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झारखण्ड के सांस्कृतिक क्षेत्र अपने-अपने भाषाई क्षेत्रों से जुड़े हैं। [[हिन्दी]], [[संथाली भाषा|संथाली]], मुंडा, हो, कुडुख, मैथिली, माल्तो, कुरमाली, खोरठा और [[उर्दू]] भाषाएँ यहाँ पर बोली जाती है। भोजपुरी बोली का लिखित साहित्य न होने के बावजूद इसका उल्लेखनीय मौखिक लोक साहित्य है। मगही की भी समृद्ध लोक परम्परा है।
झारखण्ड के सांस्कृतिक क्षेत्र अपने-अपने भाषाई क्षेत्रों से जुड़े हैं। [[हिन्दी]], [[संथाली भाषा|संथाली]], मुंडा, हो, कुडुख, मैथिली, माल्तो, कुरमाली, खोरठा और [[उर्दू]] भाषाएँ यहाँ पर बोली जाती है। भोजपुरी बोली का लिखित साहित्य न होने के बावजूद इसका उल्लेखनीय मौखिक लोक साहित्य है। मगही की भी समृद्ध लोक परम्परा है।


अधिकांश जनजातीय गाँवों में एक नृत्यस्थली होती है। पइका, छउ, जदुर, करमा, नचनी, नटुआ, अग्नि, छोकरा, संथाल, जामदा, घटवारी, महता, सोहारी, लुरिसेरी यहाँ के लोकनृत्य हैं। प्रत्येक गाँव का अपना पवित्र वृक्ष (सरना) होता है, जहाँ गाँव के पुजारी द्वारा पूजा अर्पित की जाती है। इसके अलावा अविवाहितों का शयनागार भी होता है। साप्ताहिक हाट जनजातीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जनजातीय त्योहार (जैसे सरहुल), वसंतोत्सव (सोहरी) और शीतोत्सव (माघ परब) उल्लास के अवसर हैं। जनजातीय संस्कृति बाहरी प्रभावों, जैसे ईसाईयत, औद्योगिकीकरण, नए संचार सम्पर्कों, जनजातीय कल्याण कार्यक्रमों और सामुदायिक विकास परियोजनाओं चलते तेज़ी से बदल रही है।  
अधिकांश जनजातीय गाँवों में एक नृत्यस्थली होती है। पइका, छउ, जदुर, करमा, नचनी, नटुआ, अग्नि, छोकरा, संथाल, जामदा, घटवारी, महता, सोहारी, लुरिसेरी यहाँ के लोकनृत्य हैं। प्रत्येक गाँव का अपना पवित्र वृक्ष (सरना) होता है, जहाँ गाँव के पुजारी द्वारा पूजा अर्पित की जाती है। इसके अलावा अविवाहितों का शयनागार भी होता है। साप्ताहिक हाट जनजातीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जनजातीय त्योहार (जैसे सरहुल), वसंतोत्सव (सोहरी) और शीतोत्सव (माघ परब) उल्लास के अवसर हैं। जनजातीय संस्कृति बाहरी प्रभावों, जैसे ईसाईयत, औद्योगिकीकरण, नए संचार सम्पर्कों, जनजातीय कल्याण कार्यक्रमों और सामुदायिक विकास परियोजनाओं चलते तेज़ी से बदल रही है।  


यहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के अनेक स्थान हैं। [[जमशेदपुर]] में डिमना झील और दलमा वन्य अभयारण्य हैं। प्रसिद्ध वृन्दावन उद्यान की प्रतिकृति जुबली पार्क, जमशेदपुर के 225 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। नेतरहाट राज्य के प्रसिद्ध लोकप्रिय पर्यटन सैरगाहों में से एक है। पवित्र नगर देवघर अपने वैद्यनाथ मन्दिर के लिए विख्यात है। विभिन्न हिन्दू त्योहारों में होली व छठ (मुख्यत: महिलाओं द्वारा सूर्य पूजन) शामिल हैं।
यहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के अनेक स्थान हैं। [[जमशेदपुर]] में डिमना झील और दलमा वन्य अभयारण्य हैं। प्रसिद्ध वृन्दावन उद्यान की प्रतिकृति जुबली पार्क, जमशेदपुर के 225 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। नेतरहाट राज्य के प्रसिद्ध लोकप्रिय पर्यटन सैरगाहों में से एक है। पवित्र नगर देवघर अपने वैद्यनाथ मन्दिर के लिए विख्यात है। विभिन्न हिन्दू त्योहारों में होली व छठ (मुख्यत: महिलाओं द्वारा सूर्य पूजन) शामिल हैं।

