"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 427": अवतरणों में अंतर
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{[अशोक अष्टमी]] अर्थात [[चैत्र मास]] के [[शुक्ल पक्ष]] के आठवें दिन कौन-सी नदी अत्यधिक पवित्र तथा शुभ मानी जाती है? | {[[अशोक अष्टमी]] अर्थात [[चैत्र मास]] के [[शुक्ल पक्ष]] के आठवें दिन कौन-सी नदी अत्यधिक पवित्र तथा शुभ मानी जाती है? | ||
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-[[गंगा नदी|गंगा]] | -[[गंगा नदी|गंगा]] | ||
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+[[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] | +[[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] | ||
-[[कावेरी नदी|कावेरी]] | -[[कावेरी नदी|कावेरी]] | ||
||[[चित्र:Brahmaputra-river-Assam.jpg|right|border|80px|ब्रह्मपुत्र नदी]]'ब्रह्मपुत्र नदी' [[तिब्बत]], [[भारत]] तथा [[बांग्लादेश]] में बहने वाली एक ऐतिहासिक नदी है। ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम [[तिब्बत]] के दक्षिण में [[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] के निकट चेमायुंग दुंग नामक हिमवाह से हुआ है। अपने मार्ग में यह [[चीन]] के स्वशासी क्षेत्र [[तिब्बत]], भारतीय राज्यों, [[अरुणाचल प्रदेश]] व [[असम]] और [[बांग्लादेश]] से होकर बहती है। अपनी लंबाई के अधिकतर हिस्से में नदी महत्त्वपूर्ण आंतरिक जलमार्ग का कार्य करती है; फिर भी तिब्बत के पहाड़ों और [[भारत]] के मैदानी इलाक़ों में यह नौका चालक के योग्य नहीं है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्रह्मपुत्र नदी]] | |||
{'हविस् यज्ञ' का क्या अर्थ है? | {'हविस् यज्ञ' का क्या अर्थ है? | ||
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-ऐसा [[यज्ञ]], जिनमें पाक (पका हुआ भोजन) चढ़ाया जाता है। | -ऐसा [[यज्ञ]], जिनमें पाक (पका हुआ भोजन) चढ़ाया जाता है। | ||
-उपर्युक्त सभी | -उपर्युक्त सभी | ||
||[[चित्र:Yagya.jpg|right|border|80px|यज्ञ]]'यज्ञ' [[संस्कृत भाषा]] का शब्द है, जिसका अर्थ है- "[[आहुति]], चढ़ावा"। यह [[हिंदू धर्म]] में [[प्राचीन भारत]] के आरंभिक [[ग्रंथ|ग्रंथों]] [[वेद|वेदों]] में निर्धारित अनुष्ठानों पर आधारित उपासना पद्धति है। यह उपासना उस [[पूजा]] के विपरीत है, जिसमें अवैदिक मूर्तिपूजा एवं भक्ति प्रथाएँ शामिल हो सकती हैं। यज्ञ हमेशा उद्देश्यपूर्ण होता है। यहाँ तक कि इसका लक्ष्य [[ब्रह्मांड]] की स्वाभाविक व्यवस्था क़ायम रखने जैसा व्यापक भी हो सकता है। इसमें अनुष्ठानों का सही निष्पादन और [[मंत्र|मंत्रों]] का शुद्ध उच्चारण अनिवार्य माने जाते हैं तथा निष्पादक और प्रयुक्त सामग्री का अत्यधिक पवित्र होना आवश्यक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यज्ञ]] | |||
{किसी एक विषय में मन की लगातार चिन्ता [[योग]] की प्रक्रिया के किस अंग में आता है? | {किसी एक विषय में मन की लगातार चिन्ता [[योग]] की प्रक्रिया के किस अंग में आता है? | ||
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-प्रत्याहार | -प्रत्याहार | ||
-नियम | -नियम | ||
||[[चित्र:Yoga-2.jpg|right|border|80px|योग की ध्यान मुद्रा]]'ध्यान' [[दर्शन|भारतीय दर्शन]] में संसार से मुक्ति की ओर ले जाने वाला एक चिंतन है। यह चेतन मन की एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति स्वयं की चेतना बाह्य जगत् के किसी चुने हुए स्थल-विशेष पर केंद्रित करता है। [[ध्यान]] से जीवन में दिव्यता आती है, और जब व्यक्ति इस दिव्यता का अनुभव कर लेता है, तो सारी सृष्टि उसे सुन्दर प्रतीत होने लगती है। [[ध्यान]] से व्यक्ति जीवन की समस्त बुराइयों से ऊपर उठ जाता है और इस संसार को सुंदर बनाने के कार्य में संलग्न हो जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ध्यान]] | |||
{निम्नलिखित कलाकारों में से कौन [[तबला वादक]] के रूप में प्रसिद्ध है? | {निम्नलिखित कलाकारों में से कौन [[तबला वादक]] के रूप में प्रसिद्ध है? | ||
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-[[उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ]] | -[[उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ]] | ||
-[[विलायत ख़ाँ]] | -[[विलायत ख़ाँ]] | ||
+गुदई महाराज | +[[सामता प्रसाद]] | ||
||[[चित्र:Samta-Prasad.jpg|right|border|80px|सामता प्रसाद]]'सामता प्रसाद' प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीतकार तथा [[तबला वादक]] थे। उन्हें 'गुदई महाराज' के नाम से भी जाना जाता है। [[सामता प्रसाद]] को [[भारत सरकार]] ने सन [[1972]] में '[[पद्मश्री]]', [[1979]] में '[[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]' और [[1991]] में कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए '[[पद्मभूषण]]' से सम्मानित किया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सामता प्रसाद]] | |||
{किस पक्षी को [[दशहरा|दशहरे]] के दिन देखना शुभ माना जाता है? | {किस पक्षी को [[दशहरा|दशहरे]] के दिन देखना शुभ माना जाता है? | ||
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-[[मोर|मयूर]] | -[[मोर|मयूर]] | ||
-[[तोता]] | -[[तोता]] | ||
+[[नीलकंठ | +[[नीलकंठ]] | ||
-[[कबूतर]] | -[[कबूतर]] | ||
||[[चित्र:Jay-Bird.jpg|right|border|80px|नीलकंठ]]'नीलकंठ' एक भारतीय पक्षी है। इसका आकार [[मैना]] के बराबर होता है। इसकी चोंच भारी होती है, वक्षस्थल [[लाल रंग|लाल]] [[भूरा रंग|भूरा]], उदर तथा पुच्छ क अधोतल नीला होता है। पंख पर गहरे और धूमिल [[नीला रंग|नीले रंग]] के भाग उड़ान के समय चमकीली पट्टियों के रूप मे दिखाई पड़ते हैं। [[त्रावणकोर]] के दक्षिण भाग को छोड़कर शेष [[भारत]] में यह पक्षी पाया जाता है। [[नीलकंठ]] को [[हिन्दू धर्म]] में पवित्र पक्षी माना जाता है। [[दशहरा]] पर लोग इसका दर्शन करने के लिए बहुत लालायित रहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नीलकंठ]] | |||
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06:26, 19 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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