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-[[सरस्वती नदी|सरस्वती]] | -[[सरस्वती नदी|सरस्वती]] | ||
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||[[संस्कृत]] में सिन्धु शब्द के दो मुख्य अर्थ हैं -- पहला- सिन्धु नदी का नाम, जो लद्दाख़ और [[पाकिस्तान]] से बहती है, और दूसरा- कोई भी नदी या जलराशि। हिन्द [[आर्य]] भाषाऑ की 'स' ध्वनि ईरानी भाषाओं की 'ह' ध्वनि में लगभग हमेशा बदल जाती है (ऐसा भाषाविदों का मानना है) । इसलिये | ||[[संस्कृत]] में सिन्धु शब्द के दो मुख्य अर्थ हैं -- पहला- सिन्धु नदी का नाम, जो लद्दाख़ और [[पाकिस्तान]] से बहती है, और दूसरा- कोई भी नदी या जलराशि। हिन्द [[आर्य]] भाषाऑ की 'स' ध्वनि ईरानी भाषाओं की 'ह' ध्वनि में लगभग हमेशा बदल जाती है (ऐसा भाषाविदों का मानना है) । इसलिये सप्त सिन्धु अवेस्तन भाषा (पारसियों की धर्मभाषा) में जाकर हप्त हिन्दू में परिवर्तित हो गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सिन्धु नदी]] | ||
{उपनिषद काल के राजा अश्वपति शासक थे? | {[[उपनिषद]] काल के राजा अश्वपति शासक थे? | ||
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-काशी के | -[[काशी]] के | ||
+केकय के | +केकय के | ||
-पांचाल के | -[[पांचाल]] के | ||
-विदेह के | -[[विदेह]] के | ||
{वैदिक नदी कुभा (काबुल) का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए? | |||
{वैदिक नदी कुभा ([[काबुल]]) का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए? | |||
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+अफगानिस्तान में | +[[अफगानिस्तान]] में | ||
-चीनी तुर्किस्तान में | -चीनी तुर्किस्तान में | ||
-कश्मीर में | -[[कश्मीर]] में | ||
-पंजाब में | -[[पंजाब]] में | ||
||[[अफ़ग़ानिस्तान]] या अफ़ग़ान इस्लामिक गणराज्य जंबूद्वीप ([[एशिया]]) का एक देश है। यह दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है जो चारों ओर से ज़मीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है पर देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में [[पाकिस्तान]], उत्तर पूर्व में [[कश्मीर]] तथा [[चीन]], उत्तर में ताज़िकिस्तान, कज़ाकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में [[ईरान]] है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अफगानिस्तान]] | |||
{भारत के किस स्थल की खुदाई से लौह धातु के प्रचलन के प्राचीनतम प्रमाण मिलें हैं? | {[[भारत]] के किस स्थल की खुदाई से [[लोहा|लौह]] [[धातु]] के प्रचलन के प्राचीनतम प्रमाण मिलें हैं? | ||
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-तक्षशिला | -[[तक्षशिला]] | ||
+अतरंजीखेड़ा | +[[अतरंजीखेड़ा]] | ||
-कौशाम्बी | -[[कौशाम्बी]] | ||
-हस्तिनापुर | -[[हस्तिनापुर]] | ||
||अतरंजीखेड़ा [[उत्तर प्रदेश]] के [[एटा]] ज़िलांतर्गत [[गंगा]] की सहायक [[काली नदी]] के तट पर स्थित एक प्रागैतिहासिक स्थल है। इस स्थल की खोज [[1961]]-[[1962]] ई. में [[कनिंघम|एलेक्जेण्डर कनिंघम]] ने की थी। कनिंघम ने चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] द्वारा उल्लिखित '''पि-लो-शा-न''' नामक स्थल का अतरंजीखेड़ा से समीकरण किया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अतरंजीखेड़ा]] | |||
{निम्नलिखित में किसका संकलन ऋग्वेद पर आधारित है? | {निम्नलिखित में किसका संकलन [[ऋग्वेद]] पर आधारित है? | ||
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-यजुर्वेद | -[[यजुर्वेद]] | ||
+सामवेद | +[[सामवेद]] | ||
-अथर्ववेद | -[[अथर्ववेद]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||‘साम‘ शब्द का अर्थ है ‘गान‘। सामवेद में संकलित मंत्रों को [[देवता|देवताओं]] की स्तुति के समय गाया जाता था। सामवेद में कुल 1875 ऋचायें हैं। जिनमें 75 से अतिरिक्त शेष [[ऋग्वेद]] से ली गयी हैं। इन ऋचाओं का गान सोमयज्ञ के समय ‘उदगाता‘ करते थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सामवेद]] | |||
{निम्नांकित में कौन 'प्रस्थानत्रयी' में शामिल नहीं है? | {निम्नांकित में कौन 'प्रस्थानत्रयी' में शामिल नहीं है? | ||
