"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 5": अवतरणों में अंतर
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{ "तमाशा" किस राज्य की प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैली है? | { "[[तमाशा]]" किस राज्य की प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैली है? | ||
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|| | ||'''तमाशा''' [[भारत]] के लोकनाटक का श्रृंगारिक रूप, जो [[पश्चिम भारत]] के [[महाराष्ट्र]] राज्य में 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ। {{point}}विस्तार से पढ़ें:-[[तमाशा]] | ||
{ "कजरी" [[लोक नृत्य]] शैली कहाँ प्रचलित है? | { "कजरी" [[लोक नृत्य]] शैली कहाँ प्रचलित है? | ||
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||[[मुग़ल|मुग़लों]] के पश्चात आधुनिक बंगाल का इतिहास यूरोपीय तथा अंग्रेज़ी व्यापारिक कंपनियों के आगमन से आरंभ होता है। सन् 1757 में [[प्लासी]] का युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेज़ों ने पहली बार बंगाल और [[भारत]] में अपने पांव जमाए। सन् 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने बंगाल का विभाजन कर दिया, लेकिन [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। इससे [[सिपाही क्रांति 1857|स्वतंत्रता आंदोलन]] की ज्वाला और तेज़ी से भड़क उठी, जिसका पटाक्षेप 1947 में देश की आज़ादी और विभाजन के साथ हुआ।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[पश्चिम बंगाल]] | ||[[मुग़ल|मुग़लों]] के पश्चात आधुनिक बंगाल का इतिहास यूरोपीय तथा अंग्रेज़ी व्यापारिक कंपनियों के आगमन से आरंभ होता है। सन् 1757 में [[प्लासी]] का युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेज़ों ने पहली बार बंगाल और [[भारत]] में अपने पांव जमाए। सन् 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने बंगाल का विभाजन कर दिया, लेकिन [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। इससे [[सिपाही क्रांति 1857|स्वतंत्रता आंदोलन]] की ज्वाला और तेज़ी से भड़क उठी, जिसका पटाक्षेप 1947 में देश की आज़ादी और विभाजन के साथ हुआ।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[पश्चिम बंगाल]] | ||
{ "पण्डवानी" किस राज्य की प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैली है? | { "[[पण्डवानी नृत्य|पण्डवानी]]" किस राज्य की प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैली है? | ||
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- [[उत्तराखंड]] | - [[उत्तराखंड]] | ||
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||छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन् 980 से लेकर 1791 तक राज किया। सन् 1854 में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के आक्रमण के बाद महत्त्व बढ़ गया। सन् [[1904]] में संबलपुर [[उड़ीसा]] में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई। छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखण्ड और उड़ीसा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर में उत्तर प्रदेश और पश्चिमी झारखण्ड और दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] से घिरा है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[छत्तीसगढ़]] | ||छठी और बारहवीं शताब्दियों के बीच सरभपूरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ पर सन् 980 से लेकर 1791 तक राज किया। सन् 1854 में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के आक्रमण के बाद महत्त्व बढ़ गया। सन् [[1904]] में संबलपुर [[उड़ीसा]] में चला गया और 'सरगुजा' रियासत बंगाल से छत्तीसगढ़ के पास आ गई। छत्तीसगढ़ पूर्व में दक्षिणी झारखण्ड और उड़ीसा से, पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से, उत्तर में उत्तर प्रदेश और पश्चिमी झारखण्ड और दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] से घिरा है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[छत्तीसगढ़]] | ||
{ " | { "[[गिद्दा]]" कहाँ का प्रमुख [[नृत्य कला|नृत्य]] है? | ||
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+ [[पंजाब]] | + [[पंजाब]] | ||
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- [[राजस्थान]] | - [[राजस्थान]] | ||
- [[गुजरात]] | - [[गुजरात]] | ||
