"गाँधी हॉल इन्दौर": अवतरणों में अंतर

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*सन [[1904]] में स्थापित किंग एडवर्ड हॉल के नाम पर आधारित इसका नाम सन [[1948]] में महात्मा गाँधी हॉल रख दिया गया।  
*सन [[1904]] में स्थापित किंग एडवर्ड हॉल के नाम पर आधारित इसका नाम सन [[1948]] में महात्मा गाँधी हॉल रख दिया गया।  
*गांधी हॉल का वास्तुशिल्प इण्डो- गोथिक है एवं सिवनी पत्थर से बनी इस इमारत के छत्र और गोलाईयाँ आज इन्दौर की पहचान बन चुकी है।  
*गांधी हॉल का वास्तुशिल्प इण्डो- गोथिक है एवं सिवनी पत्थर से बनी इस इमारत के छत्र और गोलाईयाँ आज इन्दौर की पहचान बन चुकी है।  
*इसके सामने वाले हिस्से में एक चार मुख वाली घड़ी है जिसके कारण उसे घंटाघर कहा जाने लगा।  
*इसके सामने वाले हिस्से में एक चार मुख वाली घड़ी है जिसके कारण गाँधी हॉल को घंटाघर कहा जाने लगा।  
*इसके मध्यवर्ती हॉल की क्षमता 2000 लोगों की है जिसके कारण यहाँ वर्ष भर पुस्तक एवं चित्रों की प्रदर्शनी लगती रहती है।  
*इसके मध्यवर्ती हॉल की क्षमता 2000 लोगों की है जिसके कारण यहाँ वर्ष भर पुस्तक एवं चित्रों की प्रदर्शनी लगती रहती है।  
*यहाँ पर पुस्तकालय, उद्यान एवं मन्दिर भी है। <ref>{{cite web |url=http://www.abhyasmandal.com/indore.html  |title=कुछ प्रेक्षनीय स्थल एवं संक्षिप्त परिचय |accessmonthday=[[12 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=अभ्यास मंडल |language=हिन्दी}}</ref>
*यहाँ पर पुस्तकालय, उद्यान एवं मन्दिर भी है। <ref>{{cite web |url=http://www.abhyasmandal.com/indore.html  |title=कुछ प्रेक्षनीय स्थल एवं संक्षिप्त परिचय |accessmonthday=[[12 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=अभ्यास मंडल |language=हिन्दी}}</ref>

05:07, 14 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • मध्य प्रदेश राज्य के शहर इन्दौर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से एक गाँधी हॉल है।
  • टाउन हॉल या गाँधी हॉल इन्दौर शहर के मध्य महात्मा गाँधी रोड पर स्थित है।
  • एक समय में यह इन्दौर की सबसे सुन्दर इमारत थी।
  • सन 1904 में स्थापित किंग एडवर्ड हॉल के नाम पर आधारित इसका नाम सन 1948 में महात्मा गाँधी हॉल रख दिया गया।
  • गांधी हॉल का वास्तुशिल्प इण्डो- गोथिक है एवं सिवनी पत्थर से बनी इस इमारत के छत्र और गोलाईयाँ आज इन्दौर की पहचान बन चुकी है।
  • इसके सामने वाले हिस्से में एक चार मुख वाली घड़ी है जिसके कारण गाँधी हॉल को घंटाघर कहा जाने लगा।
  • इसके मध्यवर्ती हॉल की क्षमता 2000 लोगों की है जिसके कारण यहाँ वर्ष भर पुस्तक एवं चित्रों की प्रदर्शनी लगती रहती है।
  • यहाँ पर पुस्तकालय, उद्यान एवं मन्दिर भी है। [1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुछ प्रेक्षनीय स्थल एवं संक्षिप्त परिचय (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) अभ्यास मंडल। अभिगमन तिथि: 12 फ़रवरी, 2011

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