"बुधवार व्रत की आरती": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__

14:26, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण

आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्यौछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भर पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी। आरती करें सकल नर नारी॥
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥

इन्हें भी देखें: रविवार व्रत की आरती एवं शुक्रवार व्रत की आरती

संबंधित लेख