"उर तिमिरमय घर तिमिरमय -महादेवी वर्मा": अवतरणों में अंतर

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<poem>उर तिमिरमय घर तिमिरमय
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उर तिमिरमय घर तिमिरमय,
चल सजनि दीपक बार ले!
चल सजनि दीपक बार ले!


राह में रो रो गये हैं
राह में रो रो गये हैं,
रात और विहान तेरे
रात और विहान तेरे,
काँच से टूटे पड़े यह
काँच से टूटे पड़े यह,
स्वप्न, भूलें, मान तेरे;
स्वप्न, भूलें, मान तेरे;
फूलप्रिय पथ शूलमय
फूलप्रिय पथ शूलमय,
पलकें बिछा सुकुमार ले!
पलकें बिछा सुकुमार ले!


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तू गूँथ इनका हार ले !
तू गूँथ इनका हार ले !


मिलन वेला में अलस तू
मिलन बेला में अलस तू
सो गयी कुछ जाग कर जब,
सो गयी कुछ जाग कर जब,
फिर गया वह, स्वप्न में
फिर गया वह, स्वप्न में
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आ रही प्रतिध्वनि वही फिर
आ रही प्रतिध्वनि वही फिर
नींद का उपहार ले !
नींद का उपहार ले !
चल सजनि दीपक बार ले ! </poem>
चल सजनि दीपक बार ले !  
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14:21, 19 दिसम्बर 2011 का अवतरण

उर तिमिरमय घर तिमिरमय -महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'मेरा परिवार', 'स्मृति की रेखाएँ', 'पथ के साथी', 'शृंखला की कड़ियाँ', 'अतीत के चलचित्र', नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

उर तिमिरमय घर तिमिरमय,
चल सजनि दीपक बार ले!

राह में रो रो गये हैं,
रात और विहान तेरे,
काँच से टूटे पड़े यह,
स्वप्न, भूलें, मान तेरे;
फूलप्रिय पथ शूलमय,
पलकें बिछा सुकुमार ले!

तृषित जीवन में घिर घन-
बन; उड़े जो श्वास उर से;
पलक-सीपी में हुए मुक्ता
सुकोमल और बरसे;
मिट रहे नित धूलि में
तू गूँथ इनका हार ले !

मिलन बेला में अलस तू
सो गयी कुछ जाग कर जब,
फिर गया वह, स्वप्न में
मुस्कान अपनी आँक कर तब।
आ रही प्रतिध्वनि वही फिर
नींद का उपहार ले !
चल सजनि दीपक बार ले !

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