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+भागवत | +[[भागवत पुराण|भागवत]] | ||
-भगवद्गीता | -[[गीता|भगवद्गीता]] | ||
-ब्रह्मसूत्र | -[[ब्रह्मसूत्र]] | ||
-उपनिषद | -[[उपनिषद]] | ||
||इस कलिकाल में 'श्रीमद्भागवत पुराण' हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्वकोश कहना अधिक समीचीन होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण हिन्दू समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भागवत पुराण]] | |||
{कर्म का सिद्धांत संबंधित है? | {कर्म का सिद्धांत संबंधित है? | ||
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-न्याय से | -[[न्याय दर्शन|न्याय]] से | ||
+मीमांसा से | +मीमांसा से | ||
-वेदांत से | -[[वेदांत]] से | ||
-वैशेषिक से | -[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]] से | ||
{''चरक संहिता'' नामक पुस्तक किस विषय से संबंधित है? | {''[[चरक संहिता]]'' नामक पुस्तक किस विषय से संबंधित है? | ||
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-अर्थशास्त्र | -[[अर्थशास्त्र]] | ||
-राजनीति | -[[राजनीति]] | ||
+चिकित्सा | +चिकित्सा | ||
-धर्म | -[[धर्म]] | ||
{यज्ञ संबंधी विधि-विधानों का पता चलता है? | |||
{[[यज्ञ]] संबंधी विधि-विधानों का पता चलता है? | |||
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-ऋग्वेद से | -[[ऋग्वेद]] से | ||
-सामवेद से | -[[सामवेद]] से | ||
-ब्राह्मण ग्रंथों से | -[[ब्राह्मण]] ग्रंथों से | ||
+यजुर्वेद से | +[[यजुर्वेद]] से | ||
||'यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]] | |||
{वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी? | {वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी? | ||
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-वंशानुगत राजतंत्र | -वंशानुगत राजतंत्र | ||
{सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है? | {सबसे प्राचीन [[वेद]] कौन-सा है? | ||
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+ऋग्वेद | +[[ऋग्वेद]] | ||
-यजुर्वेद | -[[यजुर्वेद]] | ||
-सामवेद | -[[सामवेद]] | ||
-अथर्ववेद | -[[अथर्ववेद]] | ||
||ऋग्वेद सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है। ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ऋग्वेद]] | |||
{निम्नलिखित में से कौन भारतीय दर्शन की आरंभिक विचारधारा है? | {निम्नलिखित में से कौन भारतीय [[दर्शन]] की आरंभिक विचारधारा है? | ||
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+सांख्य | +[[सांख्य दर्शन|सांख्य]] | ||
- | -[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]] | ||
-मीमांसा | -मीमांसा | ||
-योग | -योग | ||
||[[महाभारत]] में शान्तिपर्व के अन्तर्गत सृष्टि, उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय और मोक्ष विषयक अधिकांश मत सांख्य ज्ञान व शास्त्र के ही हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि उस काल तक (महाभारत की रचना तक) वह एक सुप्रतिष्ठित, सुव्यवस्थित और लोकप्रिय एकमात्र दर्शन के रूप में स्थापित हो चुका था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सांख्य दर्शन]] | |||
{निम्नलिखित में वह दस्तकारी कौन-सी है जो आर्यों द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी? | {निम्नलिखित में वह दस्तकारी कौन-सी है जो [[आर्य|आर्यों]] द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी? | ||
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-मृदभांड (पॉटरी) | -मृदभांड (पॉटरी) | ||
-आभूषण | -[[आभूषण]] | ||
-बढ़ईगीरी (काष्ठकारिता) | -बढ़ईगीरी (काष्ठकारिता) | ||
+लुहार (लुहारगीरी) | +लुहार (लुहारगीरी) | ||
{किस वेद में जादुई माया और वशीकरण का वर्णन है? | {किस [[वेद]] में जादुई माया और वशीकरण का वर्णन है? | ||
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-ऋग्वेद | -[[ऋग्वेद]] | ||
-यजुर्वेद | -[[यजुर्वेद]] | ||
-सामवेद | -[[सामवेद]] | ||
+अथर्ववेद | +[[अथर्ववेद]] | ||
