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तोता

तोता (अंग्रेज़ी:Parrot) एक घरेलू पक्षी है। तोते का वैज्ञानिक नाम सिटाक्यूला क्रेमरी है। यह छोटे आकार का छरहरा और लंबी व पतली पूँछ वाला बीजभक्षी है। तोता, पक्षियों के सिटैसी गण के सिटैसिडी कुल का पक्षी है, जो गरम देशों का निवासी है। यह बहुत सुंदर पक्षी है। यह हरे रंग का 10-12 इंच लंबा पक्षी है, जिसके गले पर लाल कंठ होता है। तोता बहुत प्रिय व सुंदर पक्षी है। यह सबका मनोरंजन करता है। तोता एक लोकप्रिय पक्षी हैं। इसकी आवाज छोटे बच्चे भी पहचानते हैं। यह मनुष्यों की बोली की नक़ल बखूबी कर लेता है।

भोजन

तोते का मुख्य भोजन फल और तरकारी है, जिसे ये अपने पंजों से पकड़कर खाते रहते हैं। मुख्यतः तोते हरी मिर्च को बहुत प्रेम से खाना पसन्द करते है, और कुछ फल जैसे- अमरुद आम भी खाते है। तोता एक शाकाहारी पक्षी है। इनकी उड़ान नीची और लहरदार, लेकिन तेज़ होती है। यह पक्षियों के लिये अनोखी बात है।

बोली

तोते की बोली कड़ी और कर्कश होती है, लेकिन कुछ सिखाए जाने पर तोता एकपत्नीव्रती पक्षी है। तोते की आवाज तीखी क्रीक क्रीक क्रीक, चाहे उड रहा हो या बैठा हो यह शोर मचाता ही है।

निवास स्थान

तोते झुंड में रहने वाले पक्षी हैं, जिनके नर मादा एक जैसे होते हैं। इसकी मादा पेड़ के कोटर या तनों में सुराख काटकर 1 से 12 तक सफ़ेद अंडे देती है। तोते के मुख्य निवास स्थान ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड हैं, जहाँ के अनेक प्रकार के रंगीन तोते प्रति वर्ष पकड़कर विदेशों में भेजे जाते हैं। तोता पूरे भारत में कहीं भी आसानी से दिख जाता है चाहे वह हिमालय की तराई हो या राजस्थान के कम पेडों वाले इलाक़े, दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत के मैदानी इलाक़ो तक पैराकीट दुनिया भर के सभी गर्म इलाक़ों में पाए जाते हैं। ये भारत और श्रीलंका (भूतपूर्व सीलोन) से ऑस्ट्रेलिया तथा प्रशांत महासागर के द्वीपों, दक्षिण-पूर्व एशिया व उष्णकटिबंधीय अमेरिका में भी पाए जाते हैं।

तोते

कुल व प्रजातियाँ

तोता पक्षियों के सिटैसी गण के सिटैसिडी कुल का पक्षी है। तोते बहुत सक्रिय होते हैं और इन्हें काफ़ी स्थान की आवश्यकता होती है। इनमें से अधिकांश अन्य पक्षियों के प्रति आक्रामक होते हैं। ख़ासतौर पर अगर ये जोड़े में हों। हालांकि इनकी आवाज़ पतली होती है, इनमें से कुछ अच्छे नक़लची बन जाते हैं। प्रकृति में स्वतंत्र रूप से और पक्षीगृहों में इनकी कई रंगों की क़िस्में तथा प्रजातियों पायी जाती है। छोटे आकार और चौड़ी पूँछ वाले तोते सेफ़ोटस की पाँच प्रजातियाँ हैं। जिनका कोई विशेष समूह नाम नहीं है। मादा रोज़ेल्ला नर की अपेक्षा सुस्त होती है। पिंजरे में रखने के लिए लोकप्रिय पक्षी रोज़ेल्ला मज़बूत और सुंदर होते हैं, लेकिन अन्य प्रजातियों के प्रति ये बहुत झगड़ालू होते हैं।

पैराकीट बजरिगार
तोता

पिंजरे में पाला जाने वाला लोकप्रिय पैराकीट बजरिगार या शैल पैराकीट (मेलोसिटैकस अनडुलेटस) है। भ्रमवश इसे लवबर्ड भी कहा जाता है। 19 सेंटी मीटर का यह पैराकीट हरे से लेकर पीतवर्ण तक सैकड़ों रंगों में पाया जाता है, लेकिन इनके गालों पर निशान और शरीर के ऊपरी हिस्से लगभग एक समान होते हैं। नर और मादा दोनों एक जैसे दिखते हैं, लेकिन मौसम के अनुसार उनकी चोंच के आधार के पास की त्वचा का रंग अलग-अलग हो सकता है। बजरिगार बीजभक्षी होते हैं।

प्रकृति

तोते की कुछ आदतें नुक़सानदायक होती हैं। यह हमारे बहुत आस-पास रहता है। शहरों-गाँवों के रिहायशी इलाक़ो में भी आराम से रहता है, तोता ज़्यादातर अपने शोरगुल वाले झुण्ड में रहना पसंद करता है। यह फलों के बागों व फ़सलों को बहुत नुकसान पहुँचाता है। इसकी प्रकृति ही ऐसी है कि यह खाता कम नुक़सान ज़्यादा करता है।

तोता

विशेषता

तोते की उड़ान तेज़ गति वाली और सीधी एक दिशा में होती है। यह एक लोकप्रिय पालतू चिड़ियाँ है। लोग इसे पिंजरे में रखना पसंद करते हैं। यही इसका दुर्भाग्य है कि हर साल बहुत बडी संख्या में छोटे तोतों को पकड़ा और बेचा जाता है। इनकी सीखने की प्रवृति बहुत अधिक होती है। तोते में मनुष्य की आवाज की पिच पकड कर लगभग वैसा ही दोहराने की क्षमता होती है। यह खिलोने को लोड कर चलाने जैसा काम भी सीख जाते हैं, इसलिये सर्कस तथा ज़मीन पर तमाशा दिखाने वाले इस पक्षी का दुरूपयोग करते हैं।

प्रजनन

तोता ऑस्ट्रेलिया के घास के मैदानों में विशाल झुंडों में रहते हैं। ये एक साथ प्रजनन करते हैं और पेड़ की खोहों में साल में दो बार छह से आठ अंडे देते हैं। इसके अण्डे देने का समय फ़रवरी से अप्रॅल के बीच होता है। इनके घोंसले वैसे तो पेडों के कोटरों में होते हैं और किसी तोते के छोड़े हुए घोंसले में भी अण्डे दे देते हैं। रिहायशी-गैररिहायशी बिल्डिंग्स की दीवारों तथा ऊंची चट्टानों के सुराख़ में भी ये आराम से घोंसला बना लेते हैं। तोता एक बार में 4-6 अण्डे देते हैं और ज़्यादातर पक्षियों की तरह नर व मादा रोज रिंग्ड पेराकीट अपनी घरेलू जिम्मेदारी मिल-जुल कर निभाते हैं। अधिकांश प्रजातियाँ पेड़ की खोह में एक बार में चार से आठ अंडे देती हैं।


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