"जैन अन्नप्राशन संस्कार": अवतरणों में अंतर

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*इसमें बालक को अन्न खिलाने का शुभारम्भ उस अन्न द्वारा बालक की पुष्टि होने के लिए यह संस्कार किया जाता है।  
*इसमें बालक को अन्न खिलाने का शुभारम्भ उस अन्न द्वारा बालक की पुष्टि होने के लिए यह संस्कार किया जाता है।  
*यह संस्कार सातवें, आठवें अथवा नौवें मास में करना चाहिए।  
*यह संस्कार सातवें, आठवें अथवा नौवें मास में करना चाहिए।  
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07:58, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • यह जैन धर्म का एक संस्कार है।
  • अन्नप्राशन का अर्थ है कि बालक को अन्न खिलाना।
  • इसमें बालक को अन्न खिलाने का शुभारम्भ उस अन्न द्वारा बालक की पुष्टि होने के लिए यह संस्कार किया जाता है।
  • यह संस्कार सातवें, आठवें अथवा नौवें मास में करना चाहिए।
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