"प्रकृत पुत्र": अवतरणों में अंतर

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*[[हिंदू धर्म|हिंदू धर्मानुसार]] अपने अंश से धर्मपत्नी के द्वारा उत्पन्न पुत्र को प्रकृत पुत्र कहा जाता है।  
*[[हिंदू धर्म|हिंदू धर्मानुसार]] अपने अंश से धर्मपत्नी के द्वारा उत्पन्न [[पुत्र]] को प्रकृत पुत्र कहा जाता है।  
*प्रकृत पुत्र को औरस पुत्र भी कहा जाता है।
*प्रकृत पुत्र को [[औरस पुत्र]] भी कहा जाता है।
*[[याज्ञवल्क्य]] के अनुसार:
*[[याज्ञवल्क्य]] के अनुसार:
<blockquote>स्वक्षेत्रे संस्कृतायांतु स्वयमुत्पादयेद्धि यम्।
<blockquote>स्वक्षेत्रे संस्कृतायांतु स्वयमुत्पादयेद्धि यम्।
तमौरसं विजानीयात् पुत्रं प्रथमकल्पितम्॥</blockquote>
तमौरसं विजानीयात् पुत्रं प्रथमकल्पितम्॥</blockquote>


अर्थात संस्कारपूर्वक विवाहित स्त्री से जो पुत्र उत्पन्न किया जाता है उसे सर्वश्रेष्ठ प्रकृत पुत्र या औरस पुत्र जानना चाहिए।
:अर्थात संस्कारपूर्वक विवाहित स्त्री से जो पुत्र उत्पन्न किया जाता है उसे सर्वश्रेष्ठ प्रकृत पुत्र या औरस पुत्र जानना चाहिए।
*[[धर्मशास्त्रीय ग्रंथ|धर्मशास्त्र]] में औरस पुत्र के अधिकारों और कर्तव्यों का विस्तृत वर्णन पाया जाता है।
*[[धर्मशास्त्रीय ग्रंथ|धर्मशास्त्र]] में औरस पुत्र के अधिकारों और कर्तव्यों का विस्तृत वर्णन पाया जाता है।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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15:41, 18 जुलाई 2011 का अवतरण

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स्वक्षेत्रे संस्कृतायांतु स्वयमुत्पादयेद्धि यम्। तमौरसं विजानीयात् पुत्रं प्रथमकल्पितम्॥

अर्थात संस्कारपूर्वक विवाहित स्त्री से जो पुत्र उत्पन्न किया जाता है उसे सर्वश्रेष्ठ प्रकृत पुत्र या औरस पुत्र जानना चाहिए।
  • धर्मशास्त्र में औरस पुत्र के अधिकारों और कर्तव्यों का विस्तृत वर्णन पाया जाता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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