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'''देवबन्द स्कूल''' की स्थापना मुहम्मद क़ासिम ननौत्वी (1832-[[1880]] ई.) एवं रशीद अहमद गंगोही (1828-[[1905]] ई.) द्वारा की गई थी। | |||
*इस स्कूल की शुरुआत 1866-1867 ई. में देवबन्द, [[सहारनपुर]] ([[उत्तर प्रदेश]]) से की गई थी। | *इस स्कूल की शुरुआत [[1866]]-[[1867]] ई. में देवबन्द, [[सहारनपुर]] ([[उत्तर प्रदेश]]) से की गई थी। | ||
*इसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए धार्मिक नेता तैयार करना, विद्यालय के पाठ्यक्रमों में [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] शिक्षा एवं पश्चिमी संस्कृति को प्रतिबन्धित करना, मुस्लिम सम्प्रदाय का नैतिक एवं धार्मिक पुनरुद्धार करना तथा [[अंग्रेज़]] सरकार के साथ असहयोग करना था। | *इसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए धार्मिक नेता तैयार करना, विद्यालय के पाठ्यक्रमों में [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] शिक्षा एवं पश्चिमी संस्कृति को प्रतिबन्धित करना, मुस्लिम सम्प्रदाय का नैतिक एवं धार्मिक पुनरुद्धार करना तथा [[अंग्रेज़]] सरकार के साथ असहयोग करना था। | ||
*देवबन्द स्कूल विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी के लिए नहीं, बल्कि [[इस्लाम धर्म]] के प्रभाव को फैलाने के लिए शिक्षा देता था। | *देवबन्द स्कूल विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी के लिए नहीं, बल्कि [[इस्लाम धर्म]] के प्रभाव को फैलाने के लिए शिक्षा देता था। | ||
*1888 ई. में देवबन्द संस्था के उलेमाओं ने [[सर सैय्यद अहमद ख़ाँ]] की संयुक्त भारतीय राजभक्त सभा एवं एंग्लों ओरिएण्टल सभा के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया। | *[[1888]] ई. में देवबन्द संस्था के उलेमाओं ने [[सर सैय्यद अहमद ख़ाँ]] की संयुक्त भारतीय राजभक्त सभा एवं एंग्लों ओरिएण्टल सभा के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया। | ||
*इस संस्था के नेता महमूद-उल-हसन ने संस्था के धार्मिक विचारों को राजनीतिक, बौद्धिक रंग देने को प्रयास किया। | *इस संस्था के नेता महमूद-उल-हसन ने संस्था के धार्मिक विचारों को राजनीतिक, बौद्धिक रंग देने को प्रयास किया। | ||
*देवबन्द स्कूल के समर्थकों में शिबली नुमानी (1857-1914 ई.) जैसे [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] और [[अरबी भाषा|अरबी]] के प्रख्यात विद्वान और लेखक थे। | *देवबन्द स्कूल के समर्थकों में शिबली नुमानी ([[1857]]-[[1914]] ई.) जैसे [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] और [[अरबी भाषा|अरबी]] के प्रख्यात विद्वान और लेखक थे। | ||
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10:38, 17 अप्रैल 2012 का अवतरण
देवबन्द स्कूल की स्थापना मुहम्मद क़ासिम ननौत्वी (1832-1880 ई.) एवं रशीद अहमद गंगोही (1828-1905 ई.) द्वारा की गई थी।
- इस स्कूल की शुरुआत 1866-1867 ई. में देवबन्द, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) से की गई थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम सम्प्रदाय के लिए धार्मिक नेता तैयार करना, विद्यालय के पाठ्यक्रमों में अंग्रेज़ी शिक्षा एवं पश्चिमी संस्कृति को प्रतिबन्धित करना, मुस्लिम सम्प्रदाय का नैतिक एवं धार्मिक पुनरुद्धार करना तथा अंग्रेज़ सरकार के साथ असहयोग करना था।
- देवबन्द स्कूल विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी के लिए नहीं, बल्कि इस्लाम धर्म के प्रभाव को फैलाने के लिए शिक्षा देता था।
- 1888 ई. में देवबन्द संस्था के उलेमाओं ने सर सैय्यद अहमद ख़ाँ की संयुक्त भारतीय राजभक्त सभा एवं एंग्लों ओरिएण्टल सभा के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया।
- इस संस्था के नेता महमूद-उल-हसन ने संस्था के धार्मिक विचारों को राजनीतिक, बौद्धिक रंग देने को प्रयास किया।
- देवबन्द स्कूल के समर्थकों में शिबली नुमानी (1857-1914 ई.) जैसे फ़ारसी और अरबी के प्रख्यात विद्वान और लेखक थे।
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