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*'''फ़र्रुख़सियर''' नवाँ [[मुग़ल]] बादशाह (1713-1719) और [[शाहजादा अजीमुश्शान|अजीमुश्शान]] का पुत्र था। | *'''फ़र्रुख़सियर''' नवाँ [[मुग़ल]] बादशाह (1713-1719) और [[शाहजादा अजीमुश्शान|अजीमुश्शान]] का पुत्र था। | ||
*यह अपने [[पिता]] [[शाह आलम प्रथम]] (1707-1712) की मृत्यु के पश्चात उत्तराधिकार के युद्ध में मारा गया। | *यह अपने [[पिता]] [[शाह आलम प्रथम]] (1707-1712) की मृत्यु के पश्चात उत्तराधिकार के युद्ध में मारा गया। |
11:53, 27 मार्च 2011 का अवतरण
- फ़र्रुख़सियर नवाँ मुग़ल बादशाह (1713-1719) और अजीमुश्शान का पुत्र था।
- यह अपने पिता शाह आलम प्रथम (1707-1712) की मृत्यु के पश्चात उत्तराधिकार के युद्ध में मारा गया।
- फ़र्रुख़सियर वज़ीर जुल्फ़िकार ख़ाँ की सहायता से अपने चाचा बादशाह जहाँदारशाह (1712-1713) को, जिसकी बाद में हत्या करा दी गई, पदच्युत कर ख़ुद दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठ गया।
- इसके कुछ ही दिन बाद फ़र्रुख़सियर ने जुल्फ़िकार ख़ाँ को सूली पर चढ़वा दिया और हुसेन अली व अब्दुल्ला ख़ाँ नामक दो सैयद बन्दुओं को अपना विश्वासपात्र बनाया।
- फ़र्रुख़सियर ने हुसेन अली को प्रधान सेनापति और अब्दुल्ला ख़ाँ को अपना वज़ीर बनाया।
- अपने अल्प शासनकाल में फ़र्रुख़सियर ने सिक्ख नेता बंदा बैरागी को उसके एक हज़ार अनुयायियों के साथ गिरफ़्तार कर 1715 ई. में सबको मरवा डाला।
- ईस्ट इंडिया कम्पनी ने फ़र्रुख़सियर से बहुत लाभ उठाया। 1715 ई. में एक अंग्रेज़ी दूतमंडल, जिसमें विलियम हैमिल्टन नामक शल्य चिकित्सक भी था, उसके दरबार में आया।
- अंग्रेज़ शल्य चिकित्सक विलियम हैमिल्टन ने शल्य चिकित्सा से बहादुरशाह की बीमार पुत्री को मामूली इलाज से ठीक कर दिया था।
- फ़र्रुख़सियर ने खुश होकर शल्य चिकित्सक की स्वामी ईस्ट इंडिया कम्पनी को ईनाम के तौर पर व्यापार में महत्त्वपूर्ण रियायतें दीं और बंगाल में उसके लिए तटकर माफ़ कर दिया।
- फ़र्रुख़सियर दिमाग़ का कमज़ोर था, इसीलिए वह सैयद बन्दुओं के नियंत्रण से मुक्त होना चाहता था।
- दैवयोग से सैयद बन्दुओं को सम्राट के षड़यंत्र का पता चल गया और उन्होंने पहले ही उसको उपदस्थ कर दिया और बाद को आँखें निकलवा कर मरवा डाला।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-253
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