"प्रदीप कुमार": अवतरणों में अंतर
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'''प्रदीप कुमार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pradeep Kumar'') (जन्म: 4 जनवरी, 1925 - मृत्यु: 27 अक्टूबर, 2001) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। हिन्दी सिनेमा में उनको ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने 1950 और 60 के दशक में अपने ऐतिहासिक किरदारों के जरिये दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। उस जमाने में फिल्मकारों को अपनी फिल्मों के लिए जब भी किसी राजा, महाराजा, राजकुमार अथवा नवाब की भूमिका की जरूरत होती थी तो वह प्रदीप कुमार को याद किया जाता था। उनके उत्कृष्ट अभिनय से सजी अनारकली, ताजमहल, बहू बेगम और चित्रलेखा जैसी फिल्मों को दर्शक आज भी नहीं भूले हैं। | '''प्रदीप कुमार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Pradeep Kumar'') (जन्म: 4 जनवरी, 1925 - मृत्यु: 27 अक्टूबर, 2001) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। हिन्दी सिनेमा में उनको ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने 1950 और 60 के दशक में अपने ऐतिहासिक किरदारों के जरिये दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। उस जमाने में फिल्मकारों को अपनी फिल्मों के लिए जब भी किसी राजा, महाराजा, राजकुमार अथवा नवाब की भूमिका की जरूरत होती थी तो वह प्रदीप कुमार को याद किया जाता था। उनके उत्कृष्ट अभिनय से सजी अनारकली, ताजमहल, बहू बेगम और चित्रलेखा जैसी फिल्मों को दर्शक आज भी नहीं भूले हैं। | ||
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08:30, 1 अक्टूबर 2012 का अवतरण
प्रदीप कुमार
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पूरा नाम | प्रदीप कुमार |
जन्म | 4 जनवरी, 1925 |
जन्म भूमि | पश्चिम बंगाल |
मृत्यु | 27 अक्टूबर, 2001 |
मृत्यु स्थान | कोलकाता |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता |
मुख्य फ़िल्में | श्री फरहाद, जागते रहो, दुर्गेश नंदिनी, बंधन, हीर, क्रांति (1981), रजिया सुल्तान |
नागरिकता | भारतीय |
प्रदीप कुमार (अंग्रेज़ी: Pradeep Kumar) (जन्म: 4 जनवरी, 1925 - मृत्यु: 27 अक्टूबर, 2001) हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता थे। हिन्दी सिनेमा में उनको ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने 1950 और 60 के दशक में अपने ऐतिहासिक किरदारों के जरिये दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। उस जमाने में फिल्मकारों को अपनी फिल्मों के लिए जब भी किसी राजा, महाराजा, राजकुमार अथवा नवाब की भूमिका की जरूरत होती थी तो वह प्रदीप कुमार को याद किया जाता था। उनके उत्कृष्ट अभिनय से सजी अनारकली, ताजमहल, बहू बेगम और चित्रलेखा जैसी फिल्मों को दर्शक आज भी नहीं भूले हैं।
जीवन परिचय
पश्चिम बंगाल में 4 जनवरी, 1925 को एक ब्राह्मण परिवार में प्रदीप कुमार का जन्म हुआ। प्रदीप कुमार बचपन से ही फिल्मों में बतौर अभिनेता काम करने का सपना देखा करते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह अपने जीवन के शुरूआती दौर में रंगमंच से जुड़े। हांलाकि इस बात के लिए उनके पिताजी राजी नहीं थे। 17 वर्ष की उम्र में प्रदीप कुमार अपने सपने को साकार करने के लिए मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद वह कैमरामैन धीरेन डे के सहायक के तौर पर काम करने लगे। वर्ष 1947 में उनकी मुलाकात निर्देशक देवकी बोस से हुई। देवकी बोस को प्रदीप कुमार में एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने अपनी बांग्ला फिल्म 'अलखनंदा' में काम करने का मौका दिया। इस फिल्म के जरिए प्रदीप कुमार बतौर अभिनेता पहचान बनाने में भले ही सफल नही हुए, लेकिन एक अभिनेता के रूप में उन्होंने सिने कैरियर के सफर की शुरूआत कर दी। इस बीच प्रदीप कुमार ने एक और बंगला फिल्म 'भूली नाय' में अभिनय किया। फिल्म भूली नाय ने बॉक्स ऑफिस पर अपनी सिल्वर जुबली पूरी की। इसके बाद प्रदीप कुमार ने हिंदी फिल्म की ओर भी अपना रूख कर लिया।[1]
फ़िल्मी सफर
वर्ष 1946 से वर्ष 1952 तक प्रदीप कुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। प्रदीप कुमार में फिल्मों में बतौर अभिनेता बनने का नशा कुछ इस कदर छाया हुआ था कि उन्होंने हिंदी और उर्दू भाषा की तालीम हासिल करनी शुरू कर दी। फिल्म अलखनंदा के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने कृष्णलीला, स्वामी, विष्णुप्रिया, संध्या बेलार रूपकथा जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स आफिस पर सफल नहीं हुई। वर्ष 1952 में प्रदर्शित फिल्म आंनद मठ में प्रदीप कुमार पहली बार मुख्य अभिनेता की भूमिका में दिखाई दिए। हालांकि इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर जैसे महान अभिनेता भी थे फिर भी प्रदीप कुमार पृथ्वीराज की उपस्थिति में भी दर्शकों के बीच अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फिल्म की सफलता के बाद प्रदीप कुमार बतौर अभिनेता फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए।[1]
यादगार फ़िल्में
वर्ष 1956 प्रदीप कुमार के सिने कैरियर का सबसे अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी 10 फिल्में प्रदर्शित हुई, जिनमें श्री फरहाद, जागते रहो, दुर्गेश नंदिनी, बंधन, राजनाथ और हीर जैसी फिल्में शमिल है। इसके बाद प्रदीप कुमार ने एक झलक (1957), अदालत (1958), आरती (1962), चित्रलेखा (1964), भींगी रात (1965), रात और दिन, बहू बेगम (1967) जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाकर दर्शको का भरपूर मनोरजंन किया। अभिनय में एकरूपता से बचने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए प्रदीप कुमार ने अपने को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इस क्रम में वर्ष 1969 में प्रदर्शित अजय विश्वास की सुपरहिट फिल्म संबध में उन्होंने चरित्र भूमिका निभाई बावजूद इसके उन्होंने अपने सशक्त अभिनय से दर्शको की वाहवाही लूट ली। इसके बाद प्रदीप कुमार ने महबूब की मेहंदी (1971), समझौता (1973), दो अंजाने (1976), धरमवीर (1977), खट्ठामीठा (1978), क्रांति (1981), रजिया सुल्तान (1983), दुनिया (1984), मेरा धर्म (1986), वारिस (1988) जैसी कई सुपरहिट फिल्मों के जरिए दर्शको के दिल पर राज किया। प्रदीप कुमार के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी मीना कुमारी के साथ खूब जमी। प्रदीप कुमार और मीना कुमारी की जोड़ी वाली फिल्मों में अदले जहांगीर, बंधन, चित्रलेखा, बहू बेगम, भींगी रात, आरती और नूरजहां शामिल है। [1]
निधन
लगभग चार दशक तक अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाले प्रदीप कुमार 27 अक्टूबर 2001 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 ऐतिहासिक फिल्मों के राजकुमार थे प्रदीप कुमार (हिन्दी) जागरण याहू इंडिया। अभिगमन तिथि: 1 अक्टूबर, 2012।
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