||[[अथर्ववेद]] की [[भाषा]] और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छंदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]] | |||
{'आर्य' शब्द इंगित करता है? | {'[[आर्य]]' शब्द इंगित करता है? | ||
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+नृजाति समूह को | +नृजाति समूह को | ||
-यायावरी जन को | -यायावरी जन को | ||
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-अथर्ववेद | -[[अथर्ववेद]] | ||
||'यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]] | |||
{'सभा और समिति प्रजापति की दो पुत्रियाँ थी' का उल्लेख किस वेद में मिलता है? | {'सभा और समिति प्रजापति की दो पुत्रियाँ थी' का उल्लेख किस वेद में मिलता है? | ||
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-ऋग्वेद में | -[[ऋग्वेद]] में | ||
-यजुर्वेद में | -[[यजुर्वेद]] में | ||
-सामवेद में | -[[सामवेद]] में | ||
+अथर्ववेद में | +[[अथर्ववेद]] में | ||
||[[अथर्ववेद]] की [[भाषा]] और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छंदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]] | |||
{ | {ऋग्वैदितक युग की प्राचीनम संस्था कौन-सी थी? | ||
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-सभा | -सभा | ||
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+विदथ | +विदथ | ||
-परिषद | -परिषद | ||
{ब्राह्मण ग्रंथों में सर्वाधिक प्राचीन कौन है? | |||
{[[ब्राह्मण]] ग्रंथों में सर्वाधिक प्राचीन कौन है? | |||
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-[[ऐतरेय ब्राह्मण]] | -[[ऐतरेय ब्राह्मण]] | ||
+ | +[[शतपथ ब्राह्मण]] | ||
-गोपथ ब्राह्मण | -[[गोपथ ब्राह्मण]] | ||
-पंचविश ब्राह्मण | -पंचविश ब्राह्मण | ||
||शतपथ ब्राह्मण शुक्ल [[यजुर्वेद]] के दोनों शाखाओं काण्व व माध्यन्दिनी से सम्बद्ध है। यह सभी [[ब्राह्मण]] ग्रन्थों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके रचयिता [[याज्ञवल्क्य]] को माना जाता है। शतपथ के अन्त में उल्लेख है- 'ष्आदिन्यानीमानि शुक्लानि यजूशि बाजसनेयेन याज्ञावल्येन ख्यायन्ते।' शतपथ ब्राह्मण में 14 काण्ड हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के [[यज्ञ|यज्ञों]] का पूर्ण एवं विस्तृत अध्ययन मिलता है। 6 से 10 काण्ड तक को शाण्डिल्य काण्ड कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शतपथ ब्राह्मण]] | |||
{'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई? | {'गोत्र' व्यवस्था प्रचलन में कब आई? | ||
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{वैदिक युग में 'यव' कहा जाता था? | {वैदिक युग में 'यव' कहा जाता था? | ||
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-गेहूँ | -[[गेहूँ]] | ||
+जौ | +जौ | ||
-चावल | -[[चावल]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
{'व्रीहि' शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? | {'व्रीहि' शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? | ||
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+चावल | +[[चावल]] | ||
-गेहूँ | -[[गेहूँ]] | ||
-जौ | -जौ | ||
-कपास | -कपास | ||
||[[चावल]] विश्व की दूसरी सर्वाधिक क्षेत्रफल पर उगाई जाने वाली फ़सल है। विश्व में लगभग 15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 45 करोड़ टन चावल का उत्पादन होता है। [[भारत]] विश्व में चावल का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है। यहाँ पर विश्व के कुल उत्पादन का 20% चावल पैदा किया जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चावल]] | |||
{'अथर्व' का अर्थ- | {'अथर्व' का अर्थ- | ||
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-यज्ञ | -यज्ञ | ||
-स्तुति | -स्तुति | ||
-दर्शन | -[[दर्शन]] | ||
{प्राचीनतम व्याकरण 'अष्टाध्यायी' के रचनाकार हैं? | {प्राचीनतम व्याकरण '[[अष्टाध्यायी]]' के रचनाकार हैं? | ||
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-गौतम | -[[गौतम ऋषि|गौतम]] | ||
-कपिल | -[[कपिल मुनि|कपिल]] | ||
