माउंट आबू
माउंट आबू
| |||
विवरण | माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। | ||
राज्य | राजस्थान | ||
ज़िला | सिरोही ज़िला | ||
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 24° 35' 33.00", पूर्व- 72° 42' 29.88" | ||
मार्ग स्थिति | माउंट आबू शहर सड़क द्वारा उदयपुर से 185 किलोमीटर, डबौक से 210 किलोमीटर, जयपुर से 505 किलोमीटर, जैसलमेर से 620 किलोमीटर, दिल्ली से 760 किलोमीटर और मुंबई से 765 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। | ||
महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबौक में 210 किलोमीटर है। | |||
आबू रोड रेलवे स्टेशन | |||
माउंट आबू | |||
स्थानीय बस, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा | |||
क्या देखें | माउंट आबू पर्यटन | ||
क्या ख़रीदें | राजस्थानी शिल्प का सामान, चांदी के आभूषण, संगमरमर पत्थर से बनी मूर्तियाँ | ||
एस.टी.डी. कोड | 02974 | ||
ए.टी.एम | लगभग सभी | ||
गूगल मानचित्र, महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबौक | |||
संबंधित लेख | दिलवाड़ा जैन मंदिर, नक्की झील, गोमुख मंदिर, अर्बुदा देवी मन्दिर, अचलगढ़ क़िला, माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य, गुरु शिखर | कब जाएँ | फ़रवरी से जून और सितंबर से दिसंबर |
माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट आबू को राजस्थान का स्वर्ग भी माना जाता है। नीलगिरि की पहाड़ियों पर बसे माउंट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न व मनोरम है। यह स्थान राज्य के अन्य हिस्सों की तरह गर्म नहीं है। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहाँ का ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।
इतिहास
गुर्जर तथा अर्बुदा-पर्वत
अर्बुदा (माउन्ट आबू) क्षेत्र के आस पास मध्यकाल में गुर्जरों का निवास रहा है। बहुत से शिलालेखों जैसे धनपाल की तिलकमंजरी, में गुर्जरों तथा अर्बुदा पहाड़ का उल्लेख मिलता है।[1]6वीं सदी के बाद इन गुर्जरों ने राजस्थान तथा गुजरात के विभिन्न भागों में अपना राज्य स्थापित किया था। इस कारण ब्रिटिश काल से पहले, गुजरात तथा राजस्थान को सम्मिलित रुप से गुर्जरदेश या गुर्जरत्रा (गुर्जर से रक्षित देश) कहा जाता था।[2]
पुराण तथा अर्बुदा-पर्वत
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म के तैंतीस करोड़ देवी देवता इस पवित्र पर्वत पर भ्रमण करते हैं। यह भी कहा जाता है कि महान् संत वशिष्ठ ने पृथ्वी से असुरों के विनाश के लिए यहाँ यज्ञ का आयोजन किया था। जैन धर्म के चौबीसवें र्तीथकर भगवान महावीर भी यहाँ आए थे। उसके बाद से माउंट आबू जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र और पूज्यनीय तीर्थस्थल बना गया। पुराणों में इस क्षेत्र को अर्बुदारण्य कहा गया है।
अंग्रेज़-काल
ऐसा कहा जाता है कि सिरोही के महाराजा ने माउंट आबू को राजपूताना मुख्यालय के लिए अंग्रेज़ों को पट्टे पर दे दिया। ब्रिटिश शासन में माउंट आबू मैदानी इलाकों की गर्मियों से बचने के लिए अंग्रेज़ों का पसंदीदा स्थान रहा था। माउंट आबू शुरू से ही साधु संतों का निवास स्थान रहा है।
जैन वास्तुकला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण-स्वरूप दो प्रसिद्ध संगमरमर के बने मंदिर जो दिलवाड़ा या देवलवाड़ा मंदिर कहलाते हैं इस पर्वतीय नगर के जगत् प्रसिद्ध स्मारक हैं। विमलसाह के मंदिर को एक अभिलेख के अनुसार राजा भीमदेव प्रथम के मंत्री विमलसाह ने बनवाया था। इस मंदिर पर 18 करोड़ रुपया व्यय हुआ थे।
सांस्कृतिक जीवन
माउंट आबू के सांस्कृतिक जीवन की झलक त्योहारों और उत्सवों पर ही देखने को मिलती है। प्रतिवर्ष जून में होने वाले समर फेस्टीवल यानी ग्रीष्म महोत्सव में तो यहाँ जैसे पूरा राजस्थान ही सिमट आता है। रंग-बिरंगी परंपरागत वेशभूषा में आए लोक कलाकारों द्वारा लोकनृत्य और संगीत की रंगारंग झांकी प्रस्तुत की जाती है। घूमर, गैर और धाप जैसे लोक नृत्यों के साथ डांडिया नृत्य देख सैलानी झूम उठते हैं। तीन दिन चलने वाले इस महोत्सव के दौरान नक्की झील में बोट रेस का आयोजन भी किया जाता है। शामे कव्वाली और आतिशबाजी इस फेस्टिवल का ख़ास हिस्सा हैं।
यातायात और परिवहन
वायु मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर यहाँ से 185 किलोमीटर दूर है। उदयपुर से माउंट आबू पहुँचने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएँ ली जा सकती हैं।
रेल मार्ग
नज़दीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किलोमीटर की दूरी पर है जो अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है। माउंट आबू की पहाड़ से 50 मील उत्तर-पश्चिम में भिन्नमाल स्थित है।
सड़क मार्ग
माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं।
पर्यटन
माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। माउंट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। माउंट आबू के ऐतिहासिक मंदिर और प्राकृतिक ख़ूबसूरती पर्यटको को अपनी ओर खींचती है।
माउंट आबू कों दिलवाड़ा के मंदिरों के अलावा अन्य कई ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। वैसे तो साल भर पर्यटनों का जमावड़ा यहां रहता हैं। लेकिन गर्मियों के मौसम में पर्यटकों की संख्या में इजाफ़ा हो जाता है। गुरु शिखर, सनसेट प्वाइंट, टोड रॉक, अचलगढ़ क़िला और नक्की झील प्रमुख आकर्षणों में से हैं। यहां की साल भर रहने वाली हरियाली पर्यटकों को ख़ासी भाती है। इसका निर्माण झील के आसपास हुआ है और चारों ओर से यह पर्वतीय क्षेत्र जंगलों से घिरा है।
|
|
|
|
|
वीथिका
-
नक्की झील, माउंट आबू
-
आबू बाद, माउंट आबू
-
माउंट आबू से गुरु शिखर के लिए रास्ता
-
माउंट आबू में राजस्थानी ग्रामीण
-
माउंट आबू की वेधशाला
-
आबू बाद, माउंट आबू
-
आबू बाद, माउंट आबू
-
आबू बाद, माउंट आबू
टीका टिप्पणी और सन्दर्भ
संबंधित लेख