"इतिहास सामान्य ज्ञान 4": अवतरणों में अंतर
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{[[मोहन जोदड़ो]] स्नानागार के पूर्व में स्थित [[स्तूप]] का निर्माण किस काल में किया गया? | |||
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- [[मौर्य काल]] | |||
+ [[कुषाण काल]] | |||
- [[शुंग|शुंग काल]] | |||
- [[सातवाहन काल]] | |||
|| अनेक इतिहासकारों का मत है, कि [[कुषाण]] किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था। यह नाम युइशि जाति की उस शाखा का था, जिसने अन्य चारों युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था। जिस राजा ने पाँचों युइशि राज्यों को मिलाकर अपनी शक्ति का उत्कर्ष किया, उसका अपना नाम [[कुजुल कडफ़ाइसिस]] था। पर्याप्त प्रमाण के अभाव में यह निश्चित कर सकना कठिन है कि जिस युइशि वीर ने अपनी जाति के विविध राज्यों को जीतकर एक सूत्र में संगठित किया, उसका वैयक्तिक नाम कुषाण था या कुजुल था। यह असंदिग्ध है, कि बाद के युइशि राजा भी [[कुषाण वंश|कुषाण वंशी]] थे। राजा कुषाण के वंशज होने के कारण वे कुषाण कहलाए, या युइशि जाति की कुषाण शाखा में उत्पन्न होने के कारण - यह निश्चित न होने पर भी इसमें सन्देह नहीं कि ये राजा कुषाण कहलाते थे और इन्हीं के द्वारा स्थापित साम्राज्य को कुषाण साम्राज्य कहा जाता है। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुषाण काल]] | |||
{'सिंध का बाग' या 'मृतकों का टीला' [[हड़प्पा सभ्यता]] के किस पुरास्थल को कहा गया? | |||
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- [[हड़प्पा]] | |||
- [[कालीबंगा]] | |||
+ [[मोहनजोदाड़ो]] | |||
- [[लोथल]] | |||
|| [[चित्र:King-priest-mohenjo-daro.jpg|right|100px|प्रधान अनुष्ठानकर्ता मोहनजोदाड़ो 2000 ई.पू.]] [[मोहनजोदाड़ो]], जिसका कि अर्थ मुर्दो का टीला है 2600 ईसा पूर्व की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता के ध्वंसावशेष [[पाकिस्तान]] के सिन्ध प्रान्त के 'लरकाना ज़िले' में [[सिंधु नदी]] के दाहिने किनारे पर प्राप्त हुए हैं। यह नगर क़रीब 5 कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। मोहनजोदाड़ो के टीलों का 1922 ई. में खोजने का श्रेय 'राखालदास बनर्जी' को प्राप्त हुआ। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मोहनजोदाड़ो]] | |||
{मुस्लिम क़ानून के चार स्रोतों में से तीन क़ुरान, हदीस एवं इज्मा हैं। निम्नलिखित में से कौनसा चौथा स्रोत है? | {मुस्लिम क़ानून के चार स्रोतों में से तीन क़ुरान, हदीस एवं इज्मा हैं। निम्नलिखित में से कौनसा चौथा स्रोत है? | ||
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-[[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] | -[[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] | ||
||[[तराइन का युद्ध|तराइन के युद्ध]] के बाद मुइज्जुद्दीन ग़ज़नी लौट गया और [[भारत]] के विजित क्षेत्रों का शासन अपने विश्वनीय ग़ुलाम '[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]' के हाथों में छोड़ दिया। पृथ्वीराज के पुत्र को [[रणथम्भौर]] सौंप दिया गया जो तेरहवीं शताब्दी में शक्तिशाली चौहानों की राजधानी बना। अगले दो वर्षों में ऐबक ने, ऊपरी दोआब में [[मेरठ]], बरन तथा कोइल (आधुनिक [[अलीगढ़]]) पर क़ब्ज़ा किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] | ||[[तराइन का युद्ध|तराइन के युद्ध]] के बाद मुइज्जुद्दीन ग़ज़नी लौट गया और [[भारत]] के विजित क्षेत्रों का शासन अपने विश्वनीय ग़ुलाम '[[कुतुबुद्दीन ऐबक]]' के हाथों में छोड़ दिया। पृथ्वीराज के पुत्र को [[रणथम्भौर]] सौंप दिया गया जो तेरहवीं शताब्दी में शक्तिशाली चौहानों की राजधानी बना। अगले दो वर्षों में ऐबक ने, ऊपरी दोआब में [[मेरठ]], बरन तथा कोइल (आधुनिक [[अलीगढ़]]) पर क़ब्ज़ा किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कुतुबुद्दीन ऐबक]] | ||
