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06:14, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण

कहरा को कहरवा का संक्षिप्त रूप माना जाता है। कुछ विद्वान 'कहरा' का सम्बन्ध 'कहर' से जोड़ते हैं, जिसका अर्थ है 'संसार के जरा मरण रूप कहर (क्लेश) से बचने वाला' [1] कहरे में 30 मात्राएँ तथा 16, 14 पर यति मिलती है। इस नियम का कड़ाई से पालन नहीं किया गया है।[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कबीर के काव्यरूप – डॉक्टर नजीर मुहम्मद, पृष्ठ 103
  2. शर्मा, रामकिशोर कबीर ग्रन्थावली (हिंदी), 100।

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