"अन्नपूर्णा देवी की आरती": अवतरणों में अंतर
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08:00, 21 मार्च 2011 का अवतरण
बारम्बार प्रणाम मैया बारम्बार प्रणाम
जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम्बिके कहाँ उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो लेते होत सब काम ।।
प्रलय युगांतर और जन्मांतर, कालांतर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ।।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्र चुड चंद्रानन चाकर शोभा लखहि ललाम ।।
देवी देव दयनीय दशा में दया दया तव नाम ।
त्राहि त्राहि शारणगत वत्सल शरण रुप तव धाम ।।
श्री, ह्रीं, श्रद्धा, श्रीं ऐं विद्या, श्री क्लीं कमल काम ।
कान्तिभ्रांतिमयी कांति शातिमयी वर देतुनिष्काम ।।
इन्हें भी देखें: आरती संग्रह
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