{[[झाँसी]] की [[रानी लक्ष्मीबाई]] की मृत्यु हुई थी? | {[[झाँसी]] की [[रानी लक्ष्मीबाई]] की मृत्यु हुई थी? | ||
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-फ़रीदुद्दीन अत्तार | -फ़रीदुद्दीन अत्तार | ||
-इब्नुल अरबी | -इब्नुल अरबी | ||
{[[अगस्त्य|ऋषि अगस्त्य]] के शिष्य 'तोलक्कपियर' ने 'तोलकापियम' नामक ग्रन्थ की रचना की थी, उसमें वर्णित विषय था? | {[[अगस्त्य|ऋषि अगस्त्य]] के शिष्य 'तोलक्कपियर' ने 'तोलकापियम' नामक ग्रन्थ की रचना की थी, उसमें वर्णित विषय था? | ||
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-दलित वर्ग लीग़ | -दलित वर्ग लीग़ | ||
+उपर्युक्त (1) और (2) दोनों | +उपर्युक्त (1) और (2) दोनों | ||
{[[सिंधु घाटी सभ्यता|सैंधव सभ्यता]] के सम्बन्ध में निम्न में से कौन असत्य है? | |||
|type="()"} | |||
- ये लकड़ी के हल का प्रयोग करते थे | |||
- सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय सिन्धु निवासियों को है | |||
+ नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती थी | |||
- कोठार सिन्धु संस्कृति के महत्त्वपूर्ण अंग थे | |||
{[[हड़प्पा]] सभ्यता की मुद्राएँ किससे निर्मित की जाती थीं? | |||
|type="()"} | |||
- तांबे से | |||
- सोने से | |||
+ मिट्टी से | |||
- कांस्य | |||
{निम्नलिखित में से किस ग्रन्थ में सर्वप्रथम पुनर्जन्म के सिद्धान्त का उल्लेख मिलता है? | {निम्नलिखित में से किस ग्रन्थ में सर्वप्रथम पुनर्जन्म के सिद्धान्त का उल्लेख मिलता है? | ||
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-अपरिग्रह | -अपरिग्रह | ||
+ब्रह्मचर्य | +ब्रह्मचर्य | ||
{ऋग्वैदिक आर्यों की भाषा क्या थी? | |||
|type="()"} | |||
- द्रविड़ भाषा | |||
- [[प्राकृत भाषा]] | |||
+ [[संस्कृत भाषा]] | |||
- [[पालि भाषा]] | |||
||संस्कृत [[भारत]] की एक शास्त्रीय भाषा है। यह दुनिया की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है। '''संस्कृत का अर्थ है, संस्कार की हुई भाषा। इसकी गणना संसार की प्राचीनतम ज्ञात भाषाओं में होती है। संस्कृत को देववाणी भी कहते हैं।''' संस्कृत हिन्दी-यूरोपीय भाषा परिवार की मुख्य शाखा हिन्दी-ईरानी भाषा की हिन्दी-आर्य उपशाखा की मुख्य भाषा है। आधुनिक भारतीय भाषाएँ हिन्दी, मराठी, सिन्धी, [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], बंगला, उड़िया, नेपाली, कश्मीरी, उर्दू आदि सभी भाषाएं इसी से उत्पन्न हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। [[हिन्दू धर्म]] के लगभग सभी [[धर्मग्रन्थ]] संस्कृत भाषा में ही लिखे हुए हैं। आज भी हिन्दू धर्म के [[यज्ञ]] और पूजा संस्कृत भाषा में ही होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संस्कृत भाषा]] | |||
{ऋग्वैदिक काल में समाज का स्वरूप किस प्रकार का था? | |||
|type="()"} | |||
+ पितृसत्तात्मक | |||
- मातृसत्तात्मक | |||
- 1 एवं 2 दोनों | |||
- केवल 1 | |||
{[[बुद्ध]] को किस नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ? | {[[बुद्ध]] को किस नदी के तट पर ज्ञान प्राप्त हुआ? | ||
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-पूर्णिमा की ही रात को बुद्ध ने गृह-त्याग किया | -पूर्णिमा की ही रात को बुद्ध ने गृह-त्याग किया | ||
-पूर्णिमा को ही बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ। | -पूर्णिमा को ही बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ। | ||
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13:00, 8 मार्च 2011 का अवतरण
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