"अधिकार -महादेवी वर्मा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Mahadevi-verma.png...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 30: पंक्ति 30:


{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
<poem>वे मुस्काते फूल, नहीं
<poem>
जिनको आता है मुर्झाना,
वे मुस्काते फूल,  
वे तारों के दीप, नहीं
नहीं जिनको आता है मुर्झाना,
जिनको भाता है बुझ जाना;
वे तारों के दीप,  
नहीं जिनको भाता है बुझ जाना।


वे नीलम के मेघ, नहीं
वे नीलम के मेघ,  
जिनको है घुल जाने की चाह
नहीं जिनको है घुल जाने की चाह,
वह अनन्त रितुराज, नहीं
वह अनन्त रितुराज,  
जिसने देखी जाने की राह|
नहीं जिसने देखी जाने की राह|


वे सूने से नयन, नहीं
वे सूने से नयन,  
जिनमें बनते आँसू मोती,
नहीं जिनमें बनते आँसू मोती,
वह प्राणों की सेज, नही
वह प्राणों की सेज,  
जिसमें बेसुध पीड़ा सोती;
नही जिसमें बेसुध पीड़ा सोती।




ऎसा तेरा लोक, वेदना
ऐसा तेरा लोक,  
नहीं,नहीं जिसमें अवसाद,
वेदना नहीं, नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं, नहीं
जलना जाना नहीं,  
जिसने जाना मिटने का स्वाद!
नहीं जिसने जाना मिटने का स्वाद!


क्या अमरों का लोक मिलेगा
क्या अमरों का लोक मिलेगा
तेरी करुणा का उपहार?
तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे
रहने दो हे देव!  
यह मेरा मिटने का अधिकार! </poem>
अरे! यह मेरा मिटने का अधिकार!  
</poem>
{{Poemclose}}
{{Poemclose}}



05:40, 14 दिसम्बर 2011 का अवतरण

अधिकार -महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'मेरा परिवार', 'स्मृति की रेखाएँ', 'पथ के साथी', 'शृंखला की कड़ियाँ', 'अतीत के चलचित्र', नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

वे मुस्काते फूल,
नहीं जिनको आता है मुर्झाना,
वे तारों के दीप,
नहीं जिनको भाता है बुझ जाना।

वे नीलम के मेघ,
नहीं जिनको है घुल जाने की चाह,
वह अनन्त रितुराज,
नहीं जिसने देखी जाने की राह|

वे सूने से नयन,
नहीं जिनमें बनते आँसू मोती,
वह प्राणों की सेज,
नही जिसमें बेसुध पीड़ा सोती।


ऐसा तेरा लोक,
वेदना नहीं, नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं,
नहीं जिसने जाना मिटने का स्वाद!

क्या अमरों का लोक मिलेगा
तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव!
अरे! यह मेरा मिटने का अधिकार!

संबंधित लेख