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| '''प्रणकृष्ण पारिजा'''(अग्रेज़ी-Prana Krushna Parija) (जन्म-1 [[अप्रैल]], [[1891]] ई. [[कटक ज़िला]], [[उड़ीसा]]; मृत्यु- [[2 जून]], [[1978]] ) [[भारत]] के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। इंगलैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटि से वनस्पति [[विज्ञान]] का अध्ययन करने के कारण ये इस विषय मे वहां से पुरुस्कार पाने वाले भारत के प्रथम भारतीय छात्र बने। [[विज्ञान]] के क्षेत्र में योगदान के लिए इन्हें [[राष्ट्रपति]] ने 'पद्मभूषण' की उपाधि से सम्मानित किया। प्रणकृष्ण पारिज [[विज्ञान]] [[कांग्रेस]] के अध्यक्ष भी थे।{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=484|url=}}
| | {| class="bharattable-green" width="100%" |
| ==परिचय== | | |- |
| प्रणकृष्ण पारिजा का जन्म [[1 अप्रैल]],1819 ई. को [[उड़ीसा]] के [[कटक ज़िला|कटक ज़िले]] में एक निर्धन ग्रामीण परिवार में हुआ था। आर्थिक कठिनाई के कारण बड़ी उम्र होने पर ही ये स्कूल जा सके थे। फिर भी ये अपने अध्यवसाय से स्नातक की शिक्षा के लिए कॉलेज तक पहुंच गए। उसी समय [[उड़ीसा]] पृथक् प्रदेश बना था। वहां की सरकार की छात्रवृत्ति पर प्रणकृष्ण पारिजा को इंगलैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटि में पढ़ने का अवसर मिला और इन्होंने वहांं वनस्पति [[विज्ञान]] का अध्ययन किया और इस विषय मे वहां से पुरुस्कार पाने वाले प्रथम भारतीय छात्र बने। विश्वयुद्ध के कारण इन्हें अधिक समय तक [[ब्रिटेन]] में रुकना पड़ा था।
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| ==भारत मेंं कार्य== | | {| width="100%" |
| प्रणकृष्ण पारिजा [[भारत]] आने पर [[कटक]] कॉलेज के प्रोफेसर और प्रिंसिपल बने। ये प्रदेश के कृषि निदेशक भी रहे। इसके बाद [[1943]] से [[1948]] तक ये उत्कल विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने। [[1949]] में प्रणकृष्ण पारिजा ने [[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]] के उपकुलपति का भार संभाला। [[1951]] से [[1966]] तक ये पुन: उत्कल विश्वविद्यालय के कुलपति बने। वनस्पति [[विज्ञान]] के क्षेत्र में इनके योगदान के लिए इन्हें राष्ट्रपति ने 'पद्म्भूषण' की उपाधि देकर सम्मानित किया। प्रणकृष्ण पारिजा [[विज्ञान]] [[कांग्रेस]] के अध्यक्ष भी थे। प्रणकृष्ण पारिजा ने सक्रिय राजनीति में भाग नहीं लिया। ये मानते थे कि देश में अनुशासन लाने के लिए अल्पकालिक 'डिक्टेटर शिप' और फिर केंद्र में सुदृढ़ सरकार होनी चाहिए।
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| | <quiz display=simple> |
| | {किस राजपूत रानी ने [[हुमायूँ]] के पास [[राखी]] भेजकर [[बहादुर शाह]] के विरुद्ध सहायता माँगी थी? |
| | |type="()"} |
| | +[[रानी कर्णावती]] |
| | -[[संयोगिता]] |
| | -हाड़ारानी |
| | -रानी अनारा |
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| | | {जो सम्बंध स्त्रियों के झुमकों का [[कान|कानों]] से है, वही पुरुषों में- |
| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
| | |type="()"} |
| <references/>
| | -बाली का [[कान|कानों]] से है। |
| ==संबंधित लेख==
| | -बोर का कानों से है। |
| {{वैज्ञानिक}}
| | -पुन्छा का कानों से है। |
| [[Category:वैज्ञानिक]][[Category:विज्ञान कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:पद्म भूषण]] | | +मुरकियों का कानों से है। |
| __INDEX__
| | </quiz> |
| __NOTOC__
| | |} |
| | |} |