-पतंजलि | -[[पतंजलि]] | ||
+ | +[[पाणिनि]] | ||
||पाणिनि (500 ई पू) [[संस्कृत]] व्याकरण शास्त्र के सबसे बड़े प्रतिष्ठाता और नियामक आचार्य थे। इनका जन्म [[पंजाब]] के शालातुला में हुआ था जो आधुनिक पेशावर ([[पाकिस्तान]]) के क़रीब तत्कालीन उत्तर पश्चिम [[भारत]] के [[गांधार]] में हुआ था। इनका जीवनकाल 520-460 ईसा पूर्व माना जाता है। इनके व्याकरण को [[अष्टाध्यायी]] कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[पाणिनि]] | |||
{निम्न में से कौन-सी स्मृति प्राचीनतम है? | {निम्न में से कौन-सी स्मृति प्राचीनतम है? | ||
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+ | +[[मनुस्मृति]] | ||
-याज्ञवल्क्य स्मृति | -याज्ञवल्क्य स्मृति | ||
-नारद स्मृति | -[[नारद स्मृति]] | ||
-पाराशर स्मृति | -[[पाराशर स्मृति]] | ||
| | ||भारत में [[वेद|वेदों]] के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन ‘मनुस्मृति’ का ही है । इसमें चारों वर्णों, चारों आश्रमों, [[हिन्दू धर्म संस्कार|सोलह संस्कारों]] तथा सृष्टि उत्पत्ति के अतिरिक्त राज्य की व्यवस्था, राजा के कर्तव्य, भांति-भांति के विवादों, सेना का प्रबन्ध आदि उन सभी विषयों पर परामर्श दिया गया है जो कि मानव मात्र के जीवन में घटित होने सम्भव हैं यह सब धर्म-व्यवस्था वेद पर आधारित है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मनुस्मृति]] | ||
{'आदि काव्य' की संज्ञा किसे दी जाती है? | {'आदि काव्य' की संज्ञा किसे दी जाती है? | ||
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+रामायण | +[[रामायण]] | ||
-महाभारत | -[[महाभारत]] | ||
-गीता | -[[गीता]] | ||
-भागवत पुराण | -[[भागवत पुराण]] | ||
||रामायण कवि [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखा गया [[संस्कृत]] का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके 24,000 [[श्लोक]] [[हिन्दू]] [[स्मृतियाँ|स्मृति]] का वह अंग हैं जिसके माध्यम से [[रघुवंश]] के राजा [[राम]] की गाथा कही गयी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामायण]] | |||
{प्राचीनतम पुराण है? | {प्राचीनतम [[पुराण]] है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+मत्स्य पुराण | +[[मत्स्य पुराण]] | ||
-भागवत पुराण | -[[भागवत पुराण]] | ||
-विष्णु पुराण | -[[विष्णु पुराण]] | ||
-वायु पुराण | -[[वायु पुराण]] | ||
||[[वैष्णव सम्प्रदाय]] से सम्बन्धित 'मत्स्य पुराण' व्रत, पर्व, तीर्थ, दान, राजधर्म और [[वास्तु कला]] की दृष्टि से एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुराण है। इस पुराण की [[श्लोक]] संख्या चौदह हज़ार है। इसे दो सौ इक्यानवे अध्यायों में विभाजित किया गया है। इस [[पुराण]] के प्रथम अध्याय में 'मत्स्यावतार' के कथा है। उसी कथा के आधार पर इसका यह नाम पड़ा है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मत्स्य पुराण]] | |||
{ऋग्वेद में सबसे पवित्र नदी किसे माना गया है? | {[[ऋग्वेद]] में सबसे पवित्र नदी किसे माना गया है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सिन्धु | -[[सिन्धु नदी|सिन्धु]] | ||
+सरस्वती | +[[सरस्वती नदी|सरस्वती]] | ||
-परुष्णी | -परुष्णी | ||
-शतुद्रि | -शतुद्रि | ||
||कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ॠग्वेद]] में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज नदी|सतलुज]] (जो [[सिन्धु नदी|सिन्धु]] नदी की सहायक नदी है) और [[यमुना नदी|यमुना]] (जो [[गंगा नदी|गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी। आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है। ऋग्वेद में, [[वैदिक काल]] में इस नदी सरस्वती को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सरस्वती नदी]] | |||
</quiz> | </quiz> |
11:34, 18 मार्च 2011 का अवतरण
इस सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी में कुल 15 प्रश्न हैं। इसे हल करने के उपरांत पन्ने के नीचे की ओर "परिणाम देखें" पर क्लिक करें और उत्तरों का मिलान करें साथ ही अर्जित अंक भी देखें। |
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