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<h4>[[एक व्यक्तित्व]]</h4>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">एक व्यक्तित्व</font>
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[[चित्र:Rahul Sankrityayan.JPG|right|90px|link=राहुल सांकृत्यायन|border]]
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[[चित्र:J.R.D-Tata.jpg|right|80px|link=जे. आर. डी. टाटा|border]]
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         '''[[जे. आर. डी. टाटा|जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा]]''' आधुनिक भारत की बुनियाद रखने वाली औद्योगिक हस्तियों में सर्वोपरि थे। इन्होंने ही [[भारत]] की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा 'टाटा एयरलाइंस' शुरू की थी, जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा 'एयर इंडिया' बन गई। इस कारण जे. आर. डी. टाटा को 'भारत के नागरिक उड्डयन का पिता' भी कहा जाता है। जे. आर. डी. टाटा, भारत के पहले लाइसेंस प्राप्त पायलट थे। जे. आर. डी. टाटा को [[फ़्राँस]] के सर्वोच्‍च नागरिकता पुरस्कार 'लीजन ऑफ द ऑनर' एवं [[भारत सरकार]] के सर्वोच्‍च अलंकरण '[[भारत रत्न]]' से सम्‍मानित किया जा चुका है। इन्होंने 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज', 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ंडामेंटल रिसर्च' और 'नेशनल सेंटर फ़ॉर परफ़ार्मिंग आर्ट्स' की स्‍थापना की। [[जे. आर. डी. टाटा|... और पढ़ें]]
         '''[[राहुल सांकृत्यायन|महापण्डित राहुल सांकृत्यायन]]''' को '''हिन्दी यात्रा साहित्य''' का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। [[बौद्ध धर्म]] पर उनका शोध [[हिन्दी साहित्य]] में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने [[तिब्बत]] से लेकर [[श्रीलंका]] तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो [[पाली]], [[प्राकृत]], [[अपभ्रंश]], तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो [[कार्ल मार्क्स]], लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी [[इतिहास]], [[पुरातत्त्व]], [[स्थापत्य कला|स्थापत्य]], भाषाशास्त्र एवं [[राजनीति कोश|राजनीति शास्त्र]] के अच्छे ज्ञाता थे। [[राहुल सांकृत्यायन|... और पढ़ें]]
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| [[एक व्यक्तित्व|पिछले लेख]] →
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|[[ओंकारनाथ ठाकुर|पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर]]
| [[जे. आर. डी. टाटा]]
| [[आर. के. लक्ष्मण]]  
| [[आर. के. लक्ष्मण]]  
| [[अबुलकलाम आज़ाद]]
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14:03, 6 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

एक व्यक्तित्व

        महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें

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