"जैन आधान संस्कार": अवतरणों में अंतर
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*अनन्तर शास्त्रोक्त विधिपूर्वक पति और धर्मपत्नी द्वारा विश्वशान्तिप्रदायक हवन पूर्वक यह क्रिया सम्पन्न की जाती है। | *अनन्तर शास्त्रोक्त विधिपूर्वक पति और धर्मपत्नी द्वारा विश्वशान्तिप्रदायक हवन पूर्वक यह क्रिया सम्पन्न की जाती है। | ||
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07:59, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण
- यह संस्कार जैन धर्म के अंतर्गत आता है।
- पाणिग्रहण (विवाह) के बाद सौभाग्यवती नारियाँ उस स्त्री तथा उसके पति को मण्डप में लाकर वेदी के निकट बैठातीं हैं।
- शुद्ध वस्त्र धारण कर संस्कार विधि इस प्रकार की जाती है-
- सर्वप्रथम मंगलाचरण,
- मंगलाष्टक का पाठ,
- पुन: हस्तशुद्धि,
- भूमिशुद्धि,
- द्रव्यशुद्धि,
- पात्रशुद्धि,
- मन्त्रस्नान,
- साकल्यशुद्धि,
- समिधाशुद्धि,
- होमकुण्ड शुद्धि,
- पुण्याहवाचन के कलश की स्थापना,
- दीपक प्रज्वलन,
- तिलककरण,
- रक्षासूत्रबन्धन,
- संकल्प करना,
- यन्त्र का अभिषेक,
- आन्तिधारा,
- गन्धोदक,
- वन्दन,
- इसके पूर्व अर्घसमर्पण,
- पूजन के प्रारम्भ में स्थापना,
- स्वस्तिवचान,
- इसके बाद देव-शास्त्र-गुरुपूजा, एवं
- सिद्धयन्त्र का पूजन करना चाहिए।
- अनन्तर शास्त्रोक्त विधिपूर्वक पति और धर्मपत्नी द्वारा विश्वशान्तिप्रदायक हवन पूर्वक यह क्रिया सम्पन्न की जाती है।
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