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'''अल्मोड़ा''' नगर [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोड़ा ज़िले]] का प्रशासनिक मुख्यालय है और यह [[उत्तरांचल]] राज्य, उत्तरी [[भारत]] में है। हिमालय की तराई में एक पर्वतश्रेणी पर बसा यह नगर [[नई दिल्ली]] से लगभग 275 किलोमिटर पूर्वोत्तर में स्थित है। 1970 में [[गोरखा]] लोगों ने अल्मोड़ा पर क़ब्ज़ा कर लिया उन्होंने पर्वतश्रेणी के पूर्वी छोर पर एक दुर्ग का निर्माण किया। एक अन्य दुर्ग पश्चिमी छोर पर स्थित है। 1815 में गोरखों को अल्मोड़ा के पास [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। यह एक कृषि व्यापार केन्द्र है और यहाँ कुछ निर्माण इकाइयाँ तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एक महाविद्यालय भी है। सड़क मार्ग के ज़रिये यह नगर दक्षिण स्थित शहरों से जुड़ा हुआ है।
==इतिहास==
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अल्मोड़ा एक [[कुमाऊँ]] की पहाड़ियों में बसा हुआ पहाड़ी नगर है। 1563 ई. तक यह अज्ञात स्थान था। इस वर्ष तक स्थानीय पहाड़ी सरदार चंदराजा बालो कल्याणचंद ने इसे अपनी राजधानी बनाया। उस समय इसे राजापुर कहते थे। ऐतिहासिक आधार पर कहा जा सकता है कि कुमाऊँ का सर्वप्राचीन राजवंश कत्यूरी नामक था। हेनरी इलियट ने कत्यूरी शासकों को खसजातीय सिद्ध करने का प्रयत्न किया है किन्तु स्थानीय परम्परा के अनुसार वे [[अयोध्या]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] नरेशों के वंशज थे। 7वीं शती में कुमायूँ में चंदराजाओं का शासन प्रारम्भ हुआ था। 1797 ई. में अल्मोड़ा को गोरखों ने कत्यूरियों से छीन लिया और [[नेपाल]] में मिला लिया। 1816 ई. में अंग्रेज़ों और गोरखों की लड़ाई के पश्चात् [[सुगौली सन्धि]] के अनुसार अन्य अनेक पहाड़ी स्थानों के साथ ही अल्मोड़े पर भी अंग्रजों का अधिकार हो गया।
==इतिहास==
==लोककथा==
अल्मोड़ा एक [[कुमायूँ]] की पहाड़ियों में बसा हुआ पहाड़ी नगर है। 1563 ई. तक यह अज्ञात स्थान था। इस वर्ष तक स्थानीय पहाड़ी सरदार चंदराजा बालो कल्याणचंद ने इसे अपनी राजधानी बनाया। उस समय इसे राजापुर कहते थे। ऐतिहासिक आधार पर कहा जा सकता है कि कुमायूँ का सर्वप्राचीन राजवंश कत्यूरी नामक था। हेनरी इलियट ने कत्यूरी शासकों को खसजातीय सिद्ध करने का प्रयत्न किया है किन्तु स्थानीय परम्परा के अनुसार वे [[अयोध्या]] के सूर्यवंशी नरेशों के वंशज थे। 7वीं शती में कुमायूँ में चंदराजाओं का शासन प्रारम्भ हुआ था। 1797 ई. में अल्मोड़ा को गोरखों ने कत्यूरियों से छीन लिया और [[नेपाल]] में मिला लिया। 1896 ई. में अंग्रेज़ों और गोरखों की लड़ाई के पश्चात् सिंगौली की सन्धि के अनुसार अन्य अनेक पहाड़ी स्थानों के साथ ही अल्मोड़े पर भी अंग्रजों का अधिकार हो गया।
{{main|अल्मोड़ा की लोककथा}}
अल्मोड़ा से जुड़ी एक [[लोककथा]] भी है जिसके अनुसार- "छह सौ साल पुरानी बात है। उत्तराखण्ड में [[कुमाऊँ]] का एक राजा था। वह एक बार शिकार खेलने अल्मोडा की घाटी में गया। वहाँ घना जंगल था। शिकार की टोह लेने के दौरान वहीं झाडियों में से एक खरगोश निकला। राजा ने उसका पीछा किया। अचानक वह खरगोश चीते में बदल गया और फिर दृष्टि से ओझल हो गया। इस घटना से स्तब्ध हुये राजा ने पंडितों की एक सभा बुलाई और उनसे इसका अर्थ पूछा। पंडितों ने कहा इसका अर्थ है कि जहाँ चीता दृष्टि से ओझल हो जाय, वहाँ एक नया नगर बसना चाहिऐ, क्योंकि चीते केवल उसी स्थान से भाग जाते हैं, जहाँ मनुष्यों को एक बडी संख्या में बसना हो। नया शहर बसाने का काम शुरू हुआ और इस प्रकार छह सौ साल पहले अल्मोडा नगर की नींव पडी।
 
