"जिन": अवतरणों में अंतर

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*'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'।  
*'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'।  
*जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म।  
*जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म।  
*जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमन्त्र है- णमो अरिहंताणं।
*जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमन्त्र है-  
<poem>णमो अरिहंताणं।
णमो सिद्धाणं।
णमो सिद्धाणं।
णमो आइरियाणं।
णमो आइरियाणं।
णमो उवज्झायाणं।
णमो उवज्झायाणं।
णमो लोए सव्वसाहूणं॥
णमो लोए सव्वसाहूणं॥
*अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार।
</poem>*अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार।
*ये पाँच परमेष्ठी हैं।  
*ये पाँच परमेष्ठी हैं।  



09:31, 29 अगस्त 2011 का अवतरण

जिन एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- जिन (बहुविकल्पी)
जैन तीर्थंकर, मथुरा
Jain Tirthankar, Mathura
  • जैनों के एक तीर्थंकर का भी नाम जिन है।
  • 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों।
  • 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'।
  • जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म।
  • जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमन्त्र है-

णमो अरिहंताणं।
णमो सिद्धाणं।
णमो आइरियाणं।
णमो उवज्झायाणं।
णमो लोए सव्वसाहूणं॥

*अर्थात अरिहंतो को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार।

  • ये पाँच परमेष्ठी हैं।


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