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'''भानगढ़''' [[राजस्थान]] के [[अलवर ज़िला|अलवर ज़िले]] में [[सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान]] के पास स्थित एक क़िले के [[अवशेष]] है। भानगढ़ क़िले को [[आमेर]] के राजा भगवंत दास ने 1573 में बनवाया था। [[मुग़ल]] शहंशाह [[अकबर के नवरत्न|अकबर के नवरत्नों]] में शामिल और भगवंत दास के छोटे बेटे [[मानसिंह]] के भाई माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया। | '''भानगढ़''' [[राजस्थान]] के [[अलवर ज़िला|अलवर ज़िले]] में [[सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान]] के पास स्थित एक क़िले के [[अवशेष]] है। भानगढ़ क़िले को [[आमेर]] के राजा भगवंत दास ने 1573 में बनवाया था। [[मुग़ल]] शहंशाह [[अकबर के नवरत्न|अकबर के नवरत्नों]] में शामिल और भगवंत दास के छोटे बेटे [[मानसिंह]] के भाई माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया। | ||
==क़िले की बनावट== | ==क़िले की बनावट== | ||
भानगढ़ का क़िला चहारदीवारी से घिरा है जिसके अंदर घुसते ही दाहिनी ओर कुछ हवेलियों के अवशेष दिखाई देते हैं। सामने बाज़ार है जिसमें सड़क के दोनों तरफ कतार में बनाई गई दो मंजिली दुकानों के खंडहर हैं। क़िले के आखिरी छोर पर दोहरे अहाते से घिरा तीन मंजिला महल है जिसकी ऊपरी | भानगढ़ का क़िला चहारदीवारी से घिरा है जिसके अंदर घुसते ही दाहिनी ओर कुछ हवेलियों के अवशेष दिखाई देते हैं। सामने बाज़ार है जिसमें सड़क के दोनों तरफ कतार में बनाई गई दो मंजिली दुकानों के खंडहर हैं। क़िले के आखिरी छोर पर दोहरे अहाते से घिरा तीन मंजिला महल है जिसकी ऊपरी मंज़िल लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। चहारदीवारी के अंदर कई अन्य इमारतों के खंडहर बिखरे पड़े हैं।<ref>{{cite web |url=http://travelwithparthiv.blogspot.com/2010/03/blog-post.html |title=दिल्ली की दहलीजः भानगढ़ |accessmonthday=[[23 जनवरी]] |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=सराय |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
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गोपीनाथ, सोमेश्वर, मंगलादेवी और केशव मंदिर क़िले के अंदर बने प्रमुख मंदिरों में से हैं। इन मंदिरों की दीवारों और खम्भों पर की गई नक़्क़ाशी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह समूचा क़िला कितना ख़ूबसूरत और भव्य रहा होगा। | गोपीनाथ, सोमेश्वर, मंगलादेवी और केशव मंदिर क़िले के अंदर बने प्रमुख मंदिरों में से हैं। इन मंदिरों की दीवारों और खम्भों पर की गई नक़्क़ाशी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह समूचा क़िला कितना ख़ूबसूरत और भव्य रहा होगा। |
14:18, 3 फ़रवरी 2013 का अवतरण
- भानगढ़ क़िला
भानगढ़ राजस्थान के अलवर ज़िले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित एक क़िले के अवशेष है। भानगढ़ क़िले को आमेर के राजा भगवंत दास ने 1573 में बनवाया था। मुग़ल शहंशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल और भगवंत दास के छोटे बेटे मानसिंह के भाई माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया।
क़िले की बनावट
भानगढ़ का क़िला चहारदीवारी से घिरा है जिसके अंदर घुसते ही दाहिनी ओर कुछ हवेलियों के अवशेष दिखाई देते हैं। सामने बाज़ार है जिसमें सड़क के दोनों तरफ कतार में बनाई गई दो मंजिली दुकानों के खंडहर हैं। क़िले के आखिरी छोर पर दोहरे अहाते से घिरा तीन मंजिला महल है जिसकी ऊपरी मंज़िल लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। चहारदीवारी के अंदर कई अन्य इमारतों के खंडहर बिखरे पड़े हैं।[1]
- क़िले के अंदर बने मंदिर
गोपीनाथ, सोमेश्वर, मंगलादेवी और केशव मंदिर क़िले के अंदर बने प्रमुख मंदिरों में से हैं। इन मंदिरों की दीवारों और खम्भों पर की गई नक़्क़ाशी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह समूचा क़िला कितना ख़ूबसूरत और भव्य रहा होगा।
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वीथिका
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भानगढ़ के अवशेष
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भानगढ़ क़िला
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दिल्ली की दहलीजः भानगढ़ (हिन्दी) सराय। अभिगमन तिथि: 23 जनवरी, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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