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06:39, 19 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
सी. विजय राघवा चारियर
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पूरा नाम | सी. विजय राघवा चारियर |
जन्म | 18 जून, 1852 |
जन्म भूमि | सेलम ज़िला, तमिलनाडु |
मृत्यु | 19 अप्रैल, 1943 |
कर्म भूमि | भारत |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | लोकमान्य तिलक, गांधी जी |
पार्टी | काँग्रेस |
अन्य जानकारी | अपने जीवन का महत्त्वपूर्ण समय सी. विजय राघवा चारियर ने संस्थाओं के माध्यम से देश की सेवा में ही लगाया था। |
अद्यतन | 04:51, 24 दिसम्बर-2016 (IST) |
सी. विजय राघवा चारियर (अंग्रेज़ी: C. Vijaya Raghava Chariar, जन्म- 18 जून,1852, सेलम ज़िला, तमिलनाडु; मृत्यु- 19 अप्रैल, 1943) प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता थे। 1885 से 1901 तक वे लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य रहे थे। विजय राघवा चारियर नागपुर में1920 में हुए काँग्रेस के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष रहे थे। इस अधिवेशन में गाँधी जी के असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव पर विचार हुआ था। लेकिन उनके विरोध के बाद भी काँग्रेस ने असहयोग का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था।[1]
जन्म एवं परिचय
सी. विजय राघवा चारियर का जन्म 18 जून,1852 ई. में सेलम ज़िला, तमिलनाडु में हुआ था। सार्वजनिक कार्यों के प्रति आरंभ से ही उनकी रुचि थी। देश पर अंग्रेज़ों का शासन विजय राघवा चारियर को अखरता था। 1885 में कांग्रेस की स्थापना के लिए मुंबई में जो पहला अधिवेशन हुआ उस में विजय राघवा चारियर ने भी भाग लिया। तब से अपने जीवन का महत्त्वपूर्ण समय उन्होंने इस संस्था के माध्यम से देश की सेवा में ही लगाया था।
लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य
काँग्रेस की स्थापना के बाद जब उसका संविधान बनाने की आवश्यकता पड़ी तो विजय राघवा चारियर की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की समिति ने इसका निर्माण किया। मद्रास के सार्वजनिक जीवन में भी सी. विजय राघवा चारियर का महत्त्वपूर्ण स्थान था। 1885 से 1901 तक वे लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य रहे थे। काँग्रेस के 1907 के सूरत अधिवेशन में जब 'नरम' और 'गरम' दलों में मतभेद उत्पन्न हुआ तो विजय राघवा चारियर की सहानुभूति 'गरम' दल वालों के साथ थी। जब काँग्रेस के संविधान में संशोधन करके लोकमान्य तिलक आदि का काँग्रेस में प्रवेश रोक दिया गया तो वे भी काँग्रेस से अलग हो गए थे। लेकिन 1916 की लखनऊ काँग्रेस में तिलक के साथ वे पुन: काँग्रेस में आ गए।
काँग्रेस के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष
नागपुर में 1920 में हुए काँग्रेस के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष विजय राघवा चारियर को चुने गये थे। उस समय श्री राज गोपालाचारी, मोतीलाल नेहरू और एम.ए. अंसारी जैसे लोग काँग्रेस के महामंत्री थे। इस अधिवेशन में गाँधी जी के असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव पर विचार हुआ था। सी. विजय राघवा चारियर असहयोग के पक्ष में नहीं थे। लेकिन उनके विरोध के बाद भी काँग्रेस ने असहयोग का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस विचार-भेद के कारण वे 35 वर्ष के बाद काँग्रेस से अलग हो गए। फिर उनका झुकाव हिंदू महासभा की ओर हुआ। उसके एक अधिवेशन का उन्होंने सभापतित्व भी किया।
निधन
19 अप्रैल, 1943 ई. में सी. विजय राघवा चारियर का निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 922 |
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