"शीला दीक्षित": अवतरणों में अंतर
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{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | |||
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}}'''शीला दीक्षित''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sheila Dikshit'', जन्म: [[31 मार्च]], [[1938]]- निधन: [[20 जुलाई]], [[2019]]) [[केरल]] की पूर्व [[राज्यपाल]] एवं [[दिल्ली]] की पूर्व [[मुख्यमंत्री]] थीं। इन्हें [[17 दिसंबर]], [[2008]] में लगातार तीसरी बार दिल्ली विधान सभा के लिये चुना गया था। शीला दीक्षित का मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल [[4 दिसम्बर]], [[1998]] से [[27 दिसम्बर]], [[2013]] तक लगातार 15 वर्ष रहा, जो एक रिकार्ड है। इनका चुनाव क्षेत्र [[नयी दिल्ली]] रहा। ये दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री थीं। इनसे पहले [[सुषमा स्वराज]] भी दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी थीं। | |||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
शीला दीक्षित का जन्म [[31 मार्च]], [[1938]] को [[पंजाब]] के [[कपूरथला|कपूरथला नगर]] में हुआ था। इनके पति का नाम विनोद दीक्षित है। इन्होंने अपनी शिक्षा [[दिल्ली]] के कान्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी स्कूल से ली। बाद में स्नातक और कला स्नातकोत्तर की शिक्षा मिरांडा हाउस कॉलेज से ली। इनका विवाह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पूर्व राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री रहे, [[उमा शंकर दीक्षित|श्री उमा शंकर दीक्षित]] के परिवार में हुआ। इनके पति स्व. श्री विनोद दीक्षित, जो [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] के सदस्य रहे थे। इनकी दो संतान, एक पुत्र व एक पुत्री हैं। | |||
==राजनीतिक परिचय== | ==राजनीतिक परिचय== | ||
इन्हें राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव है। इन्होंने केन्द्रीय सरकार में [[1986]] से [[1989]] तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था। पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं। [[1984]] - 89 में इन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] की [[कन्नौज]] लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने [[लोक सभा]] की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी। | इन्हें राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव है। इन्होंने केन्द्रीय सरकार में [[1986]] से [[1989]] तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था। पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में, [[प्रधानमंत्री कार्यालय]] में राज्य मंत्री रहीं। [[1984]] - 89 में इन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] की [[कन्नौज]] लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने [[लोक सभा]] की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर [[1998]] में कांग्रेस को [[दिल्ली]] में अभूतपूर्व विजय दिलायी। | ||
==राजनीतिक सफ़र== | |||
* शीला दीक्षित [[1984]] से [[1989]] तक कन्नौज संसदीय क्षेत्र से [[लोकसभा]] सदस्य थीं। वे लोकसभा की प्राक्कलन समिति में रहीं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के स्टेटस औफ़ विमन के लिये बने आयोग में भारत की नुमाइंदगी की। | |||
* [[1986]] से [[1989]] में वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में संसदीय मामले की राज्यमंत्री रहीं तथा बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री बनीं। | |||
* शीला दीक्षित लगातार तीसरी बार दिल्ली की मुख्य मंत्री बनीं हैं। [[1988]] में [[कांग्रेस]] ने पहली बार उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर दिल्ली की बागडौर सौंपी थी। | |||
* इस से पहले उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में शीला दीक्षित की प्राथमिकता प्रशासनिक स्तर पर सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता तथा विकास पर अमल कराना रही। | |||
* दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में वे [[2008]] में देश की सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री चुनी गईं। एनडीटीवी की ओर से उन्हें 2009 का 'पोलिटिशियन और दी ईयर' चुना गया। 70 के दशक में वे यंग विमान एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं।<ref>{{cite web |url=http://uditbhargavajaipur.blogspot.in/2010/07/blog-post_29.html |title=शीला दीक्षित |accessmonthday=6 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अपने विचार (ब्लॉग) |language=हिंदी }}</ref> | |||
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==व्यक्तित्व== | ==व्यक्तित्व== | ||
कई वर्षों के अनुभव के बाद शीला दीक्षित राजनीति के दांव-पेंच बहुत अच्छी राजनीतिज्ञ हैं। एक बेहद कुशल राजनेत्री होने के साथ ही शीला दीक्षित कला प्रेमी भी हैं। व्यक्तिगत जीवन में आत्म-निर्भर और आत्मविश्वासी महिला हैं। लगातार तीन बार मुख्यमंत्री पद पर जीत दर्ज करना स्वयं अपने आप में एक रिकॉर्ड है, जिससे यह साफ प्रमाणित होता है कि शीला दीक्षित के व्यक्तित्व में बेजोड़ नेतृत्व क्षमता है। | |||
==योगदान== | |||
{{लेख प्रगति | शीला दीक्षित ने महिला उत्थान के लिए कड़े प्रयास किए हैं साथ ही महिलाओं को समाज में बराबरी का स्थान दिलवाने के लिए चलाए विभिन्न अभियानों का भी इन्होंने कुशल नेतृत्व किया है। इन्होंने [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की महिला स्तर समिति में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व भी पांच वर्षों (1984 - 89) तक किया। इन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] में अपने 82 साथियों के साथ [[अगस्त]] [[1990]] में 23 दिनों की जेल यात्रा की थी, जब वे महिलाओं पर समाज के अत्याचारों के विरोध में उठ खडी हुईं, इससे भड़के हुए लाखों राज्य के नागरिक इस अभियान से जुड़े, व जेलें भरीं। [[1970]] में वे यंग विमन्स एसोसियेशन की अध्यक्ष भी रहीं, जिसके दौरान, इन्होंने दिल्ली में दो बड़े महिला छात्रावास खुलवाये। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों के विरोध में शीला दीक्षित ने प्रभावकारी प्रदर्शन भी किए थे, जिसकी वजह से उन्हें [[अगस्त]] [[1990]] में 23 दिनों की जेल यात्रा भी करनी पड़ी। इस यात्रा में उनके साथ उनके 82 सहयोगी भी थे। उनके इस कदम का व्यापक प्रभाव पड़ा। परिणामस्वरूप उनकी गिरफ्तारी से भड़के हुए लाखों नागरिक इस अभियान से जुड़े व जेलें भरीं। वर्ष 1970 में शीला दीक्षित 'यंग विमन्स एसोसिएशन' की अध्यक्ष भी रहीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका इंदिरा गाँधी स्मारक ट्रस्ट की सचिव भी शीला दीक्षित ही हैं। यह ट्रस्ट शांति, निशस्त्रीकरण एवं विकास के लिये इंदिरा गाँधी पुरस्कार देता है व विश्वव्यापी विषयों पर सम्मेलन आयोजित करता है। इतना ही नहीं शीला दीक्षित के संरक्षण में ही इस ट्रस्ट ने एक पर्यावरण केन्द्र भी खोला है। इसके अलावा शीला दीक्षित, हस्तकला व ग्रामीण कलाकारों व कारीगरों के उत्थान में विशेष रुचि लेती हैं। ग्रामीण रंगशाला व नाट्यशालाओं का विकास, इनका विशेष कार्य रहा है। [[1978]] से [[1984]] के बीच गार्मेंट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के कार्यपालक सचिव पद पर इन्होंने तैयार कपड़ा निर्यात को एक ऊंचे स्तर पर पहुंचाया।<ref>{{cite web |url=http://politics.jagranjunction.com/2011/08/19/chief-minister-sheila-dixit-profile/ |title=मुख्यमंत्री शीला दीक्षित |accessmonthday=6 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण जंक्शन |language=हिंदी }}</ref> | ||
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[[Category: | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://www.delhigovt.nic.in/sheila.asp The Chief Minister] | |||
*[http://www.citymayors.com/mayors/delhi-mayor.html Sheila Dikshit] | |||
==संबंधित लेख== | |||
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08:53, 15 मार्च 2020 के समय का अवतरण
शीला दीक्षित
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पूरा नाम | शीला दीक्षित |
