"रंग त्रयोदशी": अवतरणों में अंतर

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'''रंग त्रयोदशी''' रंगों से भरा त्यौहार है जो [[चैत्र]] माह में [[कृष्ण पक्ष]] के दौरान [[त्रयोदशी|त्रयोदशी तिथि]] को मनाया जाता है। इसे 'रंग तेरस' भी कहा जाता है। अन्य क्षेत्रों में रंग तेरस की अवधि [[फाल्गुन]] के हिंदू महीने में [[कृष्ण पक्ष]] से मेल खाती है, यानी ग्रेगोरियन कैलेंडर में मध्य [[फ़रवरी]]-[[मार्च]] के महीने।
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==पूजा==
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08:42, 28 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

रंग त्रयोदशी
रंग तेरस
रंग तेरस
विवरण 'रंग त्रयोदशी' रंगों से भरा त्यौहार है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह भारतीय किसानों के धन्यवाद उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
अन्य नाम रंग तेरस
देश भारत
तिथि चैत्र, कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी
मेला मेवाड़ क्षेत्र में गेहूँ की फसल पर खुशी व्यक्त करने के लिए रंग त्रयोदशी के दिन भव्य आदिवासी मेलों का आयोजन होता है।
संबंधित लेख होली, होलिका दहन
अन्य जानकारी राजस्थान के नाथद्वारा में यह पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंग तेरस की अवधि के दौरान देश के कोने-कोने से भक्त यहां श्रीनाथजी मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।
अद्यतन‎

रंग त्रयोदशी रंगों से भरा त्यौहार है जो चैत्र माह में कृष्ण पक्ष के दौरान त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इसे 'रंग तेरस' भी कहा जाता है। अन्य क्षेत्रों में रंग तेरस की अवधि फाल्गुन के हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष से मेल खाती है, यानी ग्रेगोरियन कैलेंडर में मध्य फ़रवरी-मार्च के महीने।

पूजा

रंग त्रयोदशी का त्यौहार भगवान कृष्ण को समर्पित है जिन्हें भगवान श्रीनाथजी के रूप में पूजा जाता है। राजस्थान के नाथद्वारा में यह पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंग तेरस की अवधि के दौरान देश के कोने-कोने से भक्त यहां श्रीनाथजी मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में रंग त्रयोदशी स्थानीय लोगों द्वारा गैर के प्रदर्शन के साथ मनाया जाता है।[1]

कैसे मनाते हैं

रंग त्रयोदशी को भारतीय किसानों के धन्यवाद उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर किसान पृथ्वी माता को भोजन सहित जीवन की सभी आवश्यक चीजें प्रदान करने के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। महिलाएं व्रत रखती हैं और इस त्यौहार से जुड़ी अनुष्ठानिक गतिविधियां करती हैं। इस उत्सव के एक भाग के रूप में गाँव के युवा नृत्य और लेटने के खेल के साथ-साथ अपने वीर कौशल का प्रदर्शन करते हैं।

राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में गेहूँ की फसल पर खुशी व्यक्त करने के लिए रंग त्रयोदशी के दिन भव्य आदिवासी मेलों का आयोजन किया जाता है। आसपास के क्षेत्रों के आदिवासी भी चैत्र के महीने में इस रंगारंग मेले का हिस्सा बनने आते हैं। रंग त्रयोदशी 15वीं शताब्दी से इस प्रथागत तरीके से मनाया जाता रहा है और यह आयोजन हर गुजरते साल के साथ बड़ा होता जा रहा है। बुजुर्ग लोगों की भीड़ 'नागदास' (एक पारंपरिक संगीत वाद्य यंत्र) बजाती है और युवक बांस की डंडियों और तलवारों से बजने वाले संगीत की ताल को बजाने की कोशिश करते हैं। नृत्य की यह कला मेवाड़ क्षेत्र की विशेषता है और इसे 'गेर' के नाम से जाना जाता है।

महत्त्व

रंगारंग जुलूस और उन्माद रंग त्रयोदशी के त्यौहार का उपयुक्त वर्णन करते हैं। कुछ क्षेत्रों में इसे होली समारोह के एक भाग के रूप में भी मनाया जाता है। होली एक रंगीन हिंदू त्यौहार है जो हिंदू कैलेंडर में फाल्गुन महीने के दौरान पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण त्यौहार का हिस्सा होने के नाते रंग त्रयोदशी भी भाईचारे की भावना का जश्न मनाता है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और बिहार राज्यों में रंग त्रयोदशी अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है।[1]


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 रंग तेरस (हिंदी) bhaktibharat.com। अभिगमन तिथि: 28 फ़रवरी, 2024।

संबंधित लेख

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