11:25, 27 अगस्त 2011 का अवतरण

झारखण्ड
राजधानी रांची
राजभाषा(एँ) हिन्दी भाषा, संथाली भाषा, मैथिली भाषा, भोजपुरी भाषा
स्थापना 15 नवंबर, 2000
जनसंख्या 2,69,09,428[1]
· घनत्व 338[2] /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 23°21′N 85°20′E
ज़िले 24 [2]
सबसे बड़ा नगर जमशेदपुर
मुख्य पर्यटन स्थल जमशेदपुर, बोकारो, रांची, साहिबगंज
लिंग अनुपात 1000:941 ♂/♀
साक्षरता 54.13%
· स्त्री 39.38%
· पुरुष 69.74%
राज्यपाल एम. ओ. एच. फारुक[2]
मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा[2]
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट

झारखण्ड का शाब्दिक अर्थ है "वन का क्षेत्र"। झारखण्ड घने वनों से भरा छोटा नागपुर पठार पर बसा है जो गंगा के मैदानी भाग के दक्षिण में है। माना जाता है कि झारखण्ड शब्द का प्रयोग लगभग चार सौ वर्ष पहले सोलहवीं शताब्दी में हुआ। अपने बृहत और मूल अर्थ में 'झारखण्ड' पुराने बिहार के ज़्यादातर दक्षिणी हिस्से और छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के कुछ आदिवासी ज़िले शामिल हैं। झारखण्ड में भारत की लगभग नब्बे प्रतिशत अनुसूचित जनजाति का निवास स्थल है। संपूर्ण भारत में वनों के अनुपात में यह प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है तथा वन्यजीवों के संरक्षण के लिये मशहूर है।

इतिहास

15 नंवबर, 2000 को भारत संघ के 28वें राज्य के रूप में झारखण्ड राज्य का निर्माण हुआ। झारखण्ड आदिवासियों की गृहभूमि है। एक प्राचीन कथा से ज्ञात होता कि उड़ीसा के राजा जयसिंह देव ने तेरहवीं शताब्दी में खुद को झारखण्ड का शासक घोषित कर अपना शासन लागू कर दिया था। झारखण्ड में मुख्य रूप से छोटा नागपुर पठार और संथाल परगना के वन क्षेत्र शामिल हैं। यहाँ की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराएं हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 'झारखण्ड मुक्ति मोर्चा' ने नियमित आंदोलन किया, जिसके कारण से सरकार ने 1995 में 'झारखण्ड क्षेत्र परिषद' की स्थापना की और इसके पश्चात यह राज्य पूर्णत: अस्तित्व में आया।

भूगोल

झारखण्ड 21°58'10" उत्तरी अक्षांश से 25°19'15" उत्तरी अक्षांश तथा 83°20'50" पूर्वी देशांतर 88°4'40" पूर्वी देशांतर के मध्य विस्तृत है। झारखण्ड का कुल क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किमी. जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। झारखण्ड के पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार तथा दक्षिण में उड़ीसा से घिरा हुआ है।

झारखण्ड का एक दृश्य
भू-आकृति

झारखण्ड का प्रमुख भौतिक लक्षण छोटा नागपुर पठार है, जो पठारों, पहाड़ियों व घाटियों की श्रृंखला है। यह लगभग समूचे राज्य में फैला है और अधिकांशतः स्फटकीय (क्रिस्टल) चट्टनों से बना है। हज़ारीबाग़राँची, ये दो मुख्य पठार दामोदर नदी के भ्रंशित और कोयला युक्त अवसादी बेसिन से विभाजित हैं। इनकी ऊँचाई औसतन लगभग 610 मीटर है। पश्चिम में 300 से अधिक विच्छेदित, लेकिन सपाट शिखर वाले पठार हैं, जिनकी ऊँचाई लगभग 914 मीटर है और ये पाट कहलाते हैं। झारखण्ड में उच्चतम बिंदु हज़ारीबाग़ स्थित पारसनाथ की शंक्वाकार ग्रेनाइट चोटी है, जिसकी ऊँचाई 1,369 मीटर है। जैन मतावालंबी और संथाल जनजाति, दोनों ही इसे पवित्र मानते हैं। दामोदर घाटी में मिट्टी बलुई है, जबकि पठार की मिट्टी अधिकांशतः लाल है।