|| | ||[[पंजाब]] में महिलाओं द्वारा किया जाने वाला लोक नृत्य 'गिद्दा' कहलाता है। यह एक खुशनुमा नृत्य है, जिसमें एक गोले में बोलियाँ गाई जाती हैं तथा तालियाँ बजाई जाती हैं। दो प्रतिभागी घेरे से निकलकर समर्पण भाव से सस्वर बोली सुनाती हैं व अभिनय करती हैं जबकि शेष समूह में गाती हैं। यह पुनरावृत्ति 3-4 बार होती है। प्रत्येक बार दूसरी टोली होती है, जो एक नई बोली से शुरुआत करती है। {{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[गिद्दा]] | ||
{ "नौटंकी" कहाँ का प्रमुख नृत्य है? | { "[[नौटंकी]]" कहाँ का प्रमुख नृत्य है? | ||
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- [[गुजरात]] | - [[गुजरात]] | ||
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+ [[उत्तर प्रदेश]] | + [[उत्तर प्रदेश]] | ||
- [[पश्चिम बंगाल]] | - [[पश्चिम बंगाल]] | ||
|| | ||'स्वाँग' और 'लीला' के समान ही नौटंकी भी लोक-नाट्य का प्रमुख रूप है। इसका प्रारम्भ [[मुग़ल काल]] से पहले का है। [[रासलीला]] के समान इसका [[रंगमंच]] भी अस्थिर, कामचलाऊ और निजी होता है। नौटंकी अत्यंत ही लोकप्रिय और प्रभावशाली लोककला है। यह लोककला जनमानस के मन से भीतर तक जुड़ी हुई है। {{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[नौटंकी]] | ||
{ "लावणी" किस राज्य का प्रसिद्ध [[लोक नृत्य]] है? | { "लावणी" किस राज्य का प्रसिद्ध [[लोक नृत्य]] है? | ||
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{ कौन-सा [[लोक नृत्य]] "ग़रीबों की कथकली" के नाम से जाना जाता है? | { कौन-सा [[लोक नृत्य]] "ग़रीबों की कथकली" के नाम से जाना जाता है? | ||
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- | - [[चाक्यारकूंतु नृत्य|चाक्यारकूंतु]] | ||
+ | + [[ओट्टनतुल्ललू नृत्य|ओट्टनतुल्ललू]] | ||
- | - [[कूडियाट्टम नृत्य|कूडियाट्टम]] | ||
- | - [[मोहनी अट्टम नृत्य|मोहनी अट्टम]] | ||
{ [[लोक नृत्य]] और राज्यों के युग्मों में कौन-सा एक सुमेलित नहीं है? | { [[लोक नृत्य]] और राज्यों के युग्मों में कौन-सा एक सुमेलित नहीं है? | ||
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- भूमियाओं का | - भूमियाओं का | ||
{ 'तीजनबाई' किस [[लोक नृत्य]] गायन से संबंधित हैं? | { '[[तीजनबाई]]' किस [[लोक नृत्य]] गायन से संबंधित हैं? | ||
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+ | + [[पण्डवानी नृत्य|पण्डवानी]] | ||
- यक्षगान | - [[यक्षगान नृत्य|यक्षगान]] | ||
- चेरोकान | - चेरोकान | ||
- पनिहारी | - पनिहारी | ||
||'''तीजनबाई''' ([[[अंग्रेजी]]:Teejan Bai] जन्म: [[24 अप्रैल]], [[1956]]) [[छत्तीसगढ़]] राज्य की पहली महिला कलाकार हैं जो [[पण्डवानी नृत्य|पण्डवानी]] की कापालिक शैली की गायिका है। तीजनबाई नें अपनी [[कला]] का प्रदर्शन अपने देश में ही बल्कि विदेश में भी किया है, जिसके के लिए उन्हें [[भारत]] सरकार द्वारा [[पद्म भूषण]] और [[पद्मश्री]] की उपाधि से सम्मानित किया गया है। {{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[तीजनबाई]] | |||
{ [[लोक नृत्य]] करने वाले को क्या कहते हैं? | { [[लोक नृत्य]] करने वाले को क्या कहते हैं? | ||
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- [[घूमर नृत्य]] | - [[घूमर नृत्य]] | ||
+ [[कथकली]] | + [[कथकली]] | ||
- गरबा | - [[गरबा नृत्य|गरबा]] | ||
- डांडिया | - डांडिया | ||
||[[चित्र:Kathakali-Dance.jpg|80px|right|कथकली नृत्य]] [[शास्त्रीय नृत्य]] कथकली का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि, इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव-भाव की उच्च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्यक्ति होती है, जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव-भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[कथकली]] | ||[[चित्र:Kathakali-Dance.jpg|80px|right|कथकली नृत्य]] [[शास्त्रीय नृत्य]] कथकली का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि, इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव-भाव की उच्च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्यक्ति होती है, जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव-भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[कथकली]] |
10:27, 22 मार्च 2012 का अवतरण
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राज्यों के सामान्य ज्ञान
- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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