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+[[महाराष्ट्र]] | +[[महाराष्ट्र]] | ||
-सौराष्ट्र | -[[सौराष्ट्र]] | ||
-प्रतिष्ठान | -प्रतिष्ठान | ||
-[[आन्ध्र प्रदेश]] | -[[आन्ध्र प्रदेश]] | ||
||प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक [[अहमदनगर]] के आसपास का माना जाता | ||प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक [[अहमदनगर]] के आसपास का माना जाता है। सम्राट [[अशोक]] के शिलालेख भी [[मुंबई]] के निकट पाए गए हैं। महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जो महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[महाराष्ट्र]] | ||
{[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार आंध्र [[सातवाहन वंश]] ने लगभग कितने वर्षों तक शासन किया? | {[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार आंध्र [[सातवाहन वंश]] ने लगभग कितने वर्षों तक शासन किया? | ||
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-नारायण | -नारायण | ||
{[[सातवाहन|सातवाहनों]] के समय में सर्वाधिक सिक्के किस धातु के बने हैं? | |||
{सातवाहनों के समय में सर्वाधिक सिक्के किस धातु के बने | |||
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+सीमा | +सीमा | ||
-पोटीन | -पोटीन | ||
-[[ताँबा]] | -[[ताँबा]] | ||
-स्वर्ण | -स्वर्ण | ||
{अशोक द्वारा निर्मित सांची के स्तूप का आकार किस वंश के शासकों ने दुगुना करवाया? | {[[अशोक]] द्वारा निर्मित [[सांची]] के स्तूप का आकार किस वंश के शासकों ने दुगुना करवाया? | ||
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- | -[[कण्व वंश|कण्व]] | ||
-[[सातवाहन वंश|सातवाहन]] | |||
- | +[[शुंग वंश|शुंग]] | ||
-[[कुषाण वंश|कुषाण]] | |||
+शुंग | ||[[मौर्य वंश]] का अंतिम शासक वृहद्रय था। वृहद्रय को उसके ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र ने ई. पूर्व 185 में मार दिया और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हो गया। पुष्यमित्र ने [[अश्वमेध यज्ञ]] किया था। पुष्यमित्र ने सिंहासन पर बैठकर [[मगध]] पर शुंग वंश के शासन का आरम्भ किया। शुंग वंश का शासन सम्भवतः ई. पू. 185 ई. से पू. 100 तक दृढ़ बना रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[शुंग वंश]] | ||
-कुषाण | |||
{[[भारत]] में सबसे पहले किस वंश के शासकों ने [[सोना|सोने]] के सिक्के जारी किये? | |||
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-पार्थियन | -पार्थियन | ||
-[[कुषाण वंश|कुषाण]] | |||
-कुषाण | -[[शक]] | ||
-शक | |||
+हिन्द-यवन | +हिन्द-यवन | ||
{सर्वप्रथम [[भारत]] में विशुद्ध संस्कृत भाषा में लम्बा अभिलेख किस राजा द्वारा जारी किया गया? | {सर्वप्रथम [[भारत]] में विशुद्ध [[संस्कृत भाषा]] में लम्बा अभिलेख किस राजा द्वारा जारी किया गया? | ||
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-यवन राजा मिनाण्डर द्वारा | -[[यवन]] राजा मिनाण्डर द्वारा | ||
-[[पहलव]] राजा गोन्दोफिर्नस द्वारा | |||
-पहलव राजा गोन्दोफिर्नस द्वारा | +[[शक]] राजा रूद्रदामन द्वारा | ||
-[[कुषाण]] राजा [[कनिष्क]] द्वारा | |||
+शक राजा रूद्रदामन | |||
-कुषाण राजा कनिष्क द्वारा | |||
{किस राजा के शासन काल में [[ईसाई धर्म]] प्रचारक 'सेंट थामस' [[भारत]] आया? | |||
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-मिनाण्डर | -मिनाण्डर | ||
-रूद्रदामन | -रूद्रदामन | ||
+गोन्दोफिर्नस | +गोन्दोफिर्नस | ||
-कनिष्क | -[[कनिष्क]] | ||
{[[सातवाहन]] शासकों की राजकीय भाषा क्या थी? | |||
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-पालि | -[[पालि भाषा|पालि]] | ||
-[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] | |||
-संस्कृत | +[[प्राकृत भाषा|प्राकृत]] | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | |||
+प्राकृत | ||प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब संस्कृत का महत्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[प्राकृत भाषा]] | ||
- | |||
{ | |||
{किस [[कुषाण]] शासक ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्रायें जारी की? | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-कडफिसस प्रथम | -कडफिसस प्रथम | ||
+कडफिसस द्वितीय | +कडफिसस द्वितीय | ||
-[[कनिष्क]] | |||
-कनिष्क | |||
-विमकडफिसस | -विमकडफिसस | ||
{किस वंश के शासकों ने 'क्षत्रप प्रणाली' का प्रयोग किया? | {किस वंश के शासकों ने 'क्षत्रप प्रणाली' का प्रयोग किया? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+कुषाणों ने | +[[कुषाण|कुषाणों]] ने | ||
-हिन्द-[[यवन|यवनों]] ने | |||
-हिन्द-यवनों ने | |||
-ईरानियों ने | -ईरानियों ने | ||
-[[शक|शकों]] ने | |||
-शकों ने | ||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]] | ||
{प्राचीन [[भारत]] में सर्वप्रथम किस वंश के शासकों ने 'द्वैध शासन प्रणाली' की शुरूआत की? | {प्राचीन [[भारत]] में सर्वप्रथम किस वंश के शासकों ने 'द्वैध शासन प्रणाली' की शुरूआत की? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-शकों ने | -[[शक|शकों]] ने | ||
-[[गुप्त वंश|गुप्तों]] ने | |||
-गुप्तों ने | +[[कुषाण|कुषाणों]] ने | ||
-[[मौर्य|मौर्यों]] ने | |||
+कुषाणों ने | |||
-मौर्यों ने | |||
{निम्न में से किस विद्वान ने [[कनिष्क]] की राजसभा को सुशोभित नहीं किया? | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अश्वघोष | -[[अश्वघोष]] | ||
-[[नागार्जुन]] | |||
-नागार्जुन | |||
-वसुमित्र | -वसुमित्र | ||
+बसुबन्धु | +बसुबन्धु | ||
{सर्वप्रथम रोम के साथ किन लोगों का व्यापार प्रारम्भ हुआ? | {सर्वप्रथम रोम के साथ किन लोगों का व्यापार प्रारम्भ हुआ? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-कुषाणों का | -[[कुषाण|कुषाणों]] का | ||
+तमिलों एवं [[चेर वंश|चेरों]] का | |||
+तमिलों एवं चेरों का | -[[वाकाटक वंश|वाकाटकों]] का | ||
-[[शक|शकों]] का | |||
-वाकाटकों का | |||
-शकों का | |||
{प्रसिद्ध 'रेशम मार्ग' पर किस वंश के शासकों का अधिकार था? | {प्रसिद्ध 'रेशम मार्ग' पर किस वंश के शासकों का अधिकार था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मौर्यों का | -[[मौर्य|मौर्यों]] का | ||
-शकों का | -[[शक|शकों]] का | ||
+कुषाणों का | +[[कुषाण|कुषाणों]] का | ||
-[[गुप्त वंश|गुप्तों]] का | |||
-गुप्तों का | |||
09:55, 13 मार्च 2011 का अवतरण
इतिहास
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