"हनुमान जी की आरती": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (Adding category Category:हनुमान (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
(7 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 18 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Hanuman.jpg|thumb|250|[[हनुमान]]<br /> Hanuman]] | |||
<blockquote><span style="color: blue"><poem>मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् | | |||
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ||</poem></span></blockquote> | |||
= | <blockquote><span style="color: maroon"><poem>आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ | ||
आरती कीजै हनुमान लला की । | जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके। | ||
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ | अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की । | ||
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये । | |||
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की । | |||
लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे । | |||
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । | |||
पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे । | |||
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की । | |||
सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे । | |||
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की । | |||
जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे । | |||
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥</poem></span></blockquote> | |||
{{seealso|हनुमान बजरंग बाण|हनुमान चालीसा|संकटमोचन हनुमानाष्टक}} | |||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | |||
|आधार= | |||
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
{{हनुमान}} | ==संबंधित लेख== | ||
[[Category: | {{आरती स्तुति स्तोत्र}}{{हनुमान2}}{{हनुमान}} | ||
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]] | |||
[[Category:हनुमान]] |
11:42, 29 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम् |
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ||
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।
लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।
सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
इन्हें भी देखें: हनुमान बजरंग बाण, हनुमान चालीसा एवं संकटमोचन हनुमानाष्टक
|
|
|
|
|