भौगोलिक स्थिति

झारखण्ड के पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और छ्त्तीसगढ़, उत्तर में बिहार तथा दक्षिण में उड़ीसा से घिरा हुआ है। औद्योगिक नगरी राँची इसकी राजधानी है। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद, बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल हैं।

जलवायु

झारखण्ड प्रदेश उष्णकटिबंधीत क्षेत्र में स्थित है। झारखण्ड की जलवायु सामान्यताः उष्णकटिबंधीत है किन्तु ऊँचे पठारी भाग होने के कारण यहाँ की जलवायु की स्थिति आस-पास से भिन्न है। यह क्षेत्र मॉनसूनी जलवायु के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक मौसम के उतार-चढ़ाव को झेलता है। अतः यहाँ की जलवायु 'उष्ण मॉनसूनी' मानी जाती है। झारखण्ड में कर्क रेखा नेतरहाट, किस्को, ओरमांझी[3], गोला, मुरहुलसुदी, गोपालपुर, पोखन्ना, गोसांइडीह, झालबरदा, पालकुदरी होते हुए बंगाल की ओर जाती है अर्थात् यह रेखा झारखण्ड के ठीक बीचों-बीच गुज़रती है, ज़िसके आधार पर इस गर्म जलवायु का क्षेत्र कहा जाना चाहिए। किंतु झारखण्ड की जलवायु में पर्याप्त आर्द्रता पायी जाती है, जिसके कारण यह उष्णकटिबंधीय जलवायु से कुछ भिन्न प्रकार की बन जाती है।

अर्थव्यवस्था

कृषि

झारखण्ड राज्य के 79,714 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में से 18,423 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में वन हैं। कृषि और कृषि सम्बंधित गतिविधियां झारखण्ड की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हैं। कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल केवल 38 लाख हेक्टेयर है।

सिंचाई और बिजली

दामोदर, मयूराक्षी, बराकर, उत्तरी कोयेल, दक्षिणी कोयेल, संख, सुवर्णरेखा, खरकई और अजय यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं और राज्य के जल का प्रमुख स्रोत है। राज्य में कुल बुवाई का क्षेत्र 1.57 लाख हेक्टेयर है जिसमें से 8 प्रतिशत क्षेत्र में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो पाती है।

झारखण्ड में स्थापित विद्युत क्षमता 2,590 मेगावाट है। जिसके स्रोत हैं- 420 मेगावट (तेनुघाट ताप बिजलीघर) से, 840 मेगावाट (पतरातू ताप पनबिजलीघर) से, 130 (सिक्कीद्रि बिजली परियोजना) से और 1,200 मेगावाट (दामोदर घाटी निगम ताप / पनबिजली परियोजना)से। ताप व पनबिजली पर आधारित विभिन्न बिजलीघरों की क्षमता 4,736 मेगावाट की जा सकती है जिसमें 686 पनबिजली उत्पादन शामिल है।

उद्योग और खनिज

झारखण्ड के कुछ बडे उद्योग हैं:

  • सार्वजनिक क्षेत्र का बोकारो स्टील प्लांट,
  • जमशेदपुर में निजी क्षेत्र की टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को)।
  • अन्य प्रमुख उद्योग हैं: टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (टेल्को),
  • टिमकेन इंडिया लिमिटेड (जमशेदपुर),
  • भारत कुकिंग लिमिटेड (धनबाद),
  • खिलाडी सीमेंट फैक्टरी (पलामू),
  • इंडियन ऐल्यूमिनियम (मुरी),
  • ए सी सी सीमेंट (चाइबासर),
  • सेंट्रल कोलफीज्ड्स लिमिटेड (रांची),
  • उषा मार्टिन, उषा बैल्ट्रान, यूरेनियम कारपोरेशन (इं) लिमिटेड (जादूगोडा),
  • हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (मुसाबनी),
  • टिन प्लेट कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (जमशेदपुर),
  • इंडियन एक्सप्लोसिव लिमिटेड (गोमिया) और
  • हिंडालको बॉक्साइट (लोहरदगा), आदि।
  • झारखण्ड राज्य खनिज संसाधनों में देश का समृद्धतम राज्य है। यहाँ उपलब्ध प्रमुख खनिज हैं- कोयला, कच्चा लोहा चूना पत्थर, खनिज तांबा, बॉक्साइट, चीनी मिट्टी, काइनाइट चिकनी मिट्टी, डोलोमाइट, ग्रेफाइट, बैंटोनाइट, साबुन पत्थर बिल्लौरी रेत और सिलिका बालू।
  • इस नवगठित राज्य में सिंहभूम, बोकारो, हज़ारीबाग, रांची, कोडरमा और धनबाद में कोयला, अभ्रक और अन्य खनिजों के दोहन की अपार क्षमताएं हैं।

