"अफ़ज़ल ख़ाँ": अवतरणों में अंतर
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'''अफ़ज़ल ख़ाँ''' [[बीजापुर]] के सुल्तान का सेनापति | '''अफ़ज़ल ख़ाँ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Afzal Khan'') [[बीजापुर]] के सुल्तान का सेनापति था, जिसे लगभग 15,000 सैनिकों के साथ [[शिवाजी]] का दमन करने के लिए भेजा गया था, जो उस समय विद्रोही शक्ति के रूप में उभर रहे थे। | ||
'' | *प्रारम्भ में अफ़ज़ल ख़ाँ सफलता प्राप्त करता हुआ 15 दिनों के भीतर [[सतारा]] से 20 मील दूर 'वाई' नामक स्थान तक पहुँच गया, लेकिन शिवाजी [[प्रतापगढ़ महाराष्ट्र|प्रतापगढ़ क़िले]] में सुरक्षित थे। जब अफ़ज़ल ख़ाँ शिवाजी को उस क़िले से बाहर निकालने में सफल नहीं हुआ तो उसने सुलह की बात चलायी और दोनों के एक खेमे में मिलने की बात तय हुई। | ||
*शिवाजी को अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से धोखेबाज़ी का संदेह था, इसलिए उन्होंने कपड़ों के नीचे बख़्तर पहन लिया और अपने हाथ में बघनखा लगा लिया ताकि अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से घात होने पर उसका प्रतिकार कर सकें। | |||
*जब [[शिवाजी]] अफ़ज़ल ख़ाँ से मिले तो उसने शिवाजी को अपनी बाहों में भर लिया और इतना कसकर दबाया कि जिससे शिवाजी का दम घुट जाये। शिवाजी ने अपने पंजे में लगे बघनखा से अफ़ज़ल ख़ाँ का पेट फाड़ दिया और उसे मार डाला। उसके बाद [[मराठा|मराठों]] ने खुले युद्ध में [[बीजापुर]] की फ़ौज को पराजित कर दिया। | |||
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13:18, 30 जुलाई 2017 का अवतरण
अफ़ज़ल ख़ाँ (अंग्रेज़ी: Afzal Khan) बीजापुर के सुल्तान का सेनापति था, जिसे लगभग 15,000 सैनिकों के साथ शिवाजी का दमन करने के लिए भेजा गया था, जो उस समय विद्रोही शक्ति के रूप में उभर रहे थे।
- प्रारम्भ में अफ़ज़ल ख़ाँ सफलता प्राप्त करता हुआ 15 दिनों के भीतर सतारा से 20 मील दूर 'वाई' नामक स्थान तक पहुँच गया, लेकिन शिवाजी प्रतापगढ़ क़िले में सुरक्षित थे। जब अफ़ज़ल ख़ाँ शिवाजी को उस क़िले से बाहर निकालने में सफल नहीं हुआ तो उसने सुलह की बात चलायी और दोनों के एक खेमे में मिलने की बात तय हुई।
- शिवाजी को अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से धोखेबाज़ी का संदेह था, इसलिए उन्होंने कपड़ों के नीचे बख़्तर पहन लिया और अपने हाथ में बघनखा लगा लिया ताकि अफ़ज़ल ख़ाँ की ओर से घात होने पर उसका प्रतिकार कर सकें।
- जब शिवाजी अफ़ज़ल ख़ाँ से मिले तो उसने शिवाजी को अपनी बाहों में भर लिया और इतना कसकर दबाया कि जिससे शिवाजी का दम घुट जाये। शिवाजी ने अपने पंजे में लगे बघनखा से अफ़ज़ल ख़ाँ का पेट फाड़ दिया और उसे मार डाला। उसके बाद मराठों ने खुले युद्ध में बीजापुर की फ़ौज को पराजित कर दिया।
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