"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 3": अवतरणों में अंतर
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+ [[मोहनी अट्टम नृत्य|मोहनी अट्टम]] | + [[मोहनी अट्टम नृत्य|मोहनी अट्टम]] | ||
- [[कथकली नृत्य|कथकली]] | - [[कथकली नृत्य|कथकली]] | ||
||[[चित्र:Mohini-Attam-Dance.jpg|right|80px|मोहनी अट्टम नृत्य]]'मोहिनीअट्टम' [[केरल]] की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अर्ध शास्त्रीय नृत्य है जो [[कथकली]] से अधिक पुराना माना जाता है। साहित्यिक रूप से नृत्य के बीच मुख्य माना जाने वाला जादुई मोहिनीअटट्म केरल के मंदिरों में प्रमुखत: किया जाता था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोहनी अट्टम नृत्य]] | |||
{पद्मा सुब्रह्मण्यम किस [[शास्त्रीय नृत्य|शास्त्रीय नृत्य शैली]] से सम्बन्धित हैं? | {पद्मा सुब्रह्मण्यम किस [[शास्त्रीय नृत्य|शास्त्रीय नृत्य शैली]] से सम्बन्धित हैं? | ||
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- [[कथक नृत्य|कथक]] | - [[कथक नृत्य|कथक]] | ||
- [[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | - [[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | ||
||[[चित्र:Bharatnatyam-Dance.jpg|right|80px|भरतनाट्यम नृत्य]] भरतनाट्यम नृत्य [[शास्त्रीय नृत्य]] का एक प्रसिद्ध नृत्य है। भरत नाट्यम, [[भारत]] के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है तथा इसका संबंध [[दक्षिण भारत]] के [[तमिलनाडु]] राज्य से है। यह नाम 'भरत' शब्द से लिया गया तथा इसका संबंध नृत्यशास्त्र से है। ऐसा माना जाता है कि [[ब्रह्मा]], हिन्दू देवकुल के महान त्रिदेवों में से प्रथम, नाट्य शास्त्र अथवा नृत्य विज्ञान हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भरतनाट्यम नृत्य]] | |||
{भारती शिवाजी किस शैली के [[नृत्य कला|नृत्य]] के लिए प्रसिद्ध है? | {भारती शिवाजी किस शैली के [[नृत्य कला|नृत्य]] के लिए प्रसिद्ध है? | ||
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+ [[मोहनी अट्टम नृत्य|मोहनी अट्टम]] | + [[मोहनी अट्टम नृत्य|मोहनी अट्टम]] | ||
- [[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | - [[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | ||
||[[चित्र:Mohini-Attam-Dance.jpg|right|80px|मोहनी अट्टम नृत्य]]'मोहिनीअट्टम' [[केरल]] की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अर्ध शास्त्रीय नृत्य है जो [[कथकली]] से अधिक पुराना माना जाता है। साहित्यिक रूप से नृत्य के बीच मुख्य माना जाने वाला जादुई मोहिनीअटट्म केरल के मंदिरों में प्रमुखत: किया जाता था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोहनी अट्टम नृत्य]] | |||
{मात्र 16 वर्ष की आयु में किस नृत्यांगना को गुरुदेव [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] ने 'कथक साम्राज्ञी' कहकर गौरवान्वित किया था? | {मात्र 16 वर्ष की आयु में किस नृत्यांगना को गुरुदेव [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] ने 'कथक साम्राज्ञी' कहकर गौरवान्वित किया था? | ||
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+ शास्त्रीय गायक | + शास्त्रीय गायक | ||
- [[सितार]] वादक | - [[सितार]] वादक | ||