शिक्षा

झारखंड में साक्षरता दर 1991 के 41.39 प्रतिशत की तुलना में 54.13 प्रतिशत हो गई है। यहाँ 21,386 विद्यालय और पाँच विश्वविद्यालय हैं। इसके अलावा यहाँ इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस, जाना- माना व्यापार एवं प्रबंधन संस्थान, ज़ेवियर लेबर रिलेशंस इंस्टिट्यूट और केंद्रीय खनन शोध संस्थान जैसे शैक्षणिक व शोध संस्थान स्थित हैं। जमशेदपुर स्थित इंडो- डैनिश टूल रूम (आई. डी. टी. आर.), रांची स्थित डिज़ाइन डेवलेपमेंट ऐंड ट्रेनिंग सेंटर और मेन टूल रूम औद्योगिक क्रियाकलापों को कलपुर्ज़ो व प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

बोकारो स्टील प्लांट
  • झारखंड की शिक्षा संस्थाओं में कुछ अत्यंत प्रमुख शिक्षा संस्थान शामिल हैं।
  • जनजातिय प्रदेश होने के बावज़ूद यहां कई नामी सरकारी एवं निजी कॉलेज हैं जो कला, विज्ञान, अभियांत्रिकी, मेडिसिन, क़ानून और मैनेजमेंट में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं ।
शिक्षण संस्थान
  • राँची विश्ववविद्यालय राँची,
  • सिद्धू कान्हू विश्वविद्यालय दुमका,
  • विनोबा भावे विश्वविद्यालय हज़ारीबाग़,
  • बिरसा कृषि विश्वविद्यालय राँची,
  • बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा राँची।
अन्य संस्थान
  • राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला जमशेदपुर,
  • राष्ट्रीय खनन शोध संस्थान धनबाद,
  • भारतीय लाह शोध संस्थान राँची,
  • राष्ट्रीय मनोचिकत्सा संस्थान राँची,
  • जेवियर प्रबंधन संस्थान।

परिवहन

कभी महत्त्वपूर्ण रहे जलमार्ग अब अपना महत्त्व खो चुके हैं। राज्य में माल के आवागमन संबंधी सुविधाएँ राँची, बोकारो, धनबाद और जमशेदपुर में उपलब्ध हैं। इसके इलावा किरिबुरु, लोहरदाग और सभी कोयला खदानों में अयस्क वहन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

रांची का एक दृश्य

सड़क मार्ग

  • झारखण्ड राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 4,311 किलोमीटर है। इसमें 1,500 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग और 2,711 किलोमीटर प्रांतीय राजमार्ग हैं।
  • झारखण्ड के लगभग एक चौथाई गाँवों तक ही पक्की सड़कें पहुँची हैं, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग का 1,006 किमी राज्य से होकर गुज़रता है, जिसमें ग्रैंड ट्रंक रोड भी शामिल है।
  • छोटा नागपुर पठार के आसपास की सड़कें बेहतरीन हैं, जो यहाँ द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किए गए काम का परिणाम हैं।
  • हज़ारीबाग़ और बहरागोड़ा के बीच 333 किमी की चार लेन वाली राजमार्ग परियोजना का निर्माण-कार्य हुआ है।

रेल मार्ग

  • झारखण्ड से गुज़रने वाली कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता)- दिल्ली रेल लाइन 1864 में शुरू हुई थी।
  • झारखण्ड राज्य में विकसित रेलवे प्रणाली है।
  • राँची, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर कुछ प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं।

