"कवितावली (पद्य)-अरण्य काण्ड": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Kavitawali.JPG|right|thumb|250px|कवितावली]] | [[चित्र:Kavitawali.JPG|right|thumb|250px|कवितावली (अरण्य काण्ड)]] | ||
*[[कवितावली (पद्य)-अयोध्या काण्ड|पीछे पढें ]] | *[[कवितावली (पद्य)-अयोध्या काण्ड|पीछे पढें ]] | ||
==अरण्य काण्ड== | ==अरण्य काण्ड== |
15:27, 14 सितम्बर 2012 का अवतरण
अरण्य काण्ड
मारीचानुधावन
(मारीचानुधावन)
पंचबटीं बर पर्नकुटी तर बैठे हैं रामु सुभायँ सुहाए।
सोहै प्रिया, प्रिय बंधु लसै ‘तलसी’ सब अंग घने छबि छाए।।
देखि मृगा मृगनैनी कहे प्रिय बेन, ते प्रीतम के मन भाए।
हेमकुरंगके संग सरासनु सायकु लै रघुनायकु धाए।।
(इति अरण्य काण्ड )
इन्हें भी देखें: कवितावली -तुलसीदास
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख