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ज़ुबैदा बाई बचपन में भी [[परिवार]] की कई महिलाओं को पैसों के अभाव में ऐसी ही परेशानियों से गुजरते देखा था। [[2009]] में कोलेरेडो में एमबीए के दौरान प्रोजेक्ट पर देश में आने का मौका मिला तो चेन्नई की रूरल इनोवेशन्स नेटवर्क के साथ काम किया। वहीं [[राजस्थान]] में एक दाई से मिली जो घांस काटने की दराती की मदद से बच्चे पैदा करवाती थी। बस ज़ुबैदा बाई ने तभी तय कर लिया कि कुछ ऐसी चीज बनानी चाहिए जो महिलाओं में डिलिवरी के दौरान इन्फेक्शन से बचा सके।
ज़ुबैदा बाई बचपन में भी [[परिवार]] की कई महिलाओं को पैसों के अभाव में ऐसी ही परेशानियों से गुजरते देखा था। [[2009]] में कोलेरेडो में एमबीए के दौरान प्रोजेक्ट पर देश में आने का मौका मिला तो चेन्नई की रूरल इनोवेशन्स नेटवर्क के साथ काम किया। वहीं [[राजस्थान]] में एक दाई से मिली जो घांस काटने की दराती की मदद से बच्चे पैदा करवाती थी। बस ज़ुबैदा बाई ने तभी तय कर लिया कि कुछ ऐसी चीज बनानी चाहिए जो महिलाओं में डिलिवरी के दौरान इन्फेक्शन से बचा सके।
==सफलता==
==सफलता==
[[नेपाल]] यात्रा के दौरान ज़ुबैदा बाई ने महिलाओं को एक किट का इस्तेमाल करते देखा, पर उसकी क्वॉलिटी अच्छी नहीं थी। ज़ुबैदा बाई ने अपनी कोशिशों से एक नई किट तैयार करनी शुरू की। [[2010]] में ‘जन्म’ किट बनाई जिसकी टेस्टिंग बेंगलुरू में गायनेकोलॉजिस्ट द्वारा करवाई। इस इनोवेशन ने कई अवॉर्ड जीते। सालभर में तीन हजार किट बिकी। फिर अमेरिका में भी किट बनाना शुरू किया, ताकि अन्य देशों को पहुंचा सकें। [[2013]] तक [[भारत]], [[अफ़ग़ानिस्तान]], हैती, लाओसा और [[अफ़्री]]का में 50 हजार तक किट बेची। फिर ज़ुबैदा बाई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
[[नेपाल]] यात्रा के दौरान ज़ुबैदा बाई ने महिलाओं को एक किट का इस्तेमाल करते देखा, पर उसकी क्वॉलिटी अच्छी नहीं थी। ज़ुबैदा बाई ने अपनी कोशिशों से एक नई किट तैयार करनी शुरू की। [[2010]] में ‘जन्म’ किट बनाई जिसकी टेस्टिंग बेंगलुरू में गायनेकोलॉजिस्ट द्वारा करवाई। इस इनोवेशन ने कई अवॉर्ड जीते। सालभर में तीन हजार किट बिकी। फिर अमेरिका में भी किट बनाना शुरू किया, ताकि अन्य देशों को पहुंचा सकें। [[2013]] तक [[भारत]], [[अफ़ग़ानिस्तान]], हैती, लाओसा और [[अफ़्रीका महाद्वीप|अफ़्रीका]] में 50 हजार तक किट बेची। फिर ज़ुबैदा बाई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।


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ज़ुबैदा बाई

ज़ुबैदा बाई (अंग्रेज़ी: Zubaida Bai) लो कॉस्ट बर्थ किट बनाने वाली कंंपनी 'अयाझ' की संस्थापक हैं। यह किट निशुल्क वितरित किया जाता है। बर्थ किट में छह चीजें होती हैं- एक एप्रन, चादर, हैंड सैनिटाइजर, एंटीसेप्टिक साबुन, कॉर्ड क्लिप और एक सर्जिकल ब्लेड। ज़ुबैदा बाई ने अपने गहने बेचकर इस प्रोजेक्ट के लिए राशि जुटाई थी। भारतीय समाजसेवी ज़ुबैदा बाई को जून 2016 के चौथे सप्ताह में संयुक्त राष्ट्र द्वारा सम्मानित किया गया। उन्हें टॉप 10 स्थानीय एसडीजी '2016 ग्लोबल कॉम्पैक्ट एसडीजी पायनियर्स' में शामिल किया गया था।

