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[[चित्र:Prarthana.jpg|right|thumb|250px|[[अनासक्ति आश्रम]] में आयोजित दैनिक सामूहिक प्रार्थना सभा]]  
[[चित्र:Prarthana.jpg|right|thumb|250px|[[अनासक्ति आश्रम]] में आयोजित दैनिक सामूहिक प्रार्थना सभा]]  
'''प्रार्थना''' एक धार्मिक [[क्रिया]] है जो [[ब्रह्माण्ड]] के किसी 'महान शक्ति' से सम्बन्ध जोड़ने की कोशिश करती है। प्रार्थना व्यक्तिगत हो सकती है और सामूहिक भी। इसमें शब्दों ([[मंत्र]], [[गीत]] आदि) का प्रयोग हो सकता है या प्रार्थना मौन भी हो सकती है।
'''प्रार्थना''' एक धार्मिक [[क्रिया]] है जो [[ब्रह्माण्ड]] के किसी 'महान शक्ति' से सम्बन्ध जोड़ने की कोशिश करती है। प्रार्थना व्यक्तिगत हो सकती है और सामूहिक भी। इसमें शब्दों ([[मंत्र]], [[गीत]] आदि) का प्रयोग हो सकता है या प्रार्थना मौन भी हो सकती है।
*एल. क्राफार्ड ने कहा था:- ‘‘ प्रार्थना परिष्कार एवं परिमार्जन की उत्तम प्रक्रिया है।’’
{{दाँयाबक्सा|पाठ=मैने यह अनुभव किया है कि जब हम सारी आशा छोडकर बैठ जाते हैं , हमारे दोनो हाथ टिक जाते हैं , तब कहीं न कहीं से मदद आ पहुंचती है । स्तुति, उपासना, प्रार्थना वहम नहीं है, बल्कि हमारा खाना पीना, चलना बैठना जितना सच है, उससे भी अधिक सच यह चीज है। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि यही सच है, और सब झूठ है।
{{दाँयाबक्सा|पाठ=मैने यह अनुभव किया है कि जब हम सारी आशा छोडकर बैठ जाते हैं , हमारे दोनो हाथ टिक जाते हैं , तब कहीं न कहीं से मदद आ पहुंचती है । स्तुति, उपासना, प्रार्थना वहम नहीं है, बल्कि हमारा खाना पीना, चलना बैठना जितना सच है, उससे भी अधिक सच यह चीज है। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि यही सच है, और सब झूठ है।
ऐसी उपासना ,ऐसी प्रार्थना निरा वाणी विलास नहीं होती उसका मूल कंठ नहीं हृदय है।(महात्मा गांधी जीवनी से संग्रहीत)।|विचारक=[[महात्मा गाँधी]]}}
ऐसी उपासना ,ऐसी प्रार्थना निरा वाणी विलास नहीं होती उसका मूल कंठ नहीं हृदय है।(महात्मा गांधी जीवनी से संग्रहीत)।|विचारक=[[महात्मा गाँधी]]}}

16:21, 17 जनवरी 2013 का अवतरण

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अनासक्ति आश्रम में आयोजित दैनिक सामूहिक प्रार्थना सभा

प्रार्थना एक धार्मिक क्रिया है जो ब्रह्माण्ड के किसी 'महान शक्ति' से सम्बन्ध जोड़ने की कोशिश करती है। प्रार्थना व्यक्तिगत हो सकती है और सामूहिक भी। इसमें शब्दों (मंत्र, गीत आदि) का प्रयोग हो सकता है या प्रार्थना मौन भी हो सकती है।

  • एल. क्राफार्ड ने कहा था:- ‘‘ प्रार्थना परिष्कार एवं परिमार्जन की उत्तम प्रक्रिया है।’’

मैने यह अनुभव किया है कि जब हम सारी आशा छोडकर बैठ जाते हैं , हमारे दोनो हाथ टिक जाते हैं , तब कहीं न कहीं से मदद आ पहुंचती है । स्तुति, उपासना, प्रार्थना वहम नहीं है, बल्कि हमारा खाना पीना, चलना बैठना जितना सच है, उससे भी अधिक सच यह चीज है। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि यही सच है, और सब झूठ है। ऐसी उपासना ,ऐसी प्रार्थना निरा वाणी विलास नहीं होती उसका मूल कंठ नहीं हृदय है।(महात्मा गांधी जीवनी से संग्रहीत)।


‘‘ प्रार्थना निवेदन करके उर्जा प्राप्त करने की शक्ति है और अपने इष्ट अथवा विद्या के प्रधान देव से सीधा संवाद है। प्रार्थना लौकिक व अलौकिक समस्या का समाधान है। (आदि शक्ति से संग्रहीत)।

- आदि शक्ति


मुझे इस विषय में कोई शंका नहीं है कि विकार रूपी मलों की शु़िद्ध के लिए हार्दिक उपासना एक रामबाण औषधि है। (महात्मा गांधी जीवनी से संग्रहीत)।


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