"यह मंदिर का दीप -महादेवी वर्मा": अवतरणों में अंतर
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यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो | यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो | ||
रजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी-वीणा-स्वर, | रजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी-वीणा-स्वर, | ||
गये आरती | गये आरती बेला को शत-शत लय से भर, | ||
जब था कल कंठो का मेला, | जब था कल कंठो का मेला, | ||
विहंसे उपल तिमिर था खेला, | विहंसे उपल तिमिर था खेला, | ||
पंक्ति 42: | पंक्ति 42: | ||
प्रणत शिरों के अंक लिये चन्दन की दहली, | प्रणत शिरों के अंक लिये चन्दन की दहली, | ||
झर सुमन बिखरे अक्षत सित, | झर सुमन बिखरे अक्षत सित, | ||
धूप-अर्घ्य | धूप-अर्घ्य नैवेद्य अपरिमित | ||
तम में सब होंगे अन्तर्हित, | तम में सब होंगे अन्तर्हित, | ||
सबकी अर्चित कथा इसी लौ में पलने दो! | सबकी अर्चित कथा इसी लौ में पलने दो! | ||
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तब तक यह जागेगा प्रतिपल, | तब तक यह जागेगा प्रतिपल, | ||
रेखाओं में भर आभा-जल | रेखाओं में भर आभा-जल | ||
दूत सांझ का इसे प्रभाती तक चलने दो!</poem> | दूत सांझ का इसे प्रभाती तक चलने दो! | ||
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06:47, 23 अगस्त 2011 का अवतरण
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यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो |
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