जन्म | 31 मार्च, 1938 |
जन्म भूमि | कपूरथला, पंजाब |
मृत्यु | 20 जुलाई 2019 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
पति/पत्नी | स्व. विनोद दीक्षित |
संतान | एक पुत्र व एक पुत्री |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | केरल की पूर्व राज्यपाल, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री |
कार्य काल | मुख्यमंत्री- 4 दिसम्बर, 1998 से 27 दिसम्बर, 2013 तक |
शिक्षा | स्नातकोत्तर |
विद्यालय | कान्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी स्कूल, मिरांडा हाउस कॉलेज |
भाषा | हिंदी, अंग्रेज़ी |
जेल यात्रा | अगस्त 1990 में 23 दिनों की जेल यात्रा |
अन्य जानकारी | व्यक्तिगत जीवन में आत्म-निर्भर और आत्मविश्वासी महिला शीला दीक्षित ने लगातार तीन बार मुख्यमंत्री पद पर जीत दर्ज करके दिल्ली में एक रिकॉर्ड बनाया है। |
अद्यतन | 12:54, 20 जनवरी 2015 (IST)
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शीला दीक्षित (अंग्रेज़ी: Sheila Dikshit, जन्म: 31 मार्च, 1938- निधन: 20 जुलाई, 2019) केरल की पूर्व राज्यपाल एवं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री थीं। इन्हें 17 दिसंबर, 2008 में लगातार तीसरी बार दिल्ली विधान सभा के लिये चुना गया था। शीला दीक्षित का मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल 4 दिसम्बर, 1998 से 27 दिसम्बर, 2013 तक लगातार 15 वर्ष रहा, जो एक रिकार्ड है। इनका चुनाव क्षेत्र नयी दिल्ली रहा। ये दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री थीं। इनसे पहले सुषमा स्वराज भी दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी थीं।
जीवन परिचय
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला नगर में हुआ था। इनके पति का नाम विनोद दीक्षित है। इन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली के कान्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी स्कूल से ली। बाद में स्नातक और कला स्नातकोत्तर की शिक्षा मिरांडा हाउस कॉलेज से ली। इनका विवाह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पूर्व राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री रहे, श्री उमा शंकर दीक्षित के परिवार में हुआ। इनके पति स्व. श्री विनोद दीक्षित, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य रहे थे। इनकी दो संतान, एक पुत्र व एक पुत्री हैं।
राजनीतिक परिचय
इन्हें राजनीति में प्रशासन व संसदीय कार्यों का अच्छा अनुभव है। इन्होंने केन्द्रीय सरकार में 1986 से 1989 तक मंत्री पद भी ग्रहण किया था। पहले ये, संसदीय कार्यों की राज्य मंत्री रहीं, तथा बाद में, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री रहीं। 1984 - 89 में इन्होंने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। संसद सदस्य के कार्यकाल में, इन्होंने लोक सभा की एस्टीमेट्स समिति के साथ कार्य किया। इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चालीसवीं वर्षगांठ की कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता भी की थी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष के पद पर 1998 में कांग्रेस को दिल्ली में अभूतपूर्व विजय दिलायी।
राजनीतिक सफ़र
- शीला दीक्षित 1984 से 1989 तक कन्नौज संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य थीं। वे लोकसभा की प्राक्कलन समिति में रहीं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के स्टेटस औफ़ विमन के लिये बने आयोग में भारत की नुमाइंदगी की।
- 1986 से 1989 में वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल में संसदीय मामले की राज्यमंत्री रहीं तथा बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री बनीं।
- शीला दीक्षित लगातार तीसरी बार दिल्ली की मुख्य मंत्री बनीं हैं। 1988 में कांग्रेस ने पहली बार उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर दिल्ली की बागडौर सौंपी थी।
- इस से पहले उन्हें दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में शीला दीक्षित की प्राथमिकता प्रशासनिक स्तर पर सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता तथा विकास पर अमल कराना रही।
- दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में वे 2008 में देश की सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री चुनी गईं। एनडीटीवी की ओर से उन्हें 2009 का 'पोलिटिशियन और दी ईयर' चुना गया। 70 के दशक में वे यंग विमान एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं।[1]
व्यक्तित्व
कई वर्षों के अनुभव के बाद शीला दीक्षित राजनीति के दांव-पेंच बहुत अच्छी राजनीतिज्ञ हैं। एक बेहद कुशल राजनेत्री होने के साथ ही शीला दीक्षित कला प्रेमी भी हैं। व्यक्तिगत जीवन में आत्म-निर्भर और आत्मविश्वासी महिला हैं। लगातार तीन बार मुख्यमंत्री पद पर जीत दर्ज करना स्वयं अपने आप में एक रिकॉर्ड है, जिससे यह साफ प्रमाणित होता है कि शीला दीक्षित के व्यक्तित्व में बेजोड़ नेतृत्व क्षमता है।
योगदान
शीला दीक्षित ने महिला उत्थान के लिए कड़े प्रयास किए हैं साथ ही महिलाओं को समाज में बराबरी का स्थान दिलवाने के लिए चलाए विभिन्न अभियानों का भी इन्होंने कुशल नेतृत्व किया है। इन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महिला स्तर समिति में भारत का प्रतिनिधित्व भी पांच वर्षों (1984 - 89) तक किया। इन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने 82 साथियों के साथ अगस्त 1990 में 23 दिनों की जेल यात्रा की थी, जब वे महिलाओं पर समाज के अत्याचारों के विरोध में उठ खडी हुईं, इससे भड़के हुए लाखों राज्य के नागरिक इस अभियान से जुड़े, व जेलें भरीं। 1970 में वे यंग विमन्स एसोसियेशन की अध्यक्ष भी रहीं, जिसके दौरान, इन्होंने दिल्ली में दो बड़े महिला छात्रावास खुलवाये। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों के विरोध में शीला दीक्षित ने प्रभावकारी प्रदर्शन भी किए थे, जिसकी वजह से उन्हें अगस्त 1990 में 23 दिनों की जेल यात्रा भी करनी पड़ी। इस यात्रा में उनके साथ उनके 82 सहयोगी भी थे। उनके इस कदम का व्यापक प्रभाव पड़ा। परिणामस्वरूप उनकी गिरफ्तारी से भड़के हुए लाखों नागरिक इस अभियान से जुड़े व जेलें भरीं। वर्ष 1970 में शीला दीक्षित 'यंग विमन्स एसोसिएशन' की अध्यक्ष भी रहीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका इंदिरा गाँधी स्मारक ट्रस्ट की सचिव भी शीला दीक्षित ही हैं। यह ट्रस्ट शांति, निशस्त्रीकरण एवं विकास के लिये इंदिरा गाँधी पुरस्कार देता है व विश्वव्यापी विषयों पर सम्मेलन आयोजित करता है। इतना ही नहीं शीला दीक्षित के संरक्षण में ही इस ट्रस्ट ने एक पर्यावरण केन्द्र भी खोला है। इसके अलावा शीला दीक्षित, हस्तकला व ग्रामीण कलाकारों व कारीगरों के उत्थान में विशेष रुचि लेती हैं। ग्रामीण रंगशाला व नाट्यशालाओं का विकास, इनका विशेष कार्य रहा है। 1978 से 1984 के बीच गार्मेंट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के कार्यपालक सचिव पद पर इन्होंने तैयार कपड़ा निर्यात को एक ऊंचे स्तर पर पहुंचाया।[2]
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा जहां उनकी सीधी टक्कर लगातार 15 साल से शीला दीक्षित से थी। उन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 22 हज़ार मतों से हराया। नौकरशाह से सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीतिज्ञ बने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में धमाकेदार प्रवेश किया। आम आदमी पार्टी ने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतकर प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। सत्तारूढ़ काँग्रेस पार्टी सिर्फ़ 10 सीटें लेकर तीसरे स्थान पर खिसक गयी।
निधन
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 20 जुलाई 2019 को निधन हो गया। वह 81 साल की थीं। वह लंबे समय से बीमार चल रही थीं। उनका एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ शीला दीक्षित (हिंदी) अपने विचार (ब्लॉग)। अभिगमन तिथि: 6 दिसम्बर, 2012।
- ↑ मुख्यमंत्री शीला दीक्षित (हिंदी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 6 दिसम्बर, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |