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||[[चित्र:Prafulla-Chandra-Ray-1.jpg|100px|right|border|प्रफुल्ल चंद्र राय]]'प्रफुल्ल चंद्र राय' [[भारत]] में 'रसायन विज्ञान के जनक' माने जाते हैं। वे एक सादगीपसंद तथा देशभक्त वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रसायन प्रौद्योगिकी में देश के स्वावलंबन के लिए अप्रतिम प्रयास किए। एक दिन [[प्रफुल्ल चंद्र राय]] जब अपनी प्रयोगशाला में [[पारा|पारे]] और तेजाब से प्रयोग कर रहे थे। इससे मर्क्यूरस नाइट्रेट नामक [[पदार्थ]] बनता है। इस प्रयोग के समय उनको कुछ पीले-पीले क्रिस्टल दिखाई दिए। वह पदार्थ लवण भी था तथा नाइट्रेट भी। यह खोज बड़े महत्त्व की थी। वैज्ञानिकों को तब इस पदार्थ तथा उसके गुणधर्मों के बारे में पता नहीं था। उनकी खोज प्रकाशित हुई तो दुनिया भर में डॉ. राय को ख्याति मिली। उन्होंने एक और महत्वपूर्ण कार्य किया था। वह था अमोनियम नाइट्राइट का उसके विशुद्ध रूप में संश्लेषण। इसके पहले माना जाता था कि अमोनियम नाइट्राइट का | ||[[चित्र:Prafulla-Chandra-Ray-1.jpg|100px|right|border|प्रफुल्ल चंद्र राय]]'प्रफुल्ल चंद्र राय' [[भारत]] में 'रसायन विज्ञान के जनक' माने जाते हैं। वे एक सादगीपसंद तथा देशभक्त वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रसायन प्रौद्योगिकी में देश के स्वावलंबन के लिए अप्रतिम प्रयास किए। एक दिन [[प्रफुल्ल चंद्र राय]] जब अपनी प्रयोगशाला में [[पारा|पारे]] और तेजाब से प्रयोग कर रहे थे। इससे मर्क्यूरस नाइट्रेट नामक [[पदार्थ]] बनता है। इस प्रयोग के समय उनको कुछ पीले-पीले क्रिस्टल दिखाई दिए। वह पदार्थ लवण भी था तथा नाइट्रेट भी। यह खोज बड़े महत्त्व की थी। वैज्ञानिकों को तब इस पदार्थ तथा उसके गुणधर्मों के बारे में पता नहीं था। उनकी खोज प्रकाशित हुई तो दुनिया भर में डॉ. राय को ख्याति मिली। उन्होंने एक और महत्वपूर्ण कार्य किया था। वह था अमोनियम नाइट्राइट का उसके विशुद्ध रूप में संश्लेषण। इसके पहले माना जाता था कि अमोनियम नाइट्राइट का तेज़ीसे तापीय विघटन होता है तथा यह अस्थायी होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रफुल्ल चंद्र राय]] | ||
{किस लेखक ने अपनी प्रारम्भिक [[कविता|कविताएँ]] मेघराज इन्द्र के नाम से लिखी थीं? | {किस लेखक ने अपनी प्रारम्भिक [[कविता|कविताएँ]] मेघराज इन्द्र के नाम से लिखी थीं? | ||
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-[[लखनऊ घराना]] | -[[लखनऊ घराना]] | ||
-[[आगरा घराना]] | -[[आगरा घराना]] | ||
||[[चित्र:Pt-Kishan-Maharaj.jpg|right|border|100px|किशन महाराज]]'किशन महाराज' [[भारत]] के सुप्रसिद्ध [[तबला वादक]] थे। वे [[बनारस घराना|बनारस घराने]] के वादक थे। उन्हें कला क्षेत्र में योगदान के लिए [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[1973]] में '[[पद्म श्री]]' और सन [[2002]] में '[[पद्म विभूषण]]' से भी सम्मानित किया गया था। [[किशन महाराज]] [[तबला|तबले]] के उस्ताद होने के साथ-साथ एक मूर्तिकार, चित्रकार, [[वीर रस]] के [[कवि]] और [[ज्योतिष]] के मर्मज्ञ भी थे। किशन महाराज का ज़िंदगी जीने का अन्दाज़ बहुत बिंदास रहा। उन्होंने ज़िंदगी को हमेशा 'आज' के आइने में देखा और अपनी | ||[[चित्र:Pt-Kishan-Maharaj.jpg|right|border|100px|किशन महाराज]]'किशन महाराज' [[भारत]] के सुप्रसिद्ध [[तबला वादक]] थे। वे [[बनारस घराना|बनारस घराने]] के वादक थे। उन्हें कला क्षेत्र में योगदान के लिए [[भारत सरकार]] द्वारा सन [[1973]] में '[[पद्म श्री]]' और सन [[2002]] में '[[पद्म विभूषण]]' से भी सम्मानित किया गया था। [[किशन महाराज]] [[तबला|तबले]] के उस्ताद होने के साथ-साथ एक मूर्तिकार, चित्रकार, [[वीर रस]] के [[कवि]] और [[ज्योतिष]] के मर्मज्ञ भी थे। किशन महाराज का ज़िंदगी जीने का अन्दाज़ बहुत बिंदास रहा। उन्होंने ज़िंदगी को हमेशा 'आज' के आइने में देखा और अपनी मर्ज़ी | ||
के मुताबिक़ बिंदास जिया। लुंगी कुर्ते में पूरे मुहल्ले की टहलान और पान की दुकान पर मित्रों के साथ जुटान ताज़िंदगी उनका शगल बना रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[किशन महाराज]] | |||
{सन [[1939]] में [[कांग्रेस]] अध्यक्ष के निर्वाचन में [[भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया]] किससे पराजित हुए थे? | {सन [[1939]] में [[कांग्रेस]] अध्यक्ष के निर्वाचन में [[भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया]] किससे पराजित हुए थे? |
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