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*इस नगर के [[खंडहर]] [[मिर्जापुर|मिरजापुर]] के पश्चिम भाग में गंगा के किनारे अभी भी विद्यमान हैं।<ref>हि.श.सा.</ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=77, परिशिष्ट 'क'|url=}}</ref> | *इस नगर के [[खंडहर]] [[मिर्जापुर|मिरजापुर]] के पश्चिम भाग में गंगा के किनारे अभी भी विद्यमान हैं।<ref>हि.श.सा.</ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=77, परिशिष्ट 'क'|url=}}</ref> | ||
*एक पुरानी राजधानी जिसके खंडहर मिर्ज़ापुर के पश्चिम गंगा के किनारे पर हैं और जहाँ इस नाम का एक गाँव भी है। मिथ्यावासुदेव की राजधानी यहीं थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक= श्यामसुंदरदास बी. ए.|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नागरी मुद्रण, वाराणसी |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=724|url=|ISBN=}}</ref> | |||
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11:41, 20 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण
कंतित एक पुराना नगर था, जिसे मिथ्या वासुदेव की राजधानी कहते हैं।
- इस नगर के खंडहर मिरजापुर के पश्चिम भाग में गंगा के किनारे अभी भी विद्यमान हैं।[1][2]
- एक पुरानी राजधानी जिसके खंडहर मिर्ज़ापुर के पश्चिम गंगा के किनारे पर हैं और जहाँ इस नाम का एक गाँव भी है। मिथ्यावासुदेव की राजधानी यहीं थी।[3]
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