परिचय

महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करने वाली जुबैदा बाई ने सोचा भी नहीं था कि उनकी कोशिश दुनियाभर में सराही जाएगी। ‘अयाझ’ नाम की सामाजिक कंपनी चलाने वाली जुबैदा का संयुक्त राष्ट्र में सम्मान हुआ है। उन्हें ‘ग्लोबल कांपैक्ट एसडीजी पायनियर्स, 2016’ की सूची में शामिल किया गया है। वो दुनिया के दस चैम्पियन और पायोनियर्स में गिनी गई हैं। ‘अयाझ’ उन महिलाओं के लिए सुरक्षा किट बनाती है जिन्होंने बच्चे को जन्म दिया हो। ये किट उस दौरान होने वाले इन्फेक्शन को रोकती है। इस किट का नाम ‘जन्म‘ रखा गया। दुनिया के कई देशों में उनकी किट भेजी जाती है।

'अयाझ' की नींव

स्कूल खत्म होते ही ज़ुबैदा बाई बैंकिंग प्रोडक्ट देने के काम में लग गई थीं। तब 17 साल की थीं। जल्द ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री पूरी की। कार डिजाइनिंग कंपनी में काम किया, अकेली युवती थी वहां। मास्टर डिग्री के लिए कई यूनिवर्सिटीज में अप्लाय किया पर बात नहीं बनी। आखिर स्वीडन की डालरना यूनिवर्सिटी से बुलावा आया। पिता ने चेताया भी कि कुछ नहीं होगा, पर घर छोड़ दिया। वहां स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम में पौलेंड जाने का मौका मिला। सेकेंड सेमेस्टर पूरा कर चेन्नई लौट आई। वहां हबीब अनवर से मुलाकात हुई। जो बाद में जीवन साथी बने। दोनों ने मिलकर 'अयाझ' की नींव रखी। ज़ुबैदा बाई महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में इस कंपनी को कॉरपोरेट चेहरा देना चाहती थीं। 2006 में पहले बेटे का जन्म हुआ। ऑपरेशन के बाद दो महीने तक आराम करना पड़ा। रिकवरी करते पूरा साल लग गया।

ज़ुबैदा बाई बचपन में भी परिवार की कई महिलाओं को पैसों के अभाव में ऐसी ही परेशानियों से गुजरते देखा था। 2009 में कोलेरेडो में एमबीए के दौरान प्रोजेक्ट पर देश में आने का मौका मिला तो चेन्नई की रूरल इनोवेशन्स नेटवर्क के साथ काम किया। वहीं राजस्थान में एक दाई से मिली जो घांस काटने की दराती की मदद से बच्चे पैदा करवाती थी। बस ज़ुबैदा बाई ने तभी तय कर लिया कि कुछ ऐसी चीज बनानी चाहिए जो महिलाओं में डिलिवरी के दौरान इन्फेक्शन से बचा सके।

सफलता

नेपाल यात्रा के दौरान ज़ुबैदा बाई ने महिलाओं को एक किट का इस्तेमाल करते देखा, पर उसकी क्वॉलिटी अच्छी नहीं थी। ज़ुबैदा बाई ने अपनी कोशिशों से एक नई किट तैयार करनी शुरू की। 2010 में ‘जन्म’ किट बनाई जिसकी टेस्टिंग बेंगलुरू में गायनेकोलॉजिस्ट द्वारा करवाई। इस इनोवेशन ने कई अवॉर्ड जीते। सालभर में तीन हजार किट बिकी। फिर अमेरिका में भी किट बनाना शुरू किया, ताकि अन्य देशों को पहुंचा सकें। 2013 तक भारत, अफ़ग़ानिस्तान, हैती, लाओसा और अफ़्रीका में 50 हजार तक किट बेची। फिर ज़ुबैदा बाई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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