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*बुर्ज़होम ऐतिहासिक स्थल जो [[कश्मीर की घाटी]] में [[श्रीनगर]] से छः मील उत्तर-पूर्व की ओर स्थित है। | |||
*बुर्ज़होम में नवपाषाण युग की सभ्यता का पता लगा है, जिसका समय 1850-130 ई. पू. है। | |||
*नवपाषाण युग के लोग गड्ढों में रहते थे और इन गड्ढों को छप्परों से ढँकते थे। ये [[भूरा रंग|भूरे रंग]] के मृद्भाण्डों का प्रयोग करते थे। इनके पत्थर के औजार चिकनी कुल्हाड़ियाँ, मूसल और हड्डी के सूए, सूइयाँ, मत्स्य-भाले और [[गदा शस्त्र|गदा]] होते थे। ये कुत्ते, भेड़ आदि को भी दफ़नाते थे। | |||
*इस नवपाषाण युगीन संस्कृति की कुछ निजी विशेषताएँ हैं, जो [[भारत]] की अन्य संस्कृतियों में नहीं मिलती हैं, जैसे कि हड्डी के विशिष्ट औजार, आयताकार छिद्रित पत्थर के चाकू, गड्ढ़ों में रहने के स्थान पर कुत्तों को उनके स्वामियों के साथ क़ब्र में दफ़नाया जाना-ये सब विशेषताएँ उत्तर [[चीन]] की नवपाषाण युगीन संस्कृतियों में पायी जाती हैं। | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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13:37, 7 अक्टूबर 2011 का अवतरण
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- बुर्ज़होम ऐतिहासिक स्थल जो कश्मीर की घाटी में श्रीनगर से छः मील उत्तर-पूर्व की ओर स्थित है।
- बुर्ज़होम में नवपाषाण युग की सभ्यता का पता लगा है, जिसका समय 1850-130 ई. पू. है।
- नवपाषाण युग के लोग गड्ढों में रहते थे और इन गड्ढों को छप्परों से ढँकते थे। ये भूरे रंग के मृद्भाण्डों का प्रयोग करते थे। इनके पत्थर के औजार चिकनी कुल्हाड़ियाँ, मूसल और हड्डी के सूए, सूइयाँ, मत्स्य-भाले और गदा होते थे। ये कुत्ते, भेड़ आदि को भी दफ़नाते थे।
- इस नवपाषाण युगीन संस्कृति की कुछ निजी विशेषताएँ हैं, जो भारत की अन्य संस्कृतियों में नहीं मिलती हैं, जैसे कि हड्डी के विशिष्ट औजार, आयताकार छिद्रित पत्थर के चाकू, गड्ढ़ों में रहने के स्थान पर कुत्तों को उनके स्वामियों के साथ क़ब्र में दफ़नाया जाना-ये सब विशेषताएँ उत्तर चीन की नवपाषाण युगीन संस्कृतियों में पायी जाती हैं।
- नवपाषाण संस्कृति के लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना था।
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