"शाकम्भरी देवी की आरती": अवतरणों में अंतर
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13:23, 27 फ़रवरी 2011 का अवतरण
हरी श्री शाकम्भरी अम्बा जी की आरती कीजो ।
ऐसा अदभुत रुप हृदय धर लीजो,
शताक्षी दयालु की आरती कीजो ।।
तुम परिपूर्ण आदि भावानी माँ,
सब घट तुम आप बखानी माँ ।।
शाकम्भर अम्बाजी की आरती कीजो
तुम्ही हो शाकम्भर, तुम ही हो शताक्षी माँ
शिवमूर्ति माया प्रकाशी माँ, श्री शाकम्भर
नित जो नर नारी अम्बे आरती गावे माँ
इच्छा पूरण कीजो, शाकम्भर दर्शन पावे माँ,
श्री शाकम्भर ...
जो नर आरती पढे पढावे माँ
जो नर आरती सुने सुनावे माँ
बसे बैकुण्ड शाकम्भर दर्शन पावे, श्री शाकम्भर....
इन्हें भी देखें: आरती संग्रह
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