==कृषि और व्यापार==
*यहाँ पर [[कृषि]] कार्य मुख्यतः नदी घाटियों तक ही सीमित है।
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==प्रमुख स्थल==
==प्रमुख स्थल==
*[[चम्पावत]]
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==पर्यटन==
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यहाँ के प्रमुख स्थलों में त्रिशूल चोटियाँ, नन्दा देवी का मन्दिर, जहाँ हर साल मेला लगता है। मृग विहार, ब्राइट एण्ड कार्नर, जहाँ लोग सूर्योदय और सूर्यास्त देखने आते हैं और गोविन्द वल्लभ पंत संग्रहालय शामिल हैं, जिसमें इस क्षेत्र की लोक चित्रकला शैली के चित्रों का अच्छा संग्रह है।
यहाँ के प्रमुख स्थलों में त्रिशूल चोटियाँ, नन्दा देवी का मन्दिर, जहाँ हर साल मेला लगता है। मृग विहार, ब्राइट एण्ड कार्नर, जहाँ लोग सूर्योदय और सूर्यास्त देखने आते हैं और गोविन्द वल्लभ पंत संग्रहालय शामिल हैं, जिसमें इस क्षेत्र की लोक चित्रकला शैली के चित्रों का अच्छा संग्रह है।
[[स्वामी विवेकानन्द]] ने विश्व भ्रमण के साथ [[उत्तराखण्ड]] के अनेक क्षेत्रों में भी भ्रमण किया जिनमें अल्मोड़ा तथा [[मायावती अद्वैत आश्रम|चम्पावत]] में उनकी विश्राम स्थली को धरोहर के रूप में सुरक्षित किया गया है।
===कटारमल सूर्य मंदिर===
{{main|सूर्य मंदिर अल्मोडा}}
कटारमल सूर्य मंदिर न सिर्फ समूचे कुमांऊ प्रदेश का सबसे विशाल ऊंचा और अनूठा मंदिर है बल्कि [[उडीसा]] के कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद उकमात्र प्राचीन सूर्च मंदिर भी है। रानीखेत अल्मोडा मार्ग पर अल्मोडा से 12 किलोमीटर पहले मुख्य सडक से क़रीब ढाई किमी उपर जाकर कटारमल गांव आता है जिसे बड आदित्य सूर्य मंदिर भी कहा जाता है।
==जनसंख्या==
==जनसंख्या==
1991 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा नगर की कुल जनसंख्या 30,613 है।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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07:45, 26 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

अल्मोड़ा
विवरण प्रकृति की गोद में बसा उत्तराखण्ड का यह छोटा-सा नगर स्वयं में बड़ा इतिहास समेटे है।
राज्य उत्तराखण्ड
ज़िला चम्पावत ज़िला
मार्ग स्थिति यह शहर सड़कमार्ग द्वारा टनकपुर लगभग 75 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि देवीधुरा मेला, बग्वाल, एवटमाउन्ट, ‎पूर्णागिरि मेला
कैसे पहुँचें किसी भी शहर से बस और टैक्सी द्वारा पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा पन्तनगर, नैनी सैनी हवाई अड्डा, पिथौरागढ़
रेलवे स्टेशन टनकपुर रेलवे स्टेशन
क्या देखें उत्तराखण्ड पर्यटन
क्या ख़रीदें गहत स्थानीय दाल,
एस.टी.डी. कोड 0176
सावधानी बरसात में भूस्खलन
गूगल मानचित्र, हवाई अड्डा
अन्य जानकारी चम्पावत में आप बग्वाल का भी आनन्द ले सकते हैं।
अल्मोड़ा अल्मोड़ा पर्यटन अल्मोड़ा ज़िला
अल्मोड़ा का एक दृश्य
A Veiw Of Almora

अल्मोड़ा नगर अल्मोड़ा ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है और यह उत्तरांचल राज्य, उत्तरी भारत में है। हिमालय की तराई में एक पर्वतश्रेणी पर बसा यह नगर नई दिल्ली से लगभग 275 किलोमिटर पूर्वोत्तर में स्थित है। 1970 में गोरखा लोगों ने अल्मोड़ा पर क़ब्ज़ा कर लिया उन्होंने पर्वतश्रेणी के पूर्वी छोर पर एक दुर्ग का निर्माण किया। एक अन्य दुर्ग पश्चिमी छोर पर स्थित है। 1815 में गोरखों को अल्मोड़ा के पास अंग्रेज़ों के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। यह एक कृषि व्यापार केन्द्र है और यहाँ कुछ निर्माण इकाइयाँ तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एक महाविद्यालय भी है। सड़क मार्ग के ज़रिये यह नगर दक्षिण स्थित शहरों से जुड़ा हुआ है।

