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'''सुकर्णो''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sukarno'', जन्म- [[6 जून]], [[1901]], पूर्वी जावा; मृत्यु- [[21 जून]], [[1970]], जकार्ता) इण्डोनेशिया के प्रथम राष्ट्रपति थे।


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*[[भारत]] के पहले [[गणतंत्र दिवस]] पर तत्कालीन 'गवर्नमेंट हाउस' (वर्तमान [[राष्ट्रपति भवन]]) जगमग रोशनी से गुलजार था, जहाँ भारत के गणतंत्र के रूप में दुनिया के पटल पर उभरने के साक्षी रहे लोगों में इण्डोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भी शामिल थे।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.jantajanardan.com/NewsDetails/18130/sukarno-was-witness-of--india-becoming-a-republic.htm भारत के गणतंत्र बनने के साक्षी थे सुकर्णो]
*[http://navbharattimes.indiatimes.com/-/articleshow/1086833.cms नेहरू और सुकर्णो को साउथ अफ्रीकी सम्मान]
*[http://hindi.business-standard.com/storypage_hin.php?autono=94312 भारत के गणतंत्र बनने के साक्षी थे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो]
==संबंधित लेख==
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सुकर्णो
सुकर्णो
सुकर्णो
पूरा नाम सुकर्णो
जन्म 6 जून, 1901
जन्म भूमि पूर्वी जावा
मृत्यु 21 जून, 1970
मृत्यु स्थान जकार्ता, इण्डोनेशिया
कार्य काल राष्ट्रपति (इण्डोनेशिया) - 18 अगस्त, 1945 से 12 मार्च, 1967
धर्म सुन्नी इस्लाम

सुकर्णो (अंग्रेज़ी: Sukarno, जन्म- 6 जून, 1901, पूर्वी जावा; मृत्यु- 21 जून, 1970, जकार्ता) इण्डोनेशिया के प्रथम राष्ट्रपति थे।

  • भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर तत्कालीन 'गवर्नमेंट हाउस' (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) जगमग रोशनी से गुलजार था, जहाँ भारत के गणतंत्र के रूप में दुनिया के पटल पर उभरने के साक्षी रहे लोगों में इण्डोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भी शामिल थे।
  • 'रेमिनिसेंस ऑफ़ फ़र्स्ट रिपब्लिक डे' के अनुसार, 26 जनवरी 1950 को देश के पहले गणतंत्र दिवस पर तत्कालीन गवर्नमेंट हाउस में कई देशों के राजनयिकों और सुकर्णो सहित 500 से अधिक अतिथि थे। इन सब अतिथियों के बीच भारत के अंतिम गर्वनर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने भारत के गणतंत्र बनने की घोषणा करते हुए कहा- "इंडिया जो भारत है, वह सम्प्रभुता सम्पन्न लोकतांत्रिक गणतंत्र होगा।"
  • 20वीं शताब्दी के उस ऐतिहासिक क्षण के गवाहों में निवर्तमान गर्वनर-जलरल सी. राजगोपालाचारी, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, उपप्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल, इण्डोनेशियाई राष्ट्रपति सुकर्णो, कैबिनेट मंत्री, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, भारत के ऑडिटर जनरल आदि मौजूद थे।
  • 'बांदुंग सम्मेलन' की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए दक्षिण अफ़्रीका की सरकार ने अफ़्रीकी-एशियाई एकता के प्रणेता जवाहरलाल नेहरू और इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णो को मरणोपरांत दक्षिण अफ़्रीका का सबसे बड़ा सम्मान प्रदान करने की घोषणा की थी। 'ऑर्डर ऑफ़ कम्पैनियंस ऑफ़ ओआर ताम्बो' (स्वर्ण) सम्मान दक्षिण अफ़्रीकी सरकार विदेशी राजनेताओं को देती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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