हवाई मार्ग

  • राँची में नियमित वायुसेवाएँ भी उपलब्ध हैं।
  • विमान सेवा से राँची, दिल्ली, पटना और मुंबई से जुड़ा है।
  • जमशेदपुर, बोकारो, गिरिडीह, देवघर, हज़ारीबाग़, डाल्टनगंज और नोआमुंडी में हवाई पट्टियां हैं।

सांस्कृतिक जीवन

वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर

झारखण्ड के सांस्कृतिक क्षेत्र अपने-अपने भाषाई क्षेत्रों से जुड़े हैं। हिन्दी, संथाली, मुंडा, हो, कुडुख, मैथिली, माल्तो, कुरमाली, खोरठा और उर्दू भाषाएँ यहाँ पर बोली जाती है। भोजपुरी बोली का लिखित साहित्य न होने के बावजूद इसका उल्लेखनीय मौखिक लोक साहित्य है। मगही की भी समृद्ध लोक परम्परा है।

अधिकांश जनजातीय गाँवों में एक नृत्यस्थली होती है। पइका, छउ, जदुर, करमा, नचनी, नटुआ, अग्नि, छोकरा, संथाल, जामदा, घटवारी, महता, सोहारी, लुरिसेरी यहाँ के लोकनृत्य हैं। प्रत्येक गाँव का अपना पवित्र वृक्ष (सरना) होता है, जहाँ गाँव के पुजारी द्वारा पूजा अर्पित की जाती है। इसके अलावा अविवाहितों का शयनागार भी होता है। साप्ताहिक हाट जनजातीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जनजातीय त्योहार (जैसे सरहुल), वसंतोत्सव (सोहरी) और शीतोत्सव (माघ परब) उल्लास के अवसर हैं। जनजातीय संस्कृति बाहरी प्रभावों, जैसे ईसाईयत, औद्योगिकीकरण, नए संचार सम्पर्कों, जनजातीय कल्याण कार्यक्रमों और सामुदायिक विकास परियोजनाओं चलते तेज़ी से बदल रही है।

यहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के अनेक स्थान हैं। जमशेदपुर में डिमना झील और दलमा वन्य अभयारण्य हैं। प्रसिद्ध वृन्दावन उद्यान की प्रतिकृति जुबली पार्क, जमशेदपुर के 225 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। नेतरहाट राज्य के प्रसिद्ध लोकप्रिय पर्यटन सैरगाहों में से एक है। पवित्र नगर देवघर अपने वैद्यनाथ मन्दिर के लिए विख्यात है। विभिन्न हिन्दू त्योहारों में होली व छठ (मुख्यत: महिलाओं द्वारा सूर्य पूजन) शामिल हैं।

पर्यटन स्थल

कोयले की खान, धनबाद

राज्य में अनेक मनोरम स्थल हैं। ये हैं-

  • इचागढ पक्षी विहार,
  • उद्धव पक्षी विहार- साहिबगंज (पठारा झील),
  • चाचरो मगरमच्छ पालन केंद्र कोडरमा (तिलाया बांध),
  • चंद्रपुर पक्षी विहार,
  • जवाहरलाल न्र्हरू चिडियाघर (बोकारो),
  • तेनुघाट पक्षी विहार, डालमा वन्यजीव अभयारण्य (जमशेदपुर),
  • टाटा स्टील चिडियाघर (जमशेदपुर),
  • पलकोट वन्यजीव अभयारण्य (गुमला),
  • भगवान बिरसा चिडियाघर (रांची),
  • बिरसा हिरन अभयारण्य (कालमाटी रांची),
  • बेटला राष्ट्रीय उद्यान (पलामू),
  • रांची मत्स्य केंद्र (रांची),
  • हज़ारीबाग़ राष्ट्रीय उद्यान,
  • तातोलोई गर्म पानी झरना (दुमका) और
डिमना झील, जमशेदपुर
  • सारंदा वन।
  • झारखण्ड में कुछ मशहूर मंदिर भी हैं-
  • झारखण्ड धाम,
  • लगंता बाबा मंदिर/मजार,
  • बिंध्यवासिनी मंदिर,
  • मसनजोर धाम आदि।


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वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 2001 की जनगणना के अनुसार
  2. 2.0 2.1 2.2 2.3 Jharkhand - At a Glance (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) झारखण्ड की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 2 जून, 2011।
  3. 2.2 किमी. उत्तर

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