"कानन दै अँगुरी रहिहौं -रसखान": अवतरणों में अंतर

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कानन दै अँगुरी रहिहौं, जबही मुरली धुनि मंद बजैहै।
कानन दै अँगुरी रहिहौं, जबही मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहिनि तानन सों रसखान, अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै॥
मोहिनि तानन सों रसखान, अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै॥


टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि, काल्हि कोई कितनो समझैहै।
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि, काल्हि कोई कितनो समझैहै।
माई री वा मुख की मुसकान, सम्हारि न जैहै, न जैहै, न जैहै॥  
माई री वा मुख की मुसकान, सम्हारि न जैहै, न जैहै, न जैहै॥  
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==संबंधित लेख==
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कानन दै अँगुरी रहिहौं -रसखान
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
कवि रसखान
जन्म सन् 1533 से 1558 बीच (लगभग)
जन्म स्थान पिहानी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
मुख्य रचनाएँ 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रसखान की रचनाएँ

कानन दै अँगुरी रहिहौं, जबही मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहिनि तानन सों रसखान, अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै॥

टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि, काल्हि कोई कितनो समझैहै।
माई री वा मुख की मुसकान, सम्हारि न जैहै, न जैहै, न जैहै॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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