"छठी लोकसभा (1977)": अवतरणों में अंतर
('छठी लोकसभा (1977) के चुनावों में कांग्रेस सरकार द्वारा ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (श्रेणी:भारत गणराज्य संरचना; Adding category Category:गणराज्य संरचना कोश (को हटा दिया गया हैं।)) |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भारत में चुनाव}}{{छठी लोकसभा सांसद}} | {{भारत में चुनाव}}{{छठी लोकसभा सांसद}} | ||
[[Category:लोकसभा]][[Category:भारत सरकार]][[Category: | [[Category:लोकसभा]][[Category:भारत सरकार]] | ||
[[Category:गणराज्य संरचना कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
14:20, 19 जुलाई 2014 का अवतरण
छठी लोकसभा (1977) के चुनावों में कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल की घोषणा मुख्य मुद्दा था। इस समय कांग्रेस ने एक मजबूत सरकार की जरूरत की बात कहकर मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की, लेकिन लहर इसके विरुद्ध ही चल रही थी। स्वतंत्र भारत में पहली बार ऐसा हुआ कि कांग्रेस को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। जनता पार्टी के नेता मोरारजी देसाई ने 298 सीटें जीतीं। उन्हें चुनावों से दो महिने पहले ही जेल से रिहा किया गया। मोरारजी देसाई 24 मार्च को भारत के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनाये गये।
राष्ट्रीय आपातकाल
राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक नागरिक स्वतंत्रताओं को समाप्त कर दिया गया। इस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सभी शक्तियाँ अपने हाथ में ले ली थीं। अपने इस निर्णय की वजह से इंदिरा गांधी काफ़ी अलोकप्रिय भी हुईं और चुनावों में उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी। 23 जनवरी को इंदिरा गांधी ने मार्च में चुनाव कराने की घोषणा की और सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया। चार विपक्षी दलों- कांग्रेस (ओ), जनसंघ, भारतीय लोकदल और समाजवादी पार्टी ने जनता पार्टी के रूप में मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया।
कांग्रेस की पराजय
जनता पार्टी ने मतदाताओं को आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों और मानव अधिकारों के उल्लंघन की याद दिलाई। जनता अभियान में कहा गया कि चुनाव तय करेगा कि भारत में लोकतंत्र होगा या तानाशाही। ऐसे समय में कांग्रेस आशंकित दिख रही थी। कृषि और सिंचाई मंत्री बाबू जगजीवन राम ने पार्टी छोड़ दी, और ऐसा करने वाले कई लोगों में से वे एक थे। कांग्रेस की लगभग 200 सीटों पर हार हुई। इंदिरा गांधी, जो 1966 से सरकार में थीं और उनके बेटे संजय गांधी चुनाव हार गए।
|
|
|
|
|