इतिहास

अल्मोड़ा एक कुमाऊँ की पहाड़ियों में बसा हुआ पहाड़ी नगर है। 1563 ई. तक यह अज्ञात स्थान था। इस वर्ष तक स्थानीय पहाड़ी सरदार चंदराजा बालो कल्याणचंद ने इसे अपनी राजधानी बनाया। उस समय इसे राजापुर कहते थे। ऐतिहासिक आधार पर कहा जा सकता है कि कुमाऊँ का सर्वप्राचीन राजवंश कत्यूरी नामक था। हेनरी इलियट ने कत्यूरी शासकों को खसजातीय सिद्ध करने का प्रयत्न किया है किन्तु स्थानीय परम्परा के अनुसार वे अयोध्या के सूर्यवंशी नरेशों के वंशज थे। 7वीं शती में कुमायूँ में चंदराजाओं का शासन प्रारम्भ हुआ था। 1797 ई. में अल्मोड़ा को गोरखों ने कत्यूरियों से छीन लिया और नेपाल में मिला लिया। 1816 ई. में अंग्रेज़ों और गोरखों की लड़ाई के पश्चात् सुगौली सन्धि के अनुसार अन्य अनेक पहाड़ी स्थानों के साथ ही अल्मोड़े पर भी अंग्रजों का अधिकार हो गया।

लोककथा

अल्मोड़ा से जुड़ी एक लोककथा भी है जिसके अनुसार- "छह सौ साल पुरानी बात है। उत्तराखण्ड में कुमाऊँ का एक राजा था। वह एक बार शिकार खेलने अल्मोडा की घाटी में गया। वहाँ घना जंगल था। शिकार की टोह लेने के दौरान वहीं झाडियों में से एक खरगोश निकला। राजा ने उसका पीछा किया। अचानक वह खरगोश चीते में बदल गया और फिर दृष्टि से ओझल हो गया। इस घटना से स्तब्ध हुये राजा ने पंडितों की एक सभा बुलाई और उनसे इसका अर्थ पूछा। पंडितों ने कहा इसका अर्थ है कि जहाँ चीता दृष्टि से ओझल हो जाय, वहाँ एक नया नगर बसना चाहिऐ, क्योंकि चीते केवल उसी स्थान से भाग जाते हैं, जहाँ मनुष्यों को एक बडी संख्या में बसना हो। नया शहर बसाने का काम शुरू हुआ और इस प्रकार छह सौ साल पहले अल्मोडा नगर की नींव पडी।

कृषि और व्यापार

  • यहाँ पर कृषि कार्य मुख्यतः नदी घाटियों तक ही सीमित है।
  • चावल, गेहूँ, फल, मोटे अनाज और चाय यहाँ पर उगाई जाने वाली फ़सलों में शामिल हैं।
  • यहाँ पाए जाने वाले खनिजों में ताँबा और मैग्नेटाइट के भण्डार शामिल हैं।

प्रमुख स्थल

पर्यटन

यहाँ के प्रमुख स्थलों में त्रिशूल चोटियाँ, नन्दा देवी का मन्दिर, जहाँ हर साल मेला लगता है। मृग विहार, ब्राइट एण्ड कार्नर, जहाँ लोग सूर्योदय और सूर्यास्त देखने आते हैं और गोविन्द वल्लभ पंत संग्रहालय शामिल हैं, जिसमें इस क्षेत्र की लोक चित्रकला शैली के चित्रों का अच्छा संग्रह है। स्वामी विवेकानन्द ने विश्व भ्रमण के साथ उत्तराखण्ड के अनेक क्षेत्रों में भी भ्रमण किया जिनमें अल्मोड़ा तथा चम्पावत में उनकी विश्राम स्थली को धरोहर के रूप में सुरक्षित किया गया है।

कटारमल सूर्य मंदिर

कटारमल सूर्य मंदिर न सिर्फ समूचे कुमांऊ प्रदेश का सबसे विशाल ऊंचा और अनूठा मंदिर है बल्कि उडीसा के कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद उकमात्र प्राचीन सूर्च मंदिर भी है। रानीखेत अल्मोडा मार्ग पर अल्मोडा से 12 किलोमीटर पहले मुख्य सडक से क़रीब ढाई किमी उपर जाकर कटारमल गांव आता है जिसे बड आदित्य सूर्य मंदिर भी कहा जाता है।

जनसंख्या

1991 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा नगर की कुल जनसंख्या 30,613 है।


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