||[[चित्र:Bhimsen-Joshi-2.jpg|right|100px|भीमसेन जोशी]][[भारत रत्न]] सम्मानित पंडित भीमसेन जोशी (जन्म-[[14 फ़रवरी]], [[1922]], गड़ग, [[कर्नाटक]]; मृत्यु- [[24 जनवरी]], [[2011]] [[पुणे]], [[महाराष्ट्र]]) किराना घराने के महत्त्वपूर्ण शास्त्रीय गायक हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र से ही गायन शुरू किया था और वह सात दशकों तक शास्त्रीय गायन करते रहे। [[भीमसेन जोशी]] ने [[कर्नाटक]] को गौरवान्वित किया है। भारतीय [[संगीत]] के क्षेत्र में इससे पहले [[एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी]], [[बिस्मिल्ला ख़ान|उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान]], [[रवि शंकर|पंडित रविशंकर]] और [[लता मंगेशकर]] को '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित किया जा चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमसेन जोशी]] | ||[[चित्र:Bhimsen-Joshi-2.jpg|right|100px|भीमसेन जोशी]][[भारत रत्न]] सम्मानित पंडित भीमसेन जोशी (जन्म-[[14 फ़रवरी]], [[1922]], गड़ग, [[कर्नाटक]]; मृत्यु- [[24 जनवरी]], [[2011]] [[पुणे]], [[महाराष्ट्र]]) [[किराना घराना|किराना घराने]] के महत्त्वपूर्ण शास्त्रीय गायक हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र से ही गायन शुरू किया था और वह सात दशकों तक शास्त्रीय गायन करते रहे। [[भीमसेन जोशी]] ने [[कर्नाटक]] को गौरवान्वित किया है। भारतीय [[संगीत]] के क्षेत्र में इससे पहले [[एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी]], [[बिस्मिल्ला ख़ान|उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान]], [[रवि शंकर|पंडित रविशंकर]] और [[लता मंगेशकर]] को '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित किया जा चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमसेन जोशी]] | ||
{गायन की [[ध्रुपद]] शैली का आरम्भ किसने किया था? | {गायन की [[ध्रुपद]] शैली का आरम्भ किसने किया था? | ||
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+ गायन | + गायन | ||
- लोककला | - लोककला | ||
||[[चित्र:Begum-akhtar.jpg|right|100px|बेगम अख़्तर]] बेगम अख़्तर [[भारत]] की प्रसिद्ध ग़ज़ल और ठुमरी गायिका थीं जिन्हें कला के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन [[1968]] में [[पद्म श्री]] और सन [[1975]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था। बेगम अख़्तर को मल्लिका-ए-ग़ज़ल भी कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बेगम अख़्तर]] | |||
{[[तानसेन]], [[स्वामी हरिदास जी|स्वामी हरिदास]] तथा [[बैजू बावरा]] [[हिन्दुस्तानी संगीत]] शैली के किस रूप से सम्बद्ध थे? | {[[तानसेन]], [[स्वामी हरिदास जी|स्वामी हरिदास]] तथा [[बैजू बावरा]] [[हिन्दुस्तानी संगीत]] शैली के किस रूप से सम्बद्ध थे? | ||
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- मुत्तुस्वामी दीक्षितर | - मुत्तुस्वामी दीक्षितर | ||
{शास्त्रीय संगीत का प्रारम्भिक स्रोत कौन-सा [[वेद]] है? | {[[शास्त्रीय संगीत]] का प्रारम्भिक स्रोत कौन-सा [[वेद]] है? | ||
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+ [[ॠग्वेद]] | + [[ॠग्वेद]] | ||
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- [[सामवेद]] | - [[सामवेद]] | ||
- [[अथर्ववेद]] | - [[अथर्ववेद]] | ||
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद]] ऋग्वेद सनातन धर्म अथवा [[हिन्दू धर्म]] का स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें [[देवता|देवताओं]] की स्तुति की गयी है। इस ग्रंथ में देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं। यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की सबसे पहली रचना मानते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]] | |||
{ 'राग भैरव' या 'राग भैरवी' कब गाया जाता है? | { 'राग भैरव' या 'राग भैरवी' कब गाया जाता है? | ||
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{{कला सामान्य ज्ञान}} | {{कला सामान्य ज्ञान}} | ||
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | ||
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11:13, 21 फ़रवरी 2013 का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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