"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 403": अवतरणों में अंतर
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-[[कोलकाता]] | -[[कोलकाता]] | ||
-[[जयपुर]] | -[[जयपुर]] | ||
+[[ | +[[चंडीगढ़]] | ||
-[[बंगलुरू]] | -[[बंगलुरू]] | ||
||[[चित्र:Chandigarh-Rock-Garden.jpg|right|border|80px|रॉक गार्डन चंडीगढ़]]'रॉक गार्डन' [[चंडीगढ़]] के सेक्टर-1 में है। यह गार्डन एक व्यक्ति के एकल प्रयास का अनुपम और उत्कृष्ट नमूना है, जो दुनिया भर में अपने अनूठे उपक्रम के लिए बहुत सराहा गया है। [[रॉक गार्डन चंडीगढ़|रॉक गार्डन]] केवल शाम पांच बजे तक ही खुलता है। ठंड के दिनों में अंधेरा जल्दी होने के कारण टिकटों की बिक्री पांच बजे से पहले ही रुक जाती है। गार्डन में झरनों और जलकुंड के अलावा ओपन एयर थियेटर भी देखा जा सकता, जहाँ अनेक प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती रहती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चंडीगढ़]], [[रॉक गार्डन चंडीगढ़|रॉक गार्डन]] | |||
{'भारत महोत्सव' की शुरूआत किस [[वर्ष]] हुई? | {'भारत महोत्सव' की शुरूआत किस [[वर्ष]] हुई? | ||
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-[[1985]] | -[[1985]] | ||
{ | {अंकोरवाट मंदिर समूह किस देश में स्थित है? | ||
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-इंडोनेशिया | -इंडोनेशिया | ||
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-[[श्रीलंका]] | -[[श्रीलंका]] | ||
-[[म्यांमार]] | -[[म्यांमार]] | ||
||[[चित्र:Angkor-Wat.jpg|right|border|80px|अंकोरवाट]]'अंकोरवाट' के मंदिर [[कम्बोडिया]] में स्थित हैं। कम्बोडिया को पुराने लेखों में [[कम्बुज]] भी कहा गया है। यहाँ [[भारत]] के प्राचीन और शानदार स्मारक हैं। यहाँ संसार प्रसिद्ध विशाल विष्णुमंदिर है। [[अंकोरवाट|अंकोरवाट मन्दिर]] अंकोरयोम नामक नगर में स्थित है, जिसे प्राचीन काल में [[यशोधरपुर]] कहा जाता था। अंकोरवाट जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल में कम्बोडिया की राजधानी था। यह अपने समय में संसार के महान् नगरों में गिना जाता था और इसका विशाल भव्य मन्दिर अंकोरवाट के नाम से आज भी विख्यात है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंकोरवाट]] | |||
{[[चित्तौड़गढ़|चित्तौड़ के दुर्ग]] में ' | {[[चित्तौड़गढ़|चित्तौड़ के दुर्ग]] में 'कीर्ति स्तम्भ' का निर्माण किसने करवाया था? | ||
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-[[राणा सांगा]] | -[[राणा सांगा]] | ||
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-[[हम्मीर देव|राणा हमीर देव]] | -[[हम्मीर देव|राणा हमीर देव]] | ||
+[[राणा कुम्भा]] | +[[राणा कुम्भा]] | ||
||[[चित्र:Kirti-Stambh-Chittorgarh-1.jpg|right|border|80px|कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़]]'कीर्ति स्तम्भ' का निर्माण [[महाराणा कुम्भा]] ने 1448 ई. में करवाया था। यह स्तम्भ [[राजस्थान]] के [[चित्तौड़गढ़ क़िला|चित्तौड़गढ़ क़िले]] में स्थित है। इस शानदार स्तम्भ को 'विजय स्तम्भ' के रूप में भी जाना जाता है। महाराणा कुम्भा ने [[मालवा]] के सुल्तान महमूदशाह ख़िलजी को युद्ध में प्रथम बार परास्त कर उसकी यादगार में इष्टदेव [[विष्णु]] के निमित्त यह कीर्ति स्तम्भ बनवाया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कीर्ति स्तम्भ चित्तौड़गढ़|कीर्ति स्तम्भ]] | |||
{[[माउंट आबू]] में दिलवाड़ा मन्दिर है- | {[[माउंट आबू]] में दिलवाड़ा मन्दिर है- | ||
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-[[सिक्ख धर्म|सिक्ख]] मन्दिर | -[[सिक्ख धर्म|सिक्ख]] मन्दिर | ||
-[[हिन्दू]] मन्दिर | -[[हिन्दू]] मन्दिर | ||
||[[चित्र:Dilwara-Jain-Temple.jpg|right|border|80px|दिलवाड़ा जैन मंदिर]]'दिलवाड़ा जैन मंदिर' [[राजस्थान]] के [[सिरोही ज़िला|सिरोही ज़िले]] के [[माउंट आबू]] नगर में स्थित है। ये मंदिर वस्तुतः पांच मंदिरों का समूह है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में हुआ था। यह विशाल एवं दिव्य मंदिर [[जैन धर्म]] के [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] को समर्पित है। [[दिलवाड़ा जैन मंदिर]] का प्रवेशद्वार गुंबद वाले मंडप से होकर है जिसके सामने एक वर्गाकृति भवन है। इसमें छ: स्तंभ और दस [[हाथी|हाथियों]] की प्रतिमाएं हैं। इसके पीछे मध्य में मुख्य पूजागृह है, जिसमें एक प्रकोष्ठ में ध्यानमुद्रा में अवस्थित जिन की मूर्ति हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दिलवाड़ा जैन मंदिर]] | |||
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05:28, 14 जनवरी 2020 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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