"पंचरथ": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (Adding category Category:महाबलीपुरम (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
पंक्ति 58: | पंक्ति 58: | ||
[[Category:तमिलनाडु के पर्यटन स्थल]] | [[Category:तमिलनाडु के पर्यटन स्थल]] | ||
[[Category:पर्यटन कोश]] | [[Category:पर्यटन कोश]] | ||
[[Category:महाबलीपुरम]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
09:51, 7 अक्टूबर 2014 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
पंचरथ
| |
विवरण | महाभारत के पांच पांडवों के नाम पर इन रथों को पांडव रथ भी कहा जाता है। |
निर्माता | राजा नरसिम्हा |
निर्माण काल | 7वीं शताब्दी |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 12° 36' 32.00", पूर्व- 80° 11' 23.00" |
मार्ग स्थिति | पंचरथ चेंगलपट्टु रेलवे स्टेशन से लगभग 31 किमी की दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | उस युग में वास्तुकला की शैली रॉक कट दक्षिण भारत में बहुत मशहूर थी और कई अन्य संरचनाओं को भी इसी शैली में बनाया गया था। |
कैसे पहुँचें | जलयान, हवाई जहाज़, रेल, बस आदि |
चेन्नई अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा | |
चेंगलपट्टु रेलवे स्टेशन, पैरानूर रेलवे स्टेशन | |
साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, मीटर-टैक्सी, सिटी बस और मेट्रो रेल | |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
एस.टी.डी. कोड | 04113 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
संबंधित लेख | महाबलीपुरम तट, शोर मंदिर
|
अन्य जानकारी | पाँच में से चार रथों को एकल चट्टान पर उकेरा गया है। द्रौपदी और अर्जुन रथ वर्ग के आकार के हैं जबकि भीम रथ रखीय आकार में है। धर्मराज रथ सबसे ऊँचा है। |
अद्यतन | 14:40, 14 फ़रवरी 2012 (IST)
|
पंचरथ तमिलनाडु राज्य के महाबलीपुरम के दक्षिणी सिरे में स्थित है।
- महाभारत के पांच पांडवों के नाम पर इन रथों को पांडव रथ भी कहा जाता है।
- पाँच में से चार रथों को एकल चट्टान पर उकेरा गया है। द्रौपदी और अर्जुन रथ वर्ग के आकार के हैं जबकि भीम रथ रखीय आकार में है। धर्मराज रथ सबसे ऊँचा है।
- पंचरथ का निर्माण 7वीं शताब्दी में किया गया था और अब इसे यूनेस्को विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया है।
- पल्लव वंश के राजा नरसिम्हा द्वारा निर्माण कराया गया है उस युग में वास्तुकला की शैली रॉक कट दक्षिण भारत में बहुत मशहूर थी और कई अन्य संरचनाओं को भी इसी शैली में बनाया गया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