"तृष्ना सब रोगों का मूल -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर

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शीर्षक उदाहरण 1

तृष्णा सब रोगोँ का मूल / शिवदीन राम जोशी

शीर्षक उदाहरण 3

शीर्षक उदाहरण 4

तृष्णा सब रोगों का मूल | तृष्णा भय भव दुःख उपजावे, चुभे कलेजे शूल || जो सुख चावे तृष्णा त्यागे, अपने आप दर्द दुःख भागे | शिवदीन चढ़ावे गुरु चरनन की, शिर पर पावन धूल || तृष्णा डायन सब जग खाया, ना कोई बचा समझले भाया | काया माया साथ नहीं दे, पंथ अंत प्रतिकूल || लोभ मोह क्रोधादि नाग रे, काम आदि से दूर भाग रे | जाग सके तो जीव जाग रे, राम नाम मत भूल || परमानन्द सदा सुख दायक, संत सयाने सत्य सहायक | सत संगत सब रोग नसावे, बिछे सुमारग फूल ||




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