"कानन दै अँगुरी रहिहौं -रसखान": अवतरणों में अंतर
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कानन दै अँगुरी रहिहौं, जबही मुरली धुनि मंद बजैहै। | कानन दै अँगुरी रहिहौं, जबही मुरली धुनि मंद बजैहै। | ||
मोहिनि तानन सों रसखान, अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै॥ | मोहिनि तानन सों रसखान, अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै॥ | ||
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि, काल्हि कोई कितनो समझैहै। | टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि, काल्हि कोई कितनो समझैहै। | ||
माई री वा मुख की मुसकान, सम्हारि न जैहै, न जैहै, न जैहै॥ | माई री वा मुख की मुसकान, सम्हारि न जैहै, न जैहै, न जैहै॥ | ||
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10:43, 14 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
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कानन दै अँगुरी रहिहौं, जबही मुरली धुनि मंद बजैहै। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |