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| {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी | | {| class="bharattable-green" width="100%" |
| |चित्र=Blankimage.jpg | | |- |
| |चित्र का नाम=आशुतोष दास | | | valign="top"| |
| |पूरा नाम=आशुतोष दास | | {| width="100%" |
| |अन्य नाम= | | | |
| |जन्म=[[1888]] | | <quiz display=simple> |
| |जन्म भूमि=[[हुगली ज़िला]], [[बंगाल]]
| | {किस राजपूत रानी ने [[हुमायूँ]] के पास [[राखी]] भेजकर [[बहादुर शाह]] के विरुद्ध सहायता माँगी थी? |
| |मृत्यु=[[31 जुलाई]], [[1941]] | | |type="()"} |
| |मृत्यु स्थान=
| | +[[रानी कर्णावती]] |
| |मृत्यु कारण=
| | -[[संयोगिता]] |
| |अभिभावक=
| | -हाड़ारानी |
| |पति/पत्नी=
| | -रानी अनारा |
| |संतान=
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| |स्मारक=
| | {जो सम्बंध स्त्रियों के झुमकों का [[कान|कानों]] से है, वही पुरुषों में- |
| |क़ब्र=
| | |type="()"} |
| |नागरिकता=भारतीय
| | -बाली का [[कान|कानों]] से है। |
| |प्रसिद्धि=
| | -बोर का कानों से है। |
| |धर्म=
| | -पुन्छा का कानों से है। |
| |आंदोलन=
| | +मुरकियों का कानों से है। |
| |जेल यात्रा=आशुतोष दास [[सत्याग्रह आंदोलन]] में सक्रिय भाग लेने के कारण कई बार जेल गये।
| | </quiz> |
| |कार्य काल=
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| |विद्यालय=कोलकाता मेडिकल कॉलेज
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| |शिक्षा=
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| |पुरस्कार-उपाधि=
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| |विशेष योगदान=
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| |संबंधित लेख=
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| |शीर्षक 1=
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| |पाठ 1=
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| |शीर्षक 2=
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| |पाठ 2=
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| |अन्य जानकारी=आशुतोष दास ने हरिपाल नामक ऐसे [[गांव]] को सर्वप्रथम अपना केंद्र बनाया जो सदा [[मलेरिया]] और काला अजार की महामारी से ग्रस्त रहता था। इनकी सेवा से उस क्षेत्र में यह रोग समाप्त हो गया।
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| |बाहरी कड़ियाँ= | |
| |अद्यतन=
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| }}
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| '''आशुतोष दास''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ashutosh Dash'', जन्म: [[1888]], [[हुगली ज़िला]], [[बंगाल]]; मृत्यु: [[31 जुलाई]], [[1941]]) [[भारत]] के स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवी थे। [[सत्याग्रह आंदोलन]] में सक्रिय भाग लेने के कारण ये कई बार जेल गये।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=78|url=}}</ref>
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| ==परिचय==
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| डॉ. आशुतोष दास का जन्म 1888 ई. में बंगाल के हुगली ज़िले में सेरामपुर नामक स्थान में हुआ था। विद्यार्थी जीवन में ही ये 'अनुशीलन समिति' में सम्मिलित हो गए थे। इस क्रांतिकारी संगठन से ही बाद में क्रांतिकारी 'जुगांतर पार्टी' अस्तित्व में आई थी। इस बीच इनका संपर्क अनेक क्रांतिकायों से हुआ और इन्होंने अपने ज़िले में इस संगठन को सुदृढ़ करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
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| ==समाज सेवा==
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| आशुतोष दास [[1914]] में कोलकाता मेडिकल कॉलेज से डॉक्टर की डिग्री लेने के बाद इंडियन मेडिकल सर्विस में भर्ती हुए। 'प्रथम विश्वयुद्ध' समाप्त होते ही [[गांधीजी]] के आह्वान पर इन्होंने यह सरकारी नौकरी छोड़ दी और ग्रामीण जनता के उत्थान के कार्यों में लग गए। इन्होंने हरिपाल नामक ऐसे [[गांव]] को सर्वप्रथम अपना केंद्र बनाया जो सदा [[मलेरिया]] और काला अजार की महामारी से ग्रस्त रहता था। इनकी सेवा से उस क्षेत्र में यह रोग समाप्त हो गया। अविवाहित डॉ.दास ने अपना तन, मन, धन पूरी तरह से जन सेवा को समर्पित कर दिया था।
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| ==आंदोलन में भाग==
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| आशुतोष दास ने [[1930]] से [[1934]] तक के [[सत्याग्रह आंदोलन]] में सक्रिय भाग लिया और इस कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। ये अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे और गांधीजी से इनका निकट का संबंध था। इन्हीं के प्रयत्न से 'कांग्रेस चक्षु चिकित्सा समिति' का गठन हुआ था। इस समिति की ओर से डॉ. आशुतोष दास ने डॉक्टरों के दल दूर-दूर के देहातों में भेजकर लोगों के आँखो के रोगों का इलाज कराया था।
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| ==निधन==
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| डॉ. आशुतोष दास व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय [[1941]] में गांवों में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के विरुद्ध प्रचार करते समय बीमार पड़ गये, जिस कारण इनका निधन [[31 जुलाई]], [[1941]] को हो गया।
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