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[[राजस्थान]] में स्वतंत्रता से पूर्व कई रियासतें थीं। इन रियासतों द्वारा अपने-अपने सिक्के प्रचलित किए गए थे। इन सिक्कों के माध्यम से राजस्थान की प्राचीन रियासतों की स्थितियों की जानकारी प्राप्त होती है। सिक्कों के द्वारा राजस्थान की रियासतों की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक स्थिति का पता चलता है।
[[राजस्थान]] में स्वतंत्रता से पूर्व कई रियासतें थीं। इन रियासतों द्वारा अपने-अपने सिक्के प्रचलित किए गए थे। इन सिक्कों के माध्यम से राजस्थान की प्राचीन रियासतों की स्थितियों की जानकारी प्राप्त होती है। सिक्कों के द्वारा राजस्थान की रियासतों की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक स्थिति का पता चलता है।
==शाहपुरा राज्य के सिक्के:-
==शाहपुरा राज्य के सिक्के==
*शाहपुरा के शासकों ने [[1760]] ई. में जो सिक्का चलाया, उसे ग्यारसंदिया कहते थे।
*शाहपुरा के शासकों ने [[1760]] ई. में जो सिक्का चलाया, उसे ग्यारसंदिया कहते थे।
*यहाँ [[मेवाड़]] के चित्तौड़ी और भिलाड़ी सिक्कों व पैसों का भी प्रचलन था।
*यहाँ [[मेवाड़]] के चित्तौड़ी और भिलाड़ी सिक्कों व पैसों का भी प्रचलन था।

17:49, 9 मई 2021 के समय का अवतरण

राजस्थान में स्वतंत्रता से पूर्व कई रियासतें थीं। इन रियासतों द्वारा अपने-अपने सिक्के प्रचलित किए गए थे। इन सिक्कों के माध्यम से राजस्थान की प्राचीन रियासतों की स्थितियों की जानकारी प्राप्त होती है। सिक्कों के द्वारा राजस्थान की रियासतों की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक स्थिति का पता चलता है।

शाहपुरा राज्य के सिक्के

  • शाहपुरा के शासकों ने 1760 ई. में जो सिक्का चलाया, उसे ग्यारसंदिया कहते थे।
  • यहाँ मेवाड़ के चित्तौड़ी और भिलाड़ी सिक्कों व पैसों का भी प्रचलन था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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