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'''बिलाड़ा''' [[जोधपुर ज़िला]], [[राजस्थान]] का प्राचीन [[ऐतिहासिक स्थान]] है। यह [[जोधपुर]] के निकट स्थित है, जो 'नवदुर्गावतार भगवती आई माता' के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=631|url=}}</ref> | '''बिलाड़ा''' [[जोधपुर ज़िला]], [[राजस्थान]] का प्राचीन [[ऐतिहासिक स्थान]] है। यह [[जोधपुर]] के निकट स्थित है, जो 'नवदुर्गावतार भगवती आई माता' के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=631|url=}}</ref> | ||
*जिस प्रकार [[उदयपुर]] या [[मेवाड़]] के महाराणा अपने आराध्य देव एकलिंग भगवान के [[दीवान]] कहे जाते थे, उसी प्रकार मारवाड़ की सीखी जाति के नेता 'आई माता' अथवा 'आई जी' के दीवान कहलाते थे। | *जिस प्रकार [[उदयपुर]] या [[मेवाड़]] के महाराणा अपने आराध्य देव एकलिंग भगवान के [[दीवान]] कहे जाते थे, उसी प्रकार [[मारवाड़]] की सीखी जाति के नेता 'आई माता' अथवा 'आई जी' के दीवान कहलाते थे। | ||
*इस दीवान वंश के कई वीर और सत्वव्रती पुरुष मारवाड़ के इतिहास में प्रसिद्ध हैं। | *इस दीवान वंश के कई वीर और सत्वव्रती पुरुष मारवाड़ के इतिहास में प्रसिद्ध हैं। | ||
13:29, 4 जनवरी 2013 का अवतरण
बिलाड़ा जोधपुर ज़िला, राजस्थान का प्राचीन ऐतिहासिक स्थान है। यह जोधपुर के निकट स्थित है, जो 'नवदुर्गावतार भगवती आई माता' के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।[1]
- जिस प्रकार उदयपुर या मेवाड़ के महाराणा अपने आराध्य देव एकलिंग भगवान के दीवान कहे जाते थे, उसी प्रकार मारवाड़ की सीखी जाति के नेता 'आई माता' अथवा 'आई जी' के दीवान कहलाते थे।
- इस दीवान वंश के कई वीर और सत्वव्रती पुरुष मारवाड़ के इतिहास में प्रसिद्ध हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 631 |