बहुधा लिखा करते थे।[[1957]] में इनका देहांत हो गया था।
| | {किस राजपूत रानी ने [[हुमायूँ]] के पास [[राखी]] भेजकर [[बहादुर शाह]] के विरुद्ध सहायता माँगी थी? |
| | |type="()"} |
| | +[[रानी कर्णावती]] |
| | -[[संयोगिता]] |
| | -हाड़ारानी |
| | -रानी अनारा |
|
| |
|
| | | {जो सम्बंध स्त्रियों के झुमकों का [[कान|कानों]] से है, वही पुरुषों में- |
| {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | | |type="()"} |
| ==टीका-टिप्पणी और संदर्भ==
| | -बाली का [[कान|कानों]] से है। |
| <references/> | | -बोर का कानों से है। |
| ==संबंधित लेख==
| | -पुन्छा का कानों से है। |
| {{स्वतंत्रता सेनानी}}
| | +मुरकियों का कानों से है। |
| [[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध_व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:राजनेता]][[Category:राजनीति कोश]]
| | </quiz> |
| __INDEX__
